Vision of Three Fishes Story in Hindi

 

“अंधे होने से भी अधिक बुरी बात तब है, जब आपके पास द्रष्टि तो हो, लेकिन कोई दूरद्रष्टि न हो।”
– हेलेन केलर

 

Vision of Three Fishes Story in Hindi

पुराने समय की बात है, एक तालाब में तीन मछलियाँ रहती थीं। उनमे से एक का नाम था ‘एकबुद्धि’, दूसरी का ‘शतबुद्धि’ और तीसरी का ‘सहस्त्रबुद्धि’। तीनो मछलियों में अपनी-अपनी खूबियाँ थी, पर इसके साथ-साथ तीनों में पक्का याराना भी था। एक दिन तालाब पर कुछ मछुआरे आये और उसे मछलियों से भरा हुआ देखकर कहने लगे कि यहाँ पर तो बहुत ज्यादा मछलियाँ हैं, कल यही पर जाल डालेंगे।

कुछ समय ठहरकर वे लोग वहाँ से चले गये। मछुआरों की यें बातें उन तीनों मछलियों ने भी सुनी। ‘सहस्त्रबुद्धि’ ने कहा – यहीं रहने में भला है, कल ये लोग आयें, यह आवश्यक नहीं। ‘शतबुद्धि’ ने कहा – कल जब मछुआरे आयेंगे, उस समय के अनुसार निर्णय लिया जायेगा। तीसरी ‘एकबुद्धि’ बोली – भला इसी में है कि आज ही तालाब बदल दिया जाये और इतना कहकर वह दूसरे तालाब में चली गयी।

अगले दिन मछुआरे आये और उन्होंने आते ही तालाब में जाल डाल दिया। दूसरी मछलियों के साथ-साथ ‘सहस्त्रबुद्धि’ और ‘शतबुद्धि’ ये दोनों मछलियाँ भीं पकड़ी गयी। शतबुद्धि ने विपरीत परिस्थिति जानकर मरे होने का ढोंग रचा। उसे मरा हुआ समझ मछुआरों ने उसे जाल से बाहर निकाल दिया। वह उचककर गहरे पानी में तैरती हुई दूसरी तरफ चली गयी।

‘सहस्त्रबुद्धि’ पकड़ी गयी और अपनी किस्मत पर पछताती रही। इस प्रकार दूरदर्शी, तुरंत निर्णय लेने वाले और हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने वाले तीन तरह के लोग इस संसार में होते हैं। दूरदर्शी लोग आने वाले समय और परिस्थितियों का पहले ही अनुमान लगा लेते हैं, इसीलिए प्रायः वे मुसीबतों में नहीं फंसते और अवसरों का समझदारी से लाभ उठाते हुए जल्दी ही सफलता की बुलंदियों पर जा पहुँचते हैं।

तुरंत निर्णय लेने वाले भी अक्सर मुसीबतें उठाने से बच जाते हैं, पर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने वाले पछताते ही रह जाते हैं। ईश्वर ने हम सभी को अनेकों विभूतियाँ प्रदान की हैं। उनमे से एक अत्यंत विकसित बुद्धि और मानवीय द्रष्टिकोण भी है। परन्तु इसका प्रयोग किस प्रकार करना है, इस बात का निर्णय उसने हम पर ही छोड़ दिया है।

“बिना कार्य के दूरद्रष्टि केवल एक स्वप्न है। बिना किसी दूरद्रष्टि के कार्य, केवल खाली समय बिताना है। लेकिन कार्य के साथ दूरद्रष्टि दुनिया को बदल सकती है।”
– जोएल ए. बार्कर

 

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