Why Value of Indian Rupee is Falling Against Dollar in Hindi

 

“वैश्विक अर्थव्यवस्था में मची उथल-पुथल से भारत भी अछूता नहीं रह पाया है और रूपये के लगातार गिरने से देश में हाहाकार मचा हुआ है। 18 सितम्बर के दिन रुपया रिकार्ड स्तर 72.9 रूपये प्रति डॉलर तक नीचे चला गया था। आज हर जागरूक देशवासी परेशान है कि आखिर क्यों रुपया दिनोंदिन रसातल में धँसता चला जा रहा है और भारत सरकार मुद्रा की साख बचाने के लिये क्यों कुछ नहीं कर रही है।”

 

निश्चित रूप से सरकार भी एक हद तक मुद्रा के अवमूल्यन के लिये जिम्मेदार होती हैं, लेकिन ऐसे कई कारण हैं जो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में किसी देश की मुद्रा की वास्तविक कीमत तय करते हैं। आज Indian Rupee in Hindi में हम आपको बतायेंगे कि आखिर रुपया क्यों इतना नीचे गिरता चला जा रहा है और किसी देश की मुद्रा का निर्धारण किस प्रकार से होता है। साथ ही हम आपको यह भी बतायेंगे कि कोई देश किस प्रकार से अपनी मुद्रा की साख को, इसका अवमूल्यन होने से बचाये रख सकता है।

Bad Situation of Indian Rupee भारतीय मुद्रा रूपये का बुरा हाल

अप्रैल 2018 से अब तक रुपया 6 प्रतिशत से भी ज्यादा नीचे गिर चुका है और सभी एशियाई देशों में इसका प्रदर्शन सबसे अधिक बुरा रहा है। अभी कुछ ही दिन पहले रूपये के लगातार नीचे गिरने के कारण भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को मई 2018 में 12 अरब डॉलर बाजार में निकालने पड़े थे, क्योंकि रुपया 71 रूपये प्रति डॉलर से भी ज्यादा नीचे गिर गया था। ऐसा नहीं है कि भारतीय मुद्रा Rupee पहली बार ही इतने दबाव में आयी है।

इससे पहले नवंबर 2016 में भी RBI को लगभग 50 करोड़ डॉलर बेचने पड़े थे तब जाकर कहीं रूपये को थामा जा सका था। लेकिन इस बार की परिस्थिति आजादी के बाद की सबसे बुरी स्थिति कही जा सकती है, क्योंकि इतने प्रयासों के बावजूद रूपये का तेजी से गिरना बदस्तूर जारी है। अधिकांश आर्थिक विश्लेषक मान रहे हैं कि गिरते रूपये को थामने के लिये RBI अभी कम से कम 25 अरब डॉलर और बेच सकता है।

इस साल रुपया अब तक 11.6 प्रतिशत से अधिक नीचे गिर चुका है जो बहुत ज्यादा चिंता की बात है। लेकिन सरकार के कई अधिकारी और मंत्री जो स्वयं को आर्थिक विश्लेषक बताते हैं, मूर्खतापूर्ण ढंग से यह कहते हुए हुए लज्जित नहीं होते कि रुपया अगर 80 से भी नीचे चला गया तो भी चिंता की कोई बात नहीं है।

जबकि अमेरिका जैसा विकसित देश जिसकी मुद्रा संसार की सबसे मजबूत और विश्वसनीय मुद्रा मानी जाती है, कुछ सेंट का परिवर्तन होते ही उसे स्थिर करने के प्रयास आरम्भ कर देता है। जापानी येन को छोड दिया जाय तो लगभग अधिकतर समृद्ध एशियाई देशों की मुद्रा डॉलर के सामने मजबूत सिद्ध होती है। आजादी के समय 1 डॉलर का मूल्य 1 रूपये (Rupee) के बराबर था और आज यह 72 रूपये के स्तर पर आ गया है।

कौन जाने यह भविष्य में कितनी जल्दी 100 के स्तर को पार कर जायेगा। 31 मई 2014 के दिन रुपया प्रति डॉलर 59.20 रूपये के स्तर पर चल रहा था और आज यह 73 पर पहुँच गया है। स्थिति यह है कि रुपया हर दिन अविश्वसनीय तरीके से ऊपर-नीचे हो रहा है।

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Why Rupee is Falling Agaist Dollar in Hindi

1. रूपये के लगातार गिरने का सबसे बड़ा कारण है – कच्चे तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि होना। सभी जानते हैं कि अपनी तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिये भारत को भारी मात्रा में तेल आयात करना पड़ता है और ऐसा करने के लिये भारी विदेशी मुद्रा, जो डॉलर ही होती है, चुकानी पड़ती है।

2. तेल की कीमतें कुछ समय तक स्थिर रहने के बाद उनमे एकाएक बढ़ोत्तरी होने से भी रुपया तेजी से नीचे गिरा। तेल की कीमतें आजकल 75 डॉलर प्रति बैरल पर चल रही हैं, जब-जब तेल की कीमतें ऊपर होती हैं रुपया नीचे गिरता है, क्योंकि निर्यातक डॉलर खरीदना ही पसंद करते हैं।

3. संयुक्त राज्य अमेरिका अपने मित्र देशों और व्यापारिक संबंधियों से ईरान से तेल न खरीदने का दबाव बना रहा है जो कि दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते ही भारत को ईरान से अपना तेल निर्यात आधा करना पड़ा है जिसके कारण भी रुपया नीचे गिरा है। नवम्बर 2017 से ही यह प्रतिबन्ध लागू है।

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डॉलर के विरुद्ध रुपया क्यों इतना नीचे गिर रहा है

4. भारत दुनिया का सबसे बड़ा सोने का आयातक देश है और इस सोने को खरीदने के लिए भारत को हर साल 1 लाख करोड़ रूपये से भी ज्यादा मूल्य की विदेशी मुद्रा चुकानी पड़ती है। अगर भारतीय, विशेषकर स्त्रियाँ सोने के प्रति अपना अनावश्यक मोह छोड़ सकें, तो भारी विदेशी मुद्रा की बचत होने से रूपया बेहद मजबूत हो सकता है।

5. भारत का आयात निर्यात की तुलना में अधिक होने के कारण व्यापार घाटा बढ़ा है। इससे भी रुपये का अवमूल्यन हुआ है, क्योंकि आयात अधिक होने पर भारी विदेशी मुद्रा चुकानी पड़ती है और देशी मुद्रा दबाव में आ जाती है।

6. तुर्की से अमेरिका के मतभेद उभरने और उसकी अर्थव्यवस्था के मंदे होने के चलते तुर्की की मुद्रा लीरा का बहुत ज्यादा अवमूल्यन हुआ है । इसका दूरगामी और त्वरित प्रभाव भारतीय रूपये पर भी पड़ा है।

7. चीन और अमेरिका के बीच शुरू हुए वैश्विक व्यापारिक युद्ध के कारण भी रूपये पर अनावश्यक दबाव पड़ा है जिसके कारण रुपया गिरा। पिछले कई दिनों में युआन की कीमतें भी काफी तेजी से नीचे गिरी हैं।

8. ज्यादातर देशों में मंदी छायी होने के कारण बाजार में डॉलर की भारी माँग बनी हुई है जिसके कारण रुपया बेहद दबाव में है, इसी कारण से यह इतना नीचे गिर गया है।

9. डॉलर की निकासी में आयी एकाएक तेजी ने ज्यादातर एशियाई देशों की मुद्राओं को धराशायी होने पर मजबूर किया है जिनमे भारतीय रुपया भी शामिल है।

10. इन सब कारणों के कारण ही कई उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में डॉलर तेजी से उपर चढा है और Rupee जैसी देशी मुद्राओं का अवमूल्यन हुआ है।

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Disadvantages of A Weak Rupeee in Hindi

1. विदेश में पढने वाले भारतीय छात्रों को अब अपनी शिक्षा पर पहले की तुलना में ज्यादा पैसा खर्च करना होगा। इससे उन भारतीय अभिभावकों पर बहुत ज्यादा बोझ पड़ेगा जो पहले से ही सीमित संसाधनों में निर्वाह कर रहे हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार इससे प्रत्येक अभिभावक पर 1 से 3 लाख रूपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा।

2. डॉलर की तुलना में रूपये के कमजोर पड़ने से विदेशों में घूमना-फिरना महँगा हो जायेगा। विदेश भ्रमण को उत्सुक भारतीय नागरिकों और व्यवसाय के सिलसिले में निरंतर यात्रा करने वाले पेशेवरों को अब वस्तुओं और सेवाओं की अधिक कीमत चुकानी होगी।

3. कम्प्यूटर, मोबाइल, इलेक्ट्रोनिक सामान, विदेशी कारें, कच्चा तेल और दूसरे आयातित सामान अब और महँगे हो जायेंगे।

कमजोर रूपये से क्या नुकसान होगा

4. देश में पेट्रोल, डीजल और दूसरे पेट्रो उत्पादों की कीमत बढ़ जायेगी।

5. परिवहन की लागत बढ़ने से अधिकांश रोजमर्रा के सामान महँगे हो जायेंगे और इससे मुद्रास्फीति भी बढ़ जायेगी।

6. यदि मुद्रास्फीति की दर बढती रही तो RBI यानी भारतीय रिज़र्व बैंक कर्ज की ब्याज की दर को बढ़ा देगा।

7. रूपये के नीचे गिरने से अर्थव्यवस्था में मंदी आयेगी और निवेश मंद पड़ सकता है।

8. ब्याज दर ऊँची रहने के कारण घर बनाना आदि महँगा हो जायेगा, क्योंकि तब होम लोन पर अधिक EMI चुकानी होगी।

How to Save Rupee in Hindi रूपये का अवमूल्यन कैसे रोकें

1. रूपये को नीचे गिरने से बचाने के लिये (Save Rupee from Downfall) RBI को बाजार में भारी मात्रा में डॉलर को छोडना होगा जिससे रूपये की माँग में तेजी आये।

3. सरकार को निवेश का वातावरण बनाना होगा जिससे विदेशी निवेशक यहाँ आकर निवेश करें।

4. सरकार को निर्यात को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ आयातित वस्तुओं पर निर्भरता कम करनी होगी। इसके लिये आवश्यक है कि उन चीजो का उत्पादन देश में ही किया जाय जिनके लिये भारी विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है।

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Top Reason for Rupee Depreciation in Hindi

भारत सरकार अमेरिका और चीन से सीख ले

आयातित वस्तुओं पर निर्भरता कम करके कैसे आत्मनिर्भर बना जाय, इसके लिये भारतीय सरकार को संयुक्त राज्य अमेरिका से सबक लेने की जरुरत है जिसने अपनी उर्जा जरूरतों विशेषकर पेट्रोलियम की कमी को पूरा करने के लिये शेल टेक्नोलॉजी का सहारा लिया। आज अमेरिका की तेल आवश्यकता का 50 प्रतिशत शेल तेल से पूरा होता है।

वहीँ दूसरी तरफ चीन ने अपने बंजर और निरुपयोगी विशाल रेगिस्तानी क्षेत्रों में पेट्रोलियम सहित दूसरे कई खनिजों की खोज करके उनका दोहन आरम्भ कर दिया है। जबकि भारत में अभी तक वह सर्वे तक पूरा नहीं हो सका है जिसके अनुसार राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र में सोने, तांबे और पेट्रोलियम सहित कई खनिजों की उपस्थिति का पता चला था।

इसे Policy Paralysis कहना ज्यादा तर्कसंगत होगा कि देश में बायो फ्यूल जैसे कि एथेनोल आदि के निर्माण और उत्पादन की व्यवस्था बेहद आसानी से संभव है, लेकिन सरकारों की उदासीनता और अज्ञानता के चलते इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो पायी है।

Rupee Downfall रूपये के गिरने का सबसे बड़ा कारण

सन 2017 में भारत ने 215 मिलियन (21.5 करोड़) टन से भी अधिक कच्चा तेल आयात किया था और यह सुनने तथा पढने में दुखद लगता है कि हम प्रति वर्ष 5 लाख करोड़ रूपये से भी ज्यादा मूल्य का कच्चा तेल दूसरे देशों से आयात करते हैं। पिछले 70 वर्षों में भी इस दिशा में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हो पायी है कि कैसे हम अपनी हर साल बढती जा रही तेल की जरूरतों को पूरा करें। आज अमेरिका में कई कंपनियाँ शेल टेक्नोलॉजी के माध्यम से तेल का उत्पादन कर रही हैं।

जबकि हमारे देश में बायो फ्यूल का निर्माण करने के लिये अभी तक एक कारखाना भी नहीं लग सका है। इस दिशा में ध्यान देने योग्य बात यह है कि पिछले 13-14 वर्षों से सरकारें जैविक ईंधन के इस्तेमाल पर जब तब बातें करती रहीं हैं, लेकिन उनसे इतना भी नहीं हो सका है कि वह पेट्रोल में न्यूनतम 10 प्रतिशत एथेनाल मिश्रण की सीमा भी सुनिश्चित कर सकें।

कोई भी राष्ट्र, निष्क्रिय रहकर अपनी संख्या के एक छोटे अंश से अधिक संख्या में स्वयं को बचाये नहीं रख सकता। अधिकांश बहुमत को अवश्य ही किसी उत्पादक चीज़ के लिये परिश्रम करना चाहिये। हमें आशा है कि अब आपको भली-भांति रूपये के अवमूल्यन का कारण (Reason Behind Downfall of Rupee) समझ में आ गया होगा।

आगे के लेख में आप जान सकते हैं कि आखिर किसी भी देश की मुद्रा का मूल्य किस प्रकार से तय होता है और मुद्रास्फीति किस प्रकार से पनपती है और कैसे यह लोगों के जीवन यापन को मुश्किल बनाती है। आशा है भारतीय मुद्रा रूपये के डॉलर के सापेक्ष अवमूल्यन पर दिया यह लेख Indian Rupee in Hindi आपको पसंद आया होगा। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) निवेशकों को लुभाने के लिये और डॉलर आकर्षित करने के लिये ब्याज दर को ऊँचा उठा सकता है।

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