Body Language in Hindi: How to Know A Human

 

“अच्छा सोचना अक्लमंदी है, अच्छी योजना बनाना और बड़ी बुद्धिमानी है, पर अच्छा करना सबसे बुद्धिमानी का काम है और सर्वश्रेष्ठ है।”
– अज्ञात

 

Complete Body Language Tips in Hindi
Body Language से जानिये स्त्री और पुरुषों के व्यक्तित्व के रहस्य

What is Body Language in Hindi क्या है शारीरिक भाषा

Body Language Guide in Hindi में आज हम आपको बॉडी लैंग्वेज के अनोखे रहस्यों से परिचित करायेंगे। Body Language या शरीर की भाषा, अमौखिक संचार (Non-verbal Communication) का ही एक रूप है जिसमें शरीर की मुद्राओं, चेहरे की अभिव्यक्ति, इशारों और आँखों की गति के द्वारा अपना मंतव्य प्रकट किया जाता है। पर प्राचीन भारतीय मनीषियों के अनुसार शारीरिक भाषा मे मुद्राओं और इशारों के अतिरिक्त, मनुष्य के शारीरिक अंगों की माप और शारीरिक चिन्ह भी शामिल हैं।

क्योंकि यह भी शरीर के साथ अभिन्न रूप से जुड़े हैं और इन्हें जाने बिना Body Language का ज्ञान अपूर्ण है। बॉडी लैंग्वेज एक ऐसी अद्भुत कला है जिसके जरिये इस विधा में पारंगत कोई भी व्यक्ति किसी अन्य पुरुष या स्त्री के व्यक्तित्व, आदत, व्यवहार व चरित्र का गंभीर आँकलन, उनके शरीर के अंगों, मुद्राओं व चिन्हों के आधार पर स्वयं ही कर सकता है।

या फिर यह कहें कि यह वह विज्ञान है, जिससे किसी इन्सान से बिना कुछ पूछे, उनके जीवन के गुप्त रहस्यों को भली-भांति जाना व समझा जा सकता है। क्योंकि हमारा यह जैविक शरीर हमारे उस सूक्ष्म शरीर का ही मूर्त रूप है, जो इच्छाओं, विचारों, भाव-संवेदनाओं और सुद्रढ़ आदतों से निर्मित हुआ है।

इंसान जाने-अनजाने अपने शरीर के द्वारा इस तरह के संकेत भेजता है जिससे उसके मनोभावों और अभिरुचियों का पता आसानी से चल जाता है, और यही नहीं, वह इन संकेतों को समझता भी है। यह माना जाता है कि मानव संप्रेषण का 60-70 प्रतिशत भाग उसकी बॉडी लैंग्वेज और दूसरे संकेतों से मिलकर बना होता है, जबकि शब्दों या मौखिक संप्रेषण/ संचार का हिस्सा इसमें सिर्फ 30 या 40 प्रतिशत तक ही होता है।

भारत और पाश्चात्य जगत के बॉडी लैंग्वेज पर मत

पाश्चात्य सभ्यता और उसके समर्थक देशों ने Body Language के जो सूत्र और सिद्धांत निर्मित किये हैं, वह प्राचीन भारतीय ऋषियों द्वारा गहन अनुसंधान के पश्चात और मनुष्य के शारीरिक लक्षणों, मानसिक चेष्टाओं और भावनात्मक आवेगों की अत्यंत दीर्घ काल तक की गयी परीक्षा के उपरान्त निर्मित हुए सामुद्रिक शास्त्र (शारीरिक भाषा विज्ञान का उच्चतर स्वरुप) की तुलना में अत्यंत संकुचित और अस्पष्ट हैं।

क्योंकि भारत का यह प्राचीन, गहन विज्ञान किसी एक व्यक्ति द्वारा प्रतिपादित नहीं है, बल्कि न जाने कितने ऋषियों, योगियों, विद्वानों और अन्वेषणकर्ताओं के सम्मिलित प्रयासों का परिणाम है। हमारा सामुद्रिक शास्त्र शरीर के समस्त लक्षणों, चिन्हों, मुद्राओं व मानसिक चेष्टाओं को आधार बनाकर व्यक्ति के स्वभाव की विस्तृत, वास्तविक और गहन व्याख्या करता है।

जबकि आधुनिक पाश्चात्य विद्वान् शरीर की केवल कुछ विशेष मुद्राओं और भाव-भंगिमाओं के आधार पर ही किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का समग्र मूल्यांकन करते है। इसीलिये यदि आपको किसी व्यक्ति की Personality का सटीक विश्लेषण करना है, तो अपने पूर्वजों, उन महान ऋषियों द्वारा प्रणीत उसी सामुद्रिक शास्त्र की शरण में जाना ही श्रेयस्कर है, जो किसी प्रकार का संदेह नहीं छोड़ता और मनुष्य के छुपाये गये वास्तविक स्वरुप को प्रकट कर देता है।

 

Importance of Body Language in Hindi

नंबरों और नौकरी की दौड़ में व्यस्त आपमें से अधिकांश लोग शायद नहीं जानते होंगे कि जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहाँ इस महान विधा की जानकारी आपके लिये फायदेमंद नहीं होगी। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और जब तक कोई भी व्यक्ति सामाजिक संबंधों में बंधकर जिंदगी गुजारने के लिये तैयार है, तब तक उसे मनुष्यों के साथ अनिवार्य रूप से रहना ही होगा, उनसे मेल-जोल रखना ही होगा।

जब-जब आपके जीवन में कोई नया व्यक्ति आपके साथ जुड़ेगा तब-तब Body Language के इस अनूठे ज्ञान की आवश्यकता आपको हमेशा रहेगी। क्योंकि यही वह एकमात्र साधन है जिसके जरिये आप किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का, उसकी आदतों का, उसके विचारों का, उसकी समझ का वास्तविक परिचय पा सकते हैं। इस दुनिया में 99% से भी अधिक लोग एक दोहरा व्यक्तित्व लेकर जीते हैं।

जो अपने सामान्य जीवन में एक सतही और लोगों की नज़रों में अच्छा लगने वाला व्यक्तित्व प्रकट करते हैं, पर जो वास्तविक जीवन में बिल्कुल बनावटी व आभासी होता है और सिर्फ उनके अपने एकांत के क्षणों और कुछ प्रियजनों के सामने ही प्रकट होता है। लेकिन कोई दूसरा उनके इस रूप को न तो जान पाता है और न ही पहचान पाता है।

छदम व्यक्तित्व के आधार पर बने रिश्तों का परिणाम होता है, यातनाओं, दुखों और विक्षुब्धताओं से भरे वह सम्बन्ध जो संपूर्ण जीवन की मधुरता और उसके सौंदर्य को नष्ट कर देते हैं और इस परिणाम को भुगतना पड़ता हैं, उन सरल व निर्दोष लोगों को जिन्होंने उनके उस आभासी रूप का विश्वास कर उन्हें अपने जीवन में स्थान दिया, अपना विश्वास सौंपा।

बॉडी लैंग्वेज के बारे में जानने की आवश्यकता क्यों है

इसके उदाहरण के रूप में शायद किसी को कुछ बताने की आवश्यकता न पड़े। क्योंकि समाज में दिन-रात फैलती बुराइयाँ, षड़यंत्र, छल-कपट, विश्वासघात और उनके कारण होने वाले अपराध, जिन्होंने न जाने-कितने नर-नारियों के जीवन की ऊँची अभिलाषाओं को असमय ही कुचल दिया, बल्कि संसार को भी एक ऐसा स्थान बना दिया, जहाँ सच्चे व सरल व्यक्तियों पर भी कोई विश्वास नहीं करना चाहता, इस बात का ज्वलंत प्रमाण हैं।

यह निर्विवाद तथ्य है कि किसी दूसरे व्यक्ति को सुधारना, उसके व्यक्तित्व में परिवर्तन लाना संसार में सबसे मुश्किल काम है और यदि वह तैयार न हो तो नितांत असंभव। यह कार्य तो खैर हमारे वश में नहीं है, लेकिन हम इतना तो कर ही सकते हैं कि अपने जीवन में प्रवेश करने वाले दूसरे व्यक्ति के स्वभाव की कुछ तो परीक्षा कर सके।

विशेषकर तब जब हम उन्हें अपना विश्वास सौंपने जा रहे हों, क्योंकि अगर उन्होंने हमें धोखा दिया, तो यह उनकी धूर्तता होगी, लेकिन यदि हमने अपने अज्ञान के कारण स्वयं ही नुकसान उठाया, तो यह हमारी मूर्खता होगी। आप लोगों में से कुछ लोग शायद इस बात का विश्वास नहीं करेंगे कि Body Language से न केवल इंसानों की, बल्कि पशुओं के स्वभाव व गुणों की भी जांच की जाती है।

जो लोग ग्रामीण पृष्ठभूमि के हैं, वे जानते ही होंगे कि जिन गाय-भैसों के थन व दुग्ध क्षेत्र बडा व विशाल होता है, वह छोटी नस्लों की तुलना में अधिक दूध देती हैं। जो बैल व घोड़े पूँछ की जड़ पर हाथ रखते ही उछल पड़ते हैं, वे दौड़ने व काम करने में सबसे आगे रहते हैं, यही बात मनुष्यों के सन्दर्भ में है।

 

Benefits of Body Language Art in Hindi

दिखने में तो सभी व्यक्ति एक जैसे ही लगते हैं – हड्डियों और माँस से बने हुए पुतले की तरह। लेकिन उनके व्यक्तित्व, चरित्र और स्वभाव में जमीन-आसमान का अंतर होता है जो उनके शारीरिक अंगों की माप, स्वरुप, उनकी मानसिक चेष्टाओं, मुद्राओं, वाकशैली आदि से प्रकट होता है, जिसके बारे में आप आगे चलकर पढेंगे।

आपने ध्यान दिया होगा कि जब आप एक स्कूल या कॉलेज के छात्र थे, तो प्रैक्टिकल के लिये आने वाला Examiner छात्रों से सवाल पूछने के साथ-साथ उनके शरीर की भाव-भंगिमाओं पर भी ध्यान देता था। जब कोई छात्र उत्तर देते समय अटकता था, तो वह जान रहा होता था कि इस छात्र को अपने उपर पूर्ण विश्वास नहीं है और न ही इसे प्रश्न का समुचित उत्तर पता है।

लेकिन जो छात्र बिल्कुल निडर और स्वाभाविक रूप से उसके प्रश्नों का सही उत्तर देते थे, वह उनकी प्रशंसा करते हुए उन्हें सबसे अच्छे अंक देकर जाता था। उनके अच्छे प्रदर्शन में केवल उनकी जानकारी का ही योगदान नहीं होता था, बल्कि उनकी प्रभावशाली Body Language की भी अहम् भूमिका रहती थी।

Body Language की जानकारी बहुत उपयोगी है

इस स्थिति का सामना हर व्यक्ति को उस समय भी करना पड़ता है, जब वह किसी नौकरी के लिये Interview में बैठता है। विशेषकर तब जब आप किसी प्रतिष्ठित पद के लिये अपनी योग्यता का दावा पेश करते हुए एक Panel Interview का सामना करते हैं। वहां बोर्ड का एक सदस्य केवल आपकी Body Language पर ही ध्यान रखता है।

वह अन्य सदस्यों की तरह आपसे कोई प्रश्न नहीं पूछता, बल्कि सिर्फ यह देखता है आपके उत्तर देते समय, बोलते समय, बैठते समय आपका शरीर कैसे प्रतिक्रिया करता है। चूँकि यह विषय बहुत बड़ा है, इसीलिये एक ही लेख में इसे पूर्ण कर पाना असंभव है। आप अपनी उत्कंठा बनाये रखिये, हम इसे कई लेखों की श्रंखला में पूर्ण करने का प्रयास करेंगे।

Body Language से हम केवल दूसरों के ही नहीं, बल्कि अपने स्वयं के व्यक्तित्व व स्वभाव की परीक्षा कर अपनी कमजोरियों को भी दूर कर सकते हैं और अपनी शक्तियों को पहचान सकते हैं, जो हमारे लिये जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में काम आयेंगी। चाहे अपने स्वयं के व्यक्तित्व को उत्तम व श्रेष्ठ बनाना हो या फिर दूसरे के व्यक्तित्व की वास्तविकता को जानना हो।

चाहे एक अव्वल विद्यार्थी बनना हो या फिर नौकरी या career में बहुत आगे बढ़ना हो, चाहे अच्छे मित्रों को चुनना हो या एक अच्छे जीवनसाथी की खोज करनी हो, चाहे भविष्य के अनागत की झलक पानी हो या अशुभ परिस्थितियों और दुखों से बचाव करना हो, Body Language का यह विशेष ज्ञान आपकी हमेशा सहायता करेगा। चाहे इस धरती पर हम रहे न रहें, लेकिन इस महान विज्ञान की प्रासंगिकता सदैव बनी रहेगी।

 

Body Language is Mirror of Human Personality

प्रत्येक शरीर की अपनी स्वयं की एक भाषा (Body Language) होती है, जो हमारे बिना जाने स्वाभाविक रूप से चेतन-अवचेतन मन के अनुरूप कार्य करती है। हम चाहे उसे अपनी वाणी से कैसे भी व्यक्त करें, लेकिन शरीर के क्रिया-कलाप हमारी यथार्थ भावना के अनुरूप ही होंगे। हमारे शरीर के अंग, शरीर पर जन्मजात बने चिंह, दाग, तिल, अंगों की माप, मानसिक भावनाओं के अनुरूप होने वाली शारीरिक चेष्टाएँ आदि सभी हमारे जीवन के गुप्त रहस्यों को जानने के साधन हैं।

जो हमारे व्यक्तित्व, मानसिक गठन, नैसर्गिक स्वभाव और चरित्र को प्रकट करते हैं। जिन्हें झूठ बोलकर या छिपाकर नकारा नहीं जा सकता, यथार्थ सत्य को परिवर्तित नहीं किया जा सकता। इनसे हम न केवल अपने व दूसरों के जीवन की महत्वपूर्ण जानकारी पा सकते हैं, बल्कि सुदूर भविष्य की आवश्यक जानकारी भी मिलती है।

Body Language से व्यक्ति की पहचान कैसे की जाती है

शारीरिक भाषा की इस विधा (Art of Body Language) में इन गूढ़ बातों पर ध्यान केन्द्रित कर किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व की जांच की जाती है –

1. शरीर पर जन्म से बने चिन्हों द्वारा – जैसे, तिल, मस्से, रेखाओं, दाग व निशानो से।

2. शरीर के अंगों के स्फुरण से – हाथ-पैर, कान, नाक, आँख आदि अंगों के फड़कने से।

3. शरीर के अंगों की माप और स्वरुप से – जैसे बाल, नाखून, मस्तक, नाक, हाथ, पैर, कमर, छाती, होंठ आदि से।

4. शरीर की मुद्राओं द्वारा – चलने-फिरने, बैठने, बोलने, सोचने, खाने-पीने, हँसने, इशारा करने आदि क्रिया-कलापों से।

ध्यान दीजिये पाश्चात्य जगत सिर्फ अंतिम विकल्प को ही बॉडी लैंग्वेज के अंतर्गत मानता है, उनकी दृष्टि में उपर के तीनों बिंदु ज्योतिष या भविष्य ज्ञान के अंतर्गत आते हैं, जबकि यह उचित नहीं है। बॉडी लैंग्वेज से व्यक्ति के रवैये और उसकी मनःस्थिति का पता चलता है।

जैसे इससे क्रोध, सुख, दुःख, पीड़ा, उबन, आक्रामकता, तल्लीनता और मनोरंजन के भावों की पहचान की जा सकती है। इसके अलावा बॉडी लैंग्वेज के माध्यम से यौन रूचि भी प्रकट की जाती है।

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Body Language Signs & Gestures in Hindi

Kinesics (काईनीसिक्स) बॉडी लैंग्वेज के लिये प्रयुक्त किया जाने वाला आधुनिक तकनीकी शब्द है, वैज्ञानिक रूप से कहें तो बॉडी लैंग्वेज का अध्ययन। अब हम आपको शरीर की कुछ मुद्राओं के अर्थ के बारे में बता रहे हैं जिससे आपको बॉडी लैंग्वेज की कला के बारे में कुछ आवश्यक जानकारी हो सके –

हाथों की मुद्राओं से बॉडी लैंग्वेज का ज्ञान

1. छाती के पास दोनों भुजाएँ तानकर बाँधना सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली शारीरिक मुद्राओं में से एक है, जिसका अर्थ है कि वह व्यक्ति विरोध व्यक्त कर रहा है। यह मतलब विशेष रूप से तब प्रदर्शित होता है जब वह व्यक्ति वक्ता से दूर जाने वाली ओर झुका होता है।
2. सिर के पीछे हाथ बाँधना व्यक्ति के आत्म-विश्वास को दर्शाता है।
3. अपनी पीठ के पीछे अपने हाथों को बांधना व्यक्ति के स्वयं पर नियंत्रण, विश्वास और ताकत का संकेत करता है।
4. हथेलियों (हाथ के अग्र भाग) को बगलों में दाबकर हाथ बाँधना डर और अधीनता का संकेत करता है।
5. घुटनों पर हाथ रखना व्यक्ति की तत्परता का संकेत करता है।

6. कूल्हों पर हाथ रखना व्यक्ति की आतुरता (जल्दीबाजी) का संकेत करता है।
7. बातें करते हुए कलाई दिखाना व्यक्ति के दिखावटीपन और अभिमान का संकेत होता है
8. हाथों को उपर की ओर बिल्कुल सीधे और फैलाकर खड़े होना – व्यक्ति के अन्दर की शक्ति और उपलब्धि के आनंद को प्रस्तुत करता है।
9. अपने हाथों से अपनी उपरी भुजाओं को पकड़ना, व्यक्ति की असुरक्षा की भावना को दिखाता है।
10. शरीर के सामने बैग को थामे रखना तनाव और निराशा का संकेत है। यह मुद्रा विशेष रूप से स्त्रियों में देखी जाती है।

11. छाती के सामने पेपर आदि को चिपकाये रखना भी तनाव और निराशा का संकेत है। यह मुद्रा विशेष रूप से पुरुषों में पायी जाती है।
12. अपने हाथों से अपने जननांगों या गुप्तांगों को ढकने का प्रयास करना, निराशा या असुरक्षा का संकेत करता है।
13. हथेलियाँ अगर उपर की ओर उठी हों या खुली हों तो यह सच्चाई, ईमानदारी, और नम्रता का प्रतीक है।
14. यदि हथेलियाँ नीचे की ओर हों तो यह प्रभुत्व, ताकत और अधिकार का प्रतीक हैं।
15. यदि हथेलियाँ उपर की ओर उठी हों और उपर-नीचे की ओर ऐसे गतिशील हो रही हों जैसे कुछ तौल रहे हों, तो यह इस बात का संकेत है कि व्यक्ति किसी जवाब को जानने का प्रयास कर रहा है।

16. यदि व्यक्ति का हाथ अपने दिल की तरफ हो, तो इसका तात्पर्य है कि विश्वास दिलाने का प्रयत्न हो रहा है।
17. यदि हाथ की अंगुली किसी आदमी की ओर दिखायी जाय तो यह आक्रामकता, खतरे और बल का संकेत करती है।
18. अँगुलियों को आपस में मोड़ना चेतावनी और अस्वीकृति का प्रतीक है।
19. अँगुलियों को एक-दूसरे में फँसाकर रखना निराशा, तनाव और नकारात्मकता का प्रतीक है।
20. दो अँगुलियों से बनाया गया साइन ‘V’ अवमानना और अपमान का संकेत करता है।

पैरों की मुद्राओं से बॉडी लैंग्वेज का ज्ञान

21. एक पैर कुर्सी की बांह के ऊपर रखते हुए बैठना, व्यक्ति की उदासीनता का संकेत करता है।
22. पैरों और पगों को एक निश्चित दिशा में रखना, व्यक्ति की उस दिशा को इंगित करता है जिसके लिए सबसे ज्यादा रूचि महसूस की जाती है।
23. पैरों को एक दूसरे पर चढ़ाकर बैठना, व्यक्ति के प्रतिरोध और कम ग्रहणशीलता को प्रदर्शित करता है।

24. किसी व्यक्ति की तरफ घुटने मोड़कर बैठना, व्यक्ति की उसकी बातें सुनने में रूचि प्रकट करता है।
25. पैरों को सिकोड़कर बैठना, व्यक्ति के डर, असुरक्षा और अनिश्चय की स्थिति का संकेत करता है।
26. पैरों को फैलाकर या खोलकर बैठना, व्यक्ति के अभिमान, ताकत और गर्व को प्रकट करता है।
27. बैठे रहकर हल्के से टांग हिलाना, व्यक्ति की आन्तरिक उद्धवेलित स्थिति का संकेत करता है।

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Quick Guide for Body Language in Hindi

चेहरे की मुद्राओं से बॉडी लैंग्वेज का ज्ञान

28. आँखों में आँखे डालकर बात करना या नज़रें मिलाकर बात करना व्यक्ति की सकारात्मक सोच और प्रचंड आत्मविश्वास का संकेत है। कभी-कभी यह झूठी ईमानदारी का भी संकेत करता है।
29. बालों को उछालते हुए बात करना, अभिमान, बड़प्पन और दूसरे की बातों में कम रूचि लेना प्रदर्शित करता है।
30. बात करते समय सिर मोड़ना, व्यक्ति की अरुचि का संकेत है।
31. घूरती हुई दृष्टि से किसी व्यक्ति को एकटक देखना, उसकी ईर्ष्यालु प्रवृत्ति के साथ-साथ गंभीर रूचि का भी संकेत होता है।
32. बार-बार बालों को आहिस्ते से छूना, व्यक्ति की उबने और बातों में उसकी अरुचि को प्रदर्शित करता है।

33. बात करते समय हौले से हँसना या मुस्कुराना, सहमति का प्रतीक है।
34. बातें करते समय पलकें बिल्कुल न झपकाना, गहन रूचि को प्रकट करता है। कभी-कभी इसका यह भी मतलब होता है कि व्यक्ति झूठ को सत्य बताने पर तुला है।
35. नजरें नीची करके बातें करना प्रदर्शित करता है कि व्यक्ति में अपनी बात के प्रति विश्वास कम है।
36. बातें करते समय कान छूना इस बात का संकेत करता है कि व्यक्ति को किसी तरह का अविश्वास है।
37. निगाह बचाकर या कनखियों से बातें करना, झूठ बोलना, और अविश्वास का प्रतीक है।

38. बातें करते समय बार-बार पलकें झपकाना, झूठ बोलने का संकेत है।
39. सिर हिलाना, सहमति का प्रतीक है।
40. थोड़ी को छूकर बात करना या उसे खरोंचना, इस बात का संकेत है कि व्यक्ति को दूसरे की बातों पर पूरा यकीन नहीं है।
41. बातें करते समय सिर को एक तरफ झुकाये रखना, उबने का संकेत करता है।
42. बात करते समय चेहरा छूना, किसी जानकारी को छुपाने और छल का संकेत है।

43. चेहरे की एक तरफ का दूसरी तरफ से ज्यादा क्रियाशील होना, बनावटी भावनाओं का प्रतीक है।
44. यदि भौहों के दोनों अंदरूनी किनारे गतिशील न हों और अन्दर को दबे हों, तो वह उतने दुखी नहीं होते जितने कि दिखायी देते हैं।
45. आँखों से सीधे संपर्क बनाते हुए हल्की सी मुस्कान देना, अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास हो सकता है।
46. भींचे हुए जबड़े, तनी हुई गर्दन और उपर को उठी हुई भौहें बेहद तनाव और गुस्से का संकेत हैं।

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शरीर के दूसरे भागों की मुद्राओं से बॉडी लैंग्वेज का ज्ञान

47. बार-बार कपडे ठीक करना, दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करने के प्रयास के अलावा यह भी प्रदर्शित करता है कि व्यक्ति स्वयं को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का प्रयास कर रहा है।
48. बातें करते समय बार-बार दूसरे व्यक्ति को छूना, उसकी रूचि को सिर्फ अपनी ही ओर करने का संकेत है।
49. अचानक से पेडू को घुमाना, चौंकाने की प्रवृत्ति के साथ-साथ अरुचि को भी प्रदर्शित करता है।
50. खेलने की मुद्रा में बातें करना, दूसरे को महत्व न देने का प्रतीक है।

इसके अतिरिक्त अनैच्छिक मानवीय भाव भी उपयोगी संकेत करते हैं और कुछ विशेष बातों के लिए महत्वपूर्ण जानकारियाँ देते हैं, जैसे –

51. जब कोई आदमी आँखों को मीचता है तो यह इस बात का संकेत है कि अब वह उब चुका है। यह व्यक्ति की थकन, उदासी और अरुचि का भी संकेत हो सकता है।
52. ठोढ़ी को आराम देना व्यक्ति की उदासीनता, सजगता का प्रतीक है। लेकिन ठोड़ी को अंगूठे और छोटी अँगुली से उपर उठाकर रखना विश्वास, निश्चितता और विश्लेषण का प्रतीक है।
53. नाक छूना या खुजाना व्यक्ति की शंकालु मनःस्थिति को प्रकट करता है। यह प्रदर्शित करता है कि व्यक्ति झूठ बोल रहा है या फिर बढ़-चढ़कर बातें बना रहा है।
54. किसी व्यक्ति का होठों को छूना यह प्रदर्शित करता है कि वह किसी बात पर विशेष रूप से विचार कर रहा है।

55. सिर खुजाना, अनिश्चय और संदेह की स्थिति का परिचायक है।
56. गर्दन पर खुजाना, संदेह और अविश्वास का प्रतीक है।
57. नाखून चबाना या काटना, निराशा और दबाव का संकेत है।
58. कान खुजाना, झूठ बोलने और बातों पर अविश्वास का प्रतीक है।

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बॉडी लैंग्वेज के इशारों को समझिये

लैंगिक रूप से उत्तेजित होने पर भी मनुष्य कई शारीरिक संकेत देता हैं जो दूसरे व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करने का संकेत है, जैसे –

59. स्त्रियों का टाँगों को एक-दूसरे में फँसाकर बैठना उनकी असुरक्षा और यौन अभिरुचि को प्रकट करता है।
60. बातें करते-करते करीब आ जाना।
61. आँखों की पुतलियों का फैलना।
62. अतिरंजित इशारे और गतियाँ करना।
63. आवाज को और प्रतिबिंबित करना।

बॉडी लैंग्वेज की मुद्राओं और इशारों की संख्या सैकड़ों में हैं। स्थानाभाव के कारण हम उन सभी का वर्णन नहीं कर सकते हैं। अगले लेखों से आप क्रमवार Body Language से व्यक्तित्व को प्रकट करने वाले इन साधनों के बारे में विस्तार से पढेंगे, जो न केवल आपको आश्चर्यचकित कर देंगे, बल्कि यह भी प्रमाणित कर देंगे कि विदेशियों की तुलना में अपने देश का विज्ञान कितना ऊँचा, प्रामाणिक और सटीक है।

हमें पूर्ण आशा है कि यदि आप संशयरहित मानसिकता से एक सच्चे जिज्ञासु की भांति इस अनमोल Body Language के ज्ञान को ग्रहण करने की दिशा में अग्रसर होंगे, तो किसी भी बात पर संदेह करने के लिये कोई स्थान नहीं रहेगा।

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“अगर आप पैसे से आजादी की उम्मीद करते हैं, तो आप इसे कभी हासिल नहीं कर सकेंगें। इस दुनिया में सच्ची सुरक्षा केवल ज्ञान, अनुभव और योग्यता की उपलब्धि में है।”
– हेनरी फोर्ड

 

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