History of The Earth in Hindi

 

“पृथ्वी का 71 प्रतिशत भाग जल है, जो कि इस ग्रह के कुल वजन का सिर्फ 0.25 प्रतिशत है। धरती के 8 प्रतिशत भू-भाग पर ज्वालामुखी हैं। 11 प्रतिशत भाग उपजाऊ जमीन है, जिस पर खेती होती है। धरती का 10 प्रतिशत भाग बर्फ से ढका है और धरती की सतह का पांचवां हिस्सा रेगिस्तानी भूमि है।”

 

History of The Earth in Hindi

हमारी पृथ्वी अथवा धरती सौर मंडल के आठ ग्रहों में से एक है। इसके अतिरिक्त समूचे ब्रह्माण्ड में एकमात्र यही आकाशीय पिंड है जिस पर जीवन मौजूद है। पृथ्वी सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। वैज्ञानिक साक्ष्य और स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु (Age of Earth) लगभग 4.54 अरब वर्ष हैं।

History of Earth in Hindi धरती का इतिहास

पृथ्वी को अंग्रेजी में अर्थ (Earth) और लैटिन भाषा में टेरा (Terra) कहते हैं। इसके अलावा इसे धरा, भूमि, धारित्री, रत्नगर्भा और गाया के नाम से भी जाना जाता है। पृथिवी एक संस्कृत शब्द हैं, जिसका अर्थ है – ‘एक विशाल धरा’। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महान सूर्यवंशी राजा महाराज पृथु के नाम पर इसका नाम पृथ्वी रखा गया था। वैदिक उपाख्यानों के अनुसार पृथ्वी को भगवान विष्णु की दूसरी पत्नी भी माना जाता है।

धरती की सतह पर जीवन का उद्भव लगभग एक अरब वर्ष पहले हुआ था। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी, बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने, इस ग्रह के वायुमंडल और अन्य अजैवकीय (Abiotic) परिस्थितियों को भी बदला और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया।

धरती के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में प्रमुख भूमिका निभायी। बाद में छुद्रग्रह (Asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। समय-समय पर होने वाले परिवर्तनों ने धरती की सतह को एक नयी आकृति प्रदान की है।

इन प्रक्रियाओं में विवर्तनिकी और क्षरण, ज्वालामुखी विस्फोट, बाढ़, अपक्षय, हिमाच्छेद, प्रवाल भित्तियों का विकास, और उल्काओं से पड़ने वाला प्रभाव आदि सम्मलित हैं। धरती के वायुमंडल और जलवायु के बारे में जानने के लिये Earth Information in Hindi यह लेख पढ़ें।

 

Structure of The Earth in Hindi

1. ज्यादातर लोग यही मानते है कि धरती पूरी तरह से गोल है, लेकिन वास्तव में हमारी पृथ्वी की आकृति अंडाकार है। घुमाव के कारण, पृथ्वी ध्रुवों पर चपटी और भूमध्य रेखा के आसपास उभार ली हुई प्रतीत होती है। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि भूमध्य रेखा पर पृथ्वी का व्यास, अक्ष-से-अक्ष के व्यास से 43 किलोमीटर (27 मील) ज्यादा बड़ा है। इस प्रकार पृथ्वी के केंद्र से सतह की सबसे लंबी दुरी, इक्वाडोर के भूमध्यवर्ती चिंबोराज़ो ज्वालामुखी के शिखर तक की है।

2. पृथ्वी की सतह का कुल क्षेत्रफल लगभग 51 करोड़ वर्ग किमी (197 मिलियन वर्ग मील) है। जिसमे से 70.8%, या 36.113 करोड़ वर्ग किमी (139.43 मिलियन वर्ग मील) क्षेत्र समुद्र तल से नीचे है और जल से भरा हुआ है। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब 71% भाग नमकीन जल (Salt-Water) वाले समुद्र से घिरा है, जबकि शेष 29 प्रतिशत भाग में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें आदि शामिल हैं।

3. शेष 29.2% (14.89 वर्ग किमी, या 57.51 मिलियन वर्ग मील) भाग जो पानी से घिरा हुआ नहीं है, जगह-जगह पर बहुत भिन्न है। क्योंकि यह पहाड़ों, रेगिस्तान, मैदानी, पठारों और अन्य प्राकृतिक संरचनाओं के रूप में बंटा हुआ हैं।

4. धरती की धुरी 23 डिग्री के कोण पर झुकी हुई है, इसके कारण ही एक साल में चार मौसम होते हैं।

5. पृथ्वी अपने अक्ष पर 1675 किमी/घंटा की रफ्तार से घूर्णन कर रही है।

6. हमारी धरती का वजन 5.97 x 10*24 किग्रा है।

Earth in Hindi धरती की संरचना

7. वैसे तो पृथ्वी का औसत व्यास 12,742 किलोमीटर (7, 918 मील) है। लेकिन कई स्थानों की आकृति इस आदर्श पैमाने से अलग नजर आती हैं। हालाँकि अगर हम वैश्विक स्तर पर तुलना करें तो पृथ्वी की त्रिज्या का यह अंतर बेहद मामूली सा ही है।

8. पृथ्वी का सबसे ज्यादा विचलन मारियाना ट्रेंच (समुद्रीस्तर से 10,911 मीटर या 35,797 फुट नीचे) में है, जो लगभग 0.17% है; जबकि माउंट एवरेस्ट (समुद्र स्तर से 8,848 मीटर या 29,029 फीट ऊपर) 0.14% का विचलन दर्शाता है। इसे आप एक उदाहरण से इस प्रकार समझ सकते हैं कि –

“अगर पृथ्वी, एक बिलियर्ड गेंद के आकार में सिकुड़ जाये तो, धरती के कुछ क्षेत्र जैसे बड़ी पर्वत श्रृंखलाएं और महासागरीय खाइयाँ (ओशन ट्रेंच), खुरदरे महसूस होंगे, जबकि ग्रह के अधिकतर भू-भाग, जैसे विशाल हरे मैदान और सूखे पठार आदि, चिकने महसूस होंगे।”

9. विषुवत रेखा पर धरती की परिधि (40,075 किमी), ध्रुवों पर पृथ्वी की परिधि (40,008 किमी) से कम है।

10. भूमि की सतह की सबसे कम ऊंचाई, मृत सागर (- 418 मीटर) और सबसे अधिक ऊंचाई, माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर) के शीर्ष पर देखने को मिलती है। समुद्र तल से भूमि की सतह की औसत ऊंचाई 840 मीटर है।

 

Inner Mystery of The Earth in Hindi

11. हमारी धरती की उपरी परत पर मिटटी, जल और रेगिस्तान देखकर यह मत सोचिये कि धरती बस यही है। आपको बता दें कि यह सब कुछ तो बस धरती की 40 किमी मोटी उपरी परत का छोटा सा हिस्सा भर है। धरती का केंद्र तो सतह से भी 7,500 किमी नीचे हैं। धरती की सतह बहुत बड़ी प्लेट्स जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं, में बंटी हुई है। यह प्लेट्स धरती के उपरी मेंटल में उत्पन्न होने वाली धाराओं के कारण लगातार गति करती रहती हैं।

12. पृथ्वी की आंतरिक कोर तो बिल्कुल ठोस लोहे और दूसरी धातुओं का एक गोला है, जिसके चारों ओर तरल लौह धातु भरी है। आंतरिक तापमान और घनत्व में लगातार परिवर्तन होने के कारण, इस लोहे में तरंगे पैदा होती हैं जो फिर विद्युत् धाराएँ पैदा करती हैं।

13. धरती के निरंतर घूर्णन करने के कारण यह विद्युत् धाराएँ एक चुम्बकीय क्षेत्र यानि मैग्नेटिक फील्ड पैदा करती हैं जिसके सहारे ही कम्पास की सुइयाँ दिशाओं की जानकारी प्रदान करती हैं। इस तरह देखा जाय तो धरती एक बहुत बड़ा चुम्बक है जिसे हम हमेशा मिटटी का ढेर ही समझते आये हैं।

14. धरती के केंद्र का तापमान लगभग 7,500 केल्विन है जो कि सूरज की सतह के तापमान से भी ज्यादा है।

Earth in Hindi धरती का चुम्बकीय क्षेत्र

15. पृथ्वी का अपना चुम्बकीय क्षेत्र है जो कि बाहरी केन्द्रक के विद्युत प्रवाह से निर्मित होता है। सौर वायु, पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र और इसका उपरी वातावरण मिलकर औरोरा बनाते है। इन तीनों मे हुए परिवर्तनों से पृथ्वी के चुम्बकीय ध्रुव गतिमान रहते है, यहाँ तक कि वह कभी-कभी विपरीत भी हो जाते है।

16. पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र और सौर वायु मिलकर Van Allen Radiation Belt (वान एण्डरसन विकिरण पट्टा) बनाते है, जो कि प्लाज्मा से बनी हुयी डोनट आकार के छल्लों की जोड़ी है। यह पृथ्वी के चारो ओर वलयाकार स्थित है। बाहरी बेल्ट 19,000 किमी से 41,000 किमी तक है, जबकि अंदरूनी बेल्ट 13,000 किमी से 7,600 किमी तक है।

Earth in Hindi धरती के परिभ्रमण से जुड़े तथ्य

17. सूर्य के सापेक्ष पृथ्वी का परिक्रमण काल जिसे सौर दिन भी कहते हैं 86,400 सेकेंड का होता है। Tidal Deceleration अर्थात ज्वारीय मंदी के कारण आज पृथ्वी का सौर दिन, 19वीं शताब्दी की तुलना में कुछ अधिक लंबा है और हर आने वाला दिन 1 SI मिलीसेकेण्ड अधिक लंबा होता हैं।

18. सूर्य की परिक्रमा करते समय, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है, इसी कारण से Earth का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसकी धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये यानि ऋतुएँ देखने को मिलती हैं।

19. वर्तमान समय में, पृथ्वी आम तौर पर अपनी धुरी पर लगभग 366.26 बार चक्कर काटती है। समय की यह अवधि एक नक्षत्र वर्ष (Sidereal Year) कहलाती है जो 365.26 सौर दिवस के बराबर है।

Earth in Hindi धरती की गति से जुड़े तथ्य

20. पृथ्वी के घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (Orbital Plane) से लम्बवत (Perpendicular) 23.4 डिग्री पर झुकी है, जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (Tropical Year) (365.24 सौर दिनों में) की अवधि में धरती की सतह पर ऋतुएँ पैदा करती है।

21. आसमान में स्थित स्थिर सितारों के सापेक्ष पृथ्वी की परिक्रमण अवधि को, अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी परिक्रमण और संदर्भ सिस्टम सेवा (आईआईएस) के अनुसार Stellar day (तारकीय दिन) कहते हैं। यह औसत सौर समय (यूटी1) के 86,164.0989091 सेकंड, या 23 घण्टे 56 मिनट और 4.098909191986 सेकेंड के बराबर होता है।

22. वातावरण के भीतर स्थित उल्काओं और निचली कक्षाओं के उपग्रहों के अलावा, पृथ्वी के आकाश में दिखने वाले आकाशीय पिंडों की मुख्य गति, पश्चिम की ओर, 15 डिग्री/ घंटे = 15 ‘/ मिनट की दर से होती है।

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Solar System and Earth Facts in Hindi

23. अगर हम Solar System के मानकों पर कसें तो धरती पर उपलब्ध प्रत्येक तत्व दुर्लभ है, क्योंकि Solar System का ज्यादातर हिस्सा हाइड्रोजन और हीलियम से बना है। जबकि आयरन, ऑक्सीजन, सिलिकॉन, मैग्नीशियम, सल्फर, निकिल, सोडियम, एल्युमीनियम और दूसरे तत्व, जो धरती की सतह पर प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं, दूसरे सभी ग्रहों पर बेहद मुश्किल से ही मिलते हैं।

24. भले ही हमारी धरती Solar System का सबसे प्राचीन ग्रह न हो, लेकिन इसका निर्माण सूरज के पैदा होने के थोड़े समय पश्चात 4.5 अरब वर्ष पूर्व ही होना आरंभ हो गया था। वैज्ञानिकों ने दुनिया भर से इकठ्ठा की गयी चट्टानों और मेटोराईटस की आयु का निर्धारण करने के पश्चात यह निष्कर्ष निकाला है।

25. पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पर अंतरिक्ष में स्थित दूसरे पिंडो का भी प्रभाव पड़ता है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा का। क्योंकि जहाँ सूर्य सौर मंडल का सबसे विशाल और भारी पिंड है, वहीँ चन्द्रमा पृथ्वी का सबसे नजदीकी खगोलीय पिंड और एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं।

धरती और दूसरे आकाशीय पिंडों से जुड़े तथ्य

26. 350 करोड़ साल पहले एक बहुत बड़ा एस्टेरोइड जो लगभग 30 मील लंबा-चौड़ा था, ऑस्ट्रेलिया में धरती से टकराया था। इसके टकराने से सुनामी की जो लहरें पैदा हुई थीं, उनसे अमेरिका के कई राज्यों से भी बड़े क्रेटर बन गये थे।

27. पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण ही समुद्र में ज्वार-भाटे आते है। चंद्रमा पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसके परिक्रमण को धीमा कर देता है।

28. हमारी पृथ्वी सूर्य से तीसरा ग्रह है और यह सौर मंडल का सबसे विशिष्ट ग्रह है, क्योंकि सभी ग्रहों में जीवन सिर्फ इसी पर है।

29. पृथ्वी बाहरी अंतरिक्ष, में सूर्य और चंद्रमा समेत, दूसरे पिंडो के साथ क्रिया करती है।

30. सूर्य की परिक्रमा करते समय, धरती का औसतन वेग 107,220 किमी/घंटा होता है।

Earth’s Satellites in Hindi धरती और इसके उपग्रह

31. पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (Natural Satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा 4.53 अरब साल पहले शुरू की थी। यह अपनी आकर्षण शक्ति से समुद्र में ज्वार पैदा करता है, धुरीय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है।

32. 3753 क्रुथने और 2002 टीके29 सहित धरती के साथ कम से कम पांच सह-कक्षीय क्षुद्रग्रह हैं। एक ट्रोजन क्षुद्रग्रह 2010 टीके7, अग्रणी लैग्रेज त्रिकोणीय बिंदु एल4 के आसपास पृथ्वी की कक्षा में सूर्य के चारों ओर भ्रमण करता रहता है।

33. नवम्बर 2018 तक, 1,880 कृत्रिम उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। वर्तमान में कक्षा में सबसे पुराना और निष्क्रिय उपग्रह वैनगार्ड 1, और 16,000 से अधिक अंतरिक्ष मलबे के टुकड़े भी घूम रहे हैं।

34. पृथ्वी के करीब 2006 आरएच 120 नामक एक छोटा क्षुद्रग्रह, हर बीस साल में पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली के लगभग करीब तक पहुच जाता है। इस दौरान, यह कुछ समय के लिए पृथ्वी की परिक्रमा करने लगता है।

35. पृथ्वी का सबसे बड़ा कृत्रिम उपग्रह, अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन है।

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Facts about The Earth and Oceans in Hindi

36. पृथ्वी की सतह पर पानी की बहुतायत एक अनोखी विशेषता है जो सौर मंडल के अन्य ग्रहों से इस “नीले ग्रह” को अलग करती है। पृथ्वी के जलमंडल में मुख्यतः महासागर ही आते हैं, लेकिन तकनीकी रूप से, दुनिया में उपस्थित अन्य जल स्रोत जैसे – अंतर्देशीय समुद्र, झीलें, नदियां और 2,000 मीटर की गहराई तक का भूमिगत जल भी इसमें शामिल हैं।

37. धरती की सतह पर उपलब्ध लगभग 97.5% पानी खारा है; शेष 2.5% ताजा पानी है। अधिकतर ताजा पानी (लगभग 68.7%), बर्फ के पहाड़ो और ग्लेशियरों की बर्फ के रूप में मौजूद है।

38. पृथ्वी के महासागरों की औसत लवणता, लगभग 35 ग्राम नमक/प्रति किलोग्राम समुद्री जल (3.5% नमक) है।

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Earth’s Oceans in Hindi धरती और इसके महासागर

39. महासागरों का द्रव्यमान लगभग 1.35×10*18 मीट्रिक टन या पृथ्वी के कुल द्रव्यमान का 1/4400 हिस्सा है। महासागर औसतन 3682 मीटर की गहराई के साथ, 3.618×10*8 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले हुए है, जिसकी अनुमानित मात्रा 1.332 ×10*9 घन किमी हो सकती है। यदि पृथ्वी की सारी उबड़-खाबड़ सतह, एक समान चिकने/समतल क्षेत्र के रूप में हो जाय, तो महासागर की गहराई 2.7 से 2.8 किमी होगी।

40. महासागर की सतह के नीचे महाद्वीपीय शेल्फ का अधिक हिस्सा है। महासागर की सतह, महाद्वीपीय शेल्फ, पर्वत, ज्वालामुखी, समुद्री खंदक, समुद्री-तल दर्रे, महासागरीय पठार, अथाह मैदानी इलाके, और मध्य महासागर रिड्ज प्रणाली से भरे पडे हैं।

41. सागर का औसत धरातल 12 हजार फीट गहरा है। पानी के नीचे का सबसे गहरा स्थान, प्रशांत महासागर में मारियाना ट्रेंच का चैलेंजर डीप है जो 10,911.4 मीटर गहरा है।

42. अटलांटिक महासागर की सम्पूर्ण सतह का जल, प्रशांत महासागर की तुलना में कुछ ज्यादा खारा होता है।

43. उत्तरी अटलांटिक महासागर हर साल एक इंच चौड़ा होता चला जा रहा है।

44. प्रशांत महासागर धरती का सबसे बड़ा महासागर है, यह धरती के समस्त स्थल भाग से भी बड़ा है।

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Amazing Facts about Earth in Hindi

45. धरती के अन्दर एक पूरा भूगर्भीय महाद्वीप है जिसे जेलानडिया कहा जाता है। हालाँकि इसकी खोज नयी नहीं है और कई भूगर्भ विज्ञानी इसके अस्तित्व पर वर्षो से बहस कर रहे हैं। लेकिन सन 2017 में वैज्ञानिकों की एक टीम ने निर्णय दिया कि जेलानडिया एक डूबे हुए महाद्वीप की सारी औपचारिकताएं पूरी करता है।

46. धरती पर सबसे बड़ा ज्वार फंडी की खाड़ी में आता है। यहाँ आने वाली ज्वारीय तरंगों के शिखर और गर्त का अंतर 16.6 मीटर तक हो सकता है, यानि किसी पाँच मंजिले मकान जितना ऊँचा।

47. हवाई, जो पैसिफिक प्लेट के मध्य में स्थित है, उत्तर-पश्चिम दिशा में, उत्तरी अमेरिका प्लेट की तरफ धीरे-धीरे अग्रसर होते हुए अलास्का की ओर 7.5 सेमी/प्रति वर्ष की गति से बढ़ रहा है।

48. धरती पर 75 प्रतिशत ज्वालामुखी Pacific Ring of Fire (प्रशांत महासागर के चारों ओर फैला क्षेत्र) में मिलते हैं, वहाँ जहाँ भूगर्भीय प्लेट्स (Tectonic Plates) मिलती हैं।

49. धरती के रेगिस्तान वास्तव में बेहद शुष्क और उजाड़ हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारा चाँद गोबी मरुस्थल से भी 10 लाख गुणा ज्यादा शुष्क है।

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Earth Facts in Hindi धरती से जुड़े कुछ अद्भुत तथ्य

50. चूँकि धरती की घूर्णन गति वक्त के साथ बदलती रहती है। इसलिये जब धरती पर कभी डायनासोर रहा करते थे, उस समय दिन सिर्फ 23 घंटे का हुआ करता था।

51. धरती पर आज तक दर्ज किया गया सबसे ज्यादा तापमान 58 डिग्री सेंटीग्रेड रहा है, जिसे सन 1922 में लीबिया में दर्ज किया गया था।

52. इसी तरह धरती पर आज तक दर्ज किया गया सबसे कम तापमान -89.6 डिग्री सेंटीग्रेड रहा है, जिसे सन 1983 में अन्टार्कटिका में दर्ज किया गया था।

53. अन्टार्कटिका की बर्फ के लगातार पिघलने के कारण, इस क्षेत्र की ग्रेविटी में भी थोडा सा परिवर्तन हो गया है। http://www.t.co/SCLEezDuF5

54. सन 2011 में जापान के निकट आये भूकंप ने धरती की परिक्रमण गति को बढ़ा दिया था।

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55. अगर आप धरती के आर-पार बिल्कुल सीधाई में खोदें और उस छेद में कूद जाँय, तो आप दूसरी तरफ से सिर्फ 42 मिनट और 12 सेकेण्ड में बाहर निकल जायेंगे।

56. गुरुत्वाकर्षण बलों के कारण, आपका वजन तब कुछ ज्यादा हो जाता है, जब चाँद आपके सिर के बिल्कुल उपर होता है।

57. धरती की सतह पर पाये जाने वाले ज्यादातर हीरे, 1 अरब से 3 अरब साल पुराने हैं।

58. अगर आपका वजन धरती पर 68 किलो है, तो यह चंद्रमा पर सिर्फ 11 किलो होगा।

59. अगर धरती पर आपका वजन 68 किलो है, तो यह बृहस्पति पर 159 किलो होगा।

60. अगर आपका धरती पर वजन 68 किलो है, तो सूरज पर 1,905 किलो होगा।

61. समुद्र में उठने वाले ज्वार भाटे सूर्य और चाँद के कारण होते हैं।

“समंदर का सबसे गहरा भाग प्रशांत महासागर में स्थित मेरीआनस ट्रेंच में पड़ता है जो कि लगभग 35,813 फीट यानि 10,916 मीटर गहरा है। इतनी ज्यादा गहराई पर दाब भी बहुत ज्यादा यानि 9172 किग्रा/इंच होता है। यह दाब कितना ज्यादा है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि अगर यह दाब सिर्फ 1 सेकेण्ड के लिये किसी मनुष्य के शरीर पर लगाया जाय, तो उसकी देह के हजारों टुकड़े हो जायेंगे।”
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