Forgotten Female Freedom Fighters of India in Hindi

 

“यदि भारत की स्वतंत्रता में पुरुषों के सतत संघर्ष का योगदान हैं, तो इसमें स्त्रियों की कुर्बानियों और उनके त्याग की भी उपेक्षा नहीं की जा सकती हैं। आजादी की लड़ाई में भारतीय स्त्रियाँ पुरुषों के साथ-साथ कंधे से कंधा मिलाकर चली हैं। जिन्होंने कई मोर्चों पर, न केवल आगे बढ़कर नेतृत्व किया, बल्कि दूसरों के लिये भी प्रेरणास्रोत बनीं।
– पवन प्रताप सिंह

 

Top Women Freedom Fighters of India in Hindi

Female Freedom Fighters of India in Hindi में आज हम आपको त्याग और वीरता की प्रतिमूर्ति उन देवियों के बारे में बतायेंगे जिन्होंने भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराने के लिये एडी-चोटी का जोर लगा दिया, जिन्होंने देश के लिये अपनी जान की बाजी लगा दी थी। आज देशवासी उन कुछ महिला स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में ही जानते हैं जो न केवल अधिक सुशिक्षित और उच्च कुल से संबंधित थीं, बल्कि नेतृत्व क्षमता से भी युक्त थीं।

सतत संघर्ष के साथ आगे बढ़कर नेतृत्व करने के कारण आज उनका नाम इतिहास में अमर हो चुका है, लेकिन उन हजारों अज्ञात वीरांगनाओं (Female Freedom Fighters) का क्या, जो संघर्ष करते-करते ही वीरगति को प्राप्त हो गयी थीं और जिनके बारे में आज कोई कुछ भी इसलिये नहीं जानता, क्योंकि उनका नाम ऐतिहासिक अभिलेखों में दर्ज नहीं है।

बेहद सामान्य पृष्ठभूमि वाली यह वीर स्त्रियाँ इतनी सामान्य थीं कि उनके जाते ही लोग उन्हें भूल गये, लेकिन भारत की स्वतंत्रता में उनका योगदान उतना ही है जितना कि उन विख्यात वीरांगनाओं का। इसके अतिरिक्त उन लाखों माँओं, पत्नियों और बहनों का त्याग भी नहीं भूला जाना चाहिये, जिन्होंने अपनी संतानों, अपने पतियों और अपने भाइयों को आजादी के संघर्ष में खोया।

जिन्होंने उन वीरों के शहीद होने का नहीं, बल्कि उनके सपने पूरे न होने का शोक मनाया और जिनके आँसू भारत माता के उन सच्चे सपूतों के रक्त के साथ मिलकर, उस दुर्दमनीय प्रचण्ड आक्रोश की उत्पत्ति का आधार बने जिसके सामने अंग्रेजों का टिक पाना असंभव था।

भारत की उन सभी अज्ञात वीरांगनाओं (Female Freedom Fighters) के प्रति श्रद्धावनत होते हुए और उनके उस अपूर्व पराक्रम को नमन करते हुए आज हम आपको भारत की उन बीस महिला स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बतायेंगे जिन्होंने अपने साहस, नेतृत्व और कौशल से अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया और देश की आजादी की ध्वजवाहक बनी।

भारत के 100 सबसे महान स्वतंत्रता सेनानीयों पर एक विस्तृत लेख – 100 Freedom Fighters of India in Hindi

1. Durga Bhabhi दुर्गाभाभी

Female Freedom Fighter 1: दुर्गा भाभी के नाम से प्रसिद्ध दुर्गावती देवी (1902-1999) भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख वीरांगना (Female Freedom Fighter) थीं। यह क्रांतिकारी भगवती चरण बोहरा की धर्मपत्नी थीं। दुर्गा भाभी क्रान्तिकारियों की प्रमुख सहयोगी थीं, 18 दिसम्बर 1928 को भगत सिंह ने इन्ही दुर्गा भाभी के साथ वेश बदल कर कलकत्ता-मेल से यात्रा की थी। आजादी की लड़ाई में दुर्गाभाभी का एक अलग ही स्थान है।

क्योंकि इस वीर स्त्री ने उच्च कुल और अमीर परिवार में जन्म लेने के बावजूद देश की आजादी के लिये जितने कष्ट सहे, उतने शायद यहाँ वर्णित वीरांगनाओं में शायद ही किसी ने सहे हों। युवावस्था में ही पति की मृत्यु का असहनीय दुःख और उस पर से पुलिस की बारम्बार प्रताड़ना, घरवालों का त्याग और साथ ही एक अबोध शिशु के पालन-पोषण की भारी जिम्मेदारी, यह सब कुछ दुर्गा भाभी को अकेले ही सहना पड़ा।

पर इन भीषण विपत्तियों के बावजूद दुर्गा भाभी ने कभी हार नहीं मानी। भारत की यह वीरांगना कितनी साहसी थी, इसका पता तब चला जब इन्होने गवर्नर हैली को गोली से मारने का प्रयास किया था, और जब इन्होने मुंबई के पुलिस कमिश्नर को भी गोली मारी, तब तो अंग्रेज इनके पीछे ही पड़ गए थे। क्रांतिकारियों को हथियार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दुर्गा भाभी हिमालय के शौचालय नाम से एक बम बनाने की फैक्टरी भी चलाती थीं।

28 मई 1930 को रावी नदी के तट पर साथियों के साथ बम बनाने के बाद परीक्षण करते समय जब इनके पति शहीद हो गए, तो भी दुर्गा भाभी ने हौंसला नहीं खोया। उनके शहीद होने के बावजूद वह साथी क्रांतिकारियों के साथ सक्रिय रहीं। 14 अक्टूबर 1999 के दिन बेहद सामान्य जिंदगी जीते हुए भारत की इस महान वीरांगना (Female Freedom Fighter) ने गाजियाबाद में अंतिम साँस ली।

क्या जानते हैं आप भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में – National Symbols of India in Hindi

 

Woman Freedom Fighters Who Changed History

2. Matangini Hazra मातंगिनी हाजरा

Female Freedom Fighter 2: मातंगिनी हाजरा (1870-1942) भारत छोड़ो आन्दोलन और असहयोग आन्दोलन की सक्रिय सदस्य थीं। आजादी के प्रति उनका जोश इस बात से सहजता से समझा जा सकता है कि जिस आयु में लोग जीवन से उब जाते हैं और किसी प्रकार से अपने दिन काटते हैं उस आयु में उन्होंने स्वाधीनता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।

71 वर्ष की आयु में भी देशप्रेम की भावना उनमे इतने उच्च स्तर पर बलवती थी कि जब एक जुलूस के दौरान वह आजादी के प्रतीक भारतीय झंडे को हाथ में लेकर सबसे आगे चल रही थी तो तीन बार गोली मारने के पश्चात भी वह आगे ही बढती रहीं थीं।

अंग्रेजों द्वारा बलपूर्वक झन्डा छीनने का प्रयास करने के बावजूद उन्होंने तब तक ध्वज नहीं छोड़ा जब तक कि उन्होंने अपने प्राण नहीं त्याग दिये। भारत की इस साहसी वीरांगना (Female Freedom Fighter) ने वन्दे मातरम् कहते हुए वीरगति प्राप्त की और आजादी के भीषण महायज्ञ में एक और नायिका की आहुति पड़ी।

भारत से जुडी सामान्य ज्ञान की यह अद्भुत बातें हर किसी को जाननी चाहियें – India General Knowledge Facts in Hindi

3. Bhogeswari Phukanani भोगेश्वरी फुकनानी

Female Freedom Fighter 3: भोगेश्वरी फुकनानी (1885-1942) असम की प्रखर महिला स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थीं। अंग्रेजों ने इस साहसी वीरांगना (Female Freedom Fighter) की इसलिये निर्ममता से गोली मारकर हत्या कर दी थी, क्योंकि उन्होने भारतीय झंडे का अपमान करने वाले अंग्रेज अधिकारी की डंडे से पिटाई कर दी थी। भोगेश्वरी ने भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान पूर्वोतर राज्यों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रौढावस्था में भी उनके शौर्य को देखकर असम की जनता के ह्रदय में देशप्रेम की भावना घर करने लगी थी। अंग्रेजों को डर था कि अगर यह आयोजन लम्बे समय तक चलते रहे तो असम में कई खतरनाक क्रांतिकारी पैदा हो सकते हैं। इसी कारण से उन अत्याचारियों ने स्त्री की अस्मिता का ध्यान न करते हुए इतना बर्बरतापूर्ण कार्य किया।

देश और दुनिया से जुड़े यह अविश्वसनीय तथ्य नहीं जानते होंगे आप – 65 Amazing Facts in Hindi

4. Raj Kumari Gupta राजकुमारी गुप्ता

Female Freedom Fighter 4: काकोरी की उस ट्रेन डकैती को आखिर कौन भूल सकता है जिसने अंग्रेजों के मन में दहशत फैला दी थी। पर कम ही लोगों को मालूम होगा कि इस घटना में पुरुष क्रांतिकारियों के साथ-साथ एक वीर भारतीय नारी भी सम्मिलित थी जिनका नाम था राजकुमारी गुप्ता (1902-1963)। यह एक मध्यमवर्गीय वैश्य परिवार की महिला थीं और अपने पति के साथ मिलकर इन्होने महात्मा गाँधी और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान नायकों के साथ काम किया था।

काकोरी ट्रेन डकैती में इनकी भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। क्योंकि हथियारों को क्रांतिकारियों तक लाने ले-जाने का उत्तरदायित्व इनके ही ऊपर था। वह अपने अन्तःवस्त्र (अंडरगारमेंट्) में हथियारों को छुपाकर ले जाती थी और किसी को शक न हो इसीलिये अपने साथ अपने 3 वर्ष के मासूम बच्चे को भी साथ रखती थीं।

पर दुर्भाग्य देखिये, जहाँ यह वीर स्त्री (Female Freedom Fighter) भारत की आजादी के लिये इतना त्याग कर रही थी, वहीँ इनके परिवार ने शर्मनाक कृत्य करते हुए इन्हें उस समय घर से ही निकाल दिया, जब पुलिस ने इन्हें इस घटना में गिरफ्तार कर लिया था।

इन 50 अद्भुत और हैरतंगेज बातों के बारे में आपने कभी नहीं पढ़ा होगा – 50 Interesting Facts in Hindi

 

Forgotten Woman Warriors of India in Hindi

5. Bina Daas बीना दास

Female Freedom Fighter 5: बीना दास (1911-1986) क्रांतिकारियों की जन्मभूमि कहे जाने वाले बंगाल प्रान्त में पैदा हुई थीं। उनके पिता ब्रहम समाज से जुड़े एक प्रखर समाज सुधारक थे। उनकी बड़ी बहन कल्याणी दास भी एक स्वतंत्रता सेनानी थी। बीना दास कोलकाता के स्त्रियों के अर्द्ध क्रांतिकारी संगठन ‘छतरी संघ’ की सदस्य थीं। 6 फरवरी 1932 के दिन उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में बंगाल के गवर्नर स्टेनली जैक्सन को मारने का प्रयास किया था। उन्होंने पाँच गोलियाँ चलाई पर निशाना चूक गयीं।

उन्हें नौ साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गयी थी। 1939 में जेल से छूटने पर वह कांग्रेस में शामिल हो गयीं और भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेने के कारण फिर से जेल गयी। वह पश्चिम बंगाल विधानसभा की सदस्य भी रही थी। अपने पति की मौत के बाद यह वीरांगना (Female Freedom Fighter) ऋषिकेश में अकेली रह रहीं थीं और फिर वहीँ गुमनामी में रहते हुए ही इस लोक को छोड़कर सदा के लिये चली गयी।

अपनी विचित्र सनकों के लिये मशहूर थीं यह रानियाँ – Story of 10 Weird Queens in Hindi

6. Kalpna Dutta कल्पना दत्त

Female Freedom Fighter 6: कल्पना दत्त (1913-1995) भी बंगाल की एक विख्यात महिला क्रांतिकारी थीं जिनका जन्म चिटगांव जिले में हुआ था वह प्रसिद्ध क्रांतिकारी सूर्य सेन के उस सशस्त्र स्वतंत्रता आन्दोलन की सदस्य थीं जिसने सन 1930 में चिटगांव शस्त्रशाला लूट की घटना को अंजाम दिया था। कल्पना दत्त भी उसी छतरी संघ की सदस्य थीं जिसमे बीना दास और प्रीतिलता वाद्देदर जैसी स्वतंत्रता सेनानी भी शामिल थीं।

अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष छेड़ने के कारण उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। बाद में यह महिला स्वतंत्रता सेनानी (Female Freedom Fighter) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्य बन गयीं। 8 फरवरी 1995 में कलकत्ता में इस वीर भारतीय नारी का देहावसान हो गया।

7. Abadi Bano Begum अबादी बानो बेगम

Female Freedom Fighter 7: 1850 में एक कुलीन मुस्लिम परिवार में जन्मी अबादी बानो बेगम (1850-1924) देश की उन सबसे प्रथम मुस्लिम नारियों (Female Freedom Fighter) में से एक हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। पर्दानशीं होते हुए भी इन्होने एक राजनीतिक सभा को संबोधित किया था और ऐसा करने वाली वह सबसे पहली महिलाओं में से एक थीं।

बेगम न केवल लम्बे समय तक राजनीति में सक्रिय रहीं, बल्कि वह खिलाफत कमिटी का भी हिस्सा थीं। खिलाफत आन्दोलन का समर्थन पाने के लिये उन्होंने पूरे देश का दौरा किया था। मुस्लिम महिलाओं के दिलों में देशभक्ति का जज्बा पैदा करने और उन्हें संगठित करते हुए उनका नेतृत्व करने का जो सराहनीय प्रयास अबादी बानो बेगम ने किया था, उससे आगे चलकर कई मुस्लिम नारियों ने प्रेरणा पायी।

 

Female Freedom Fighters in History in Hindi

8. Kanaklata Barua कनकलता बरुआ

Female Freedom Fighter 8: कनकलता बरुआ (1924-1942) जिन्हें बीरबाला के नाम से भी जाना जाता है असम की एक अन्य स्वतंत्रता सेनानी थीं सन 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान दुष्ट पुलिसकर्मियों ने इस 17 वर्षीय किशोर वीरांगना को तब गोली मार दी थी जब वह एक जुलूस का नेतृत्व करते समय गर्व से राष्ट्रीय ध्वज को थामे हुई थीं।

लेकिन इस वीर किशोरी ने तब तक झंडे को नहीं छोड़ा जब तक कि उनके प्राणों ने उनका साथ नहीं छोड़ा। कौन जानता है कि शायद ऐसी वीर बालिकाओं (Female Freedom Fighters) के शौर्य के कारण ही अंगेजों को भारत छोड़कर भागना पड़ा हो?

9. Parbati Giri पार्वती गिरी

Female Freedom Fighter 9: कलिंग की वीर भूमि में जन्मी पार्वती गिरी (1926-1955) उडीसा की प्रमुख महिला वीरांगनाओं (Female Freedom Fighters) में गिनी जाती हैं। 16-17 वर्ष की छोटी आयु में भी उन्होंने स्वाधीनता संग्राम की लगभग हर तरह की गतिविधियों में भाग लिया था, विशेषकर भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान तो उन्होंने आगे बढ़कर नेतृत्व किया था। लेकिन 2 साल तक जेल में रखने के बावजूद अंग्रेज उनके किशोर ह्रदय में पनप रही देशप्रेम की भावना को कम नहीं कर सके।

वह निरंतर स्वतंत्रता आंदोलनों में हिस्सा लेती रहीं और देश के आजाद होने के बाद भी सार्वजनिक रूप से लोगों की सेवा करतीं रहीं। उडीसा के दबे-कुचले श्रमिक वर्ग के लिये उन्होंने बहुत कार्य किया था, उनकी इस सेवा भावना के कारण ही वह पश्चिमी उडीसा की मदर टेरेसा के रूप में प्रसिद्ध हैं।

प्रथम विश्व युद्ध से जुडी इन गुप्त बातों के बारे में नहीं जानते होंगे आप – 1st World War Facts in Hindi

10. Tara Rani Srivastava तारा रानी श्रीवास्तव

Female Freedom Fighter 10: तारा रानी श्रीवास्तव बिहार की माटी में जन्मी एक साहसी नारी थी जिन्होंने अपने पति के साथ मिलकर आजादी की मशाल को प्रज्वलित किया। आंदोलनों के उस दौर में जब पुलिस का आक्रमण बर्बरता की सीमा तक पहुँच चुका था तब इस वीर स्त्री (Female Freedom Fighters) ने जो साहसिक कार्य किया उसे कई पुरुष संपन्न करने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। अपने पति के साथ जब वह बिहार के सीवान जिले के एक पुलिस थाने के सामने जुलूस निकाल रही थी तो क्रूर पुलिसकर्मियों ने उनके पति पर सीधे गोली चला दी।

पर इस हिम्मती स्त्री का साहस देखिये, पुलिस के जुलूस रोकने के हठ को ठेंगा दिखाते हुए इस महान भारतीय नारी ने बिना विचलित हुए अपने पति घावों पर पट्टी बाँधी और फिर आगे चल पड़ी। पर जब तक वह लौटकर आती उनके वीर पति शहीद हो चुके थे, लेकिन आतताईयों के सामने झुकने से इंकार करते हुए वह झंडे को मजबूती से थामे हुए संघर्ष करती रहीं।

भारत की Woman Freedom Fighters पर दिया यह लेख Female Freedom Fighters of India in Hindi आपको जरुर पसंद आया होगा। इन 20 वीरांगनाओं के अलावा रानी सरोज गौरिहर और बीबी अजीजुल फातिमा जैसी कई अन्य महिला स्वतंत्रता सेनानी (Female Freedom Fighters) भी थीं जिन्होंने अपने देश को आजाद कराने के लिये अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। भारत की उन सभी अज्ञात वीरांगनाओं को हम बस प्रणाम ही कर सकते हैं।

प्रिय मित्र, उम्मीद है आपको आर्टिकल काफी अच्छा लगा होगा। हमने इस लेख को लिखने में अपना काफी वक्त लगाया है। कितना अच्छा हो अगर आप भी अपना थोडा सा सहयोग हमें दें और इस लेख को सोशल मिडिया पर शेयर करें। हमें बस आपके दो मिनट चाहियें। उम्मीद है आप इंकार नहीं करेंगे।