Akbar and Birbal Short Story in Hindi on Ability and Respect

 

“किसी सम्मान के योग्य होना और उसे ग्रहण न करना उससे अधिक बेहतर है कि हम सम्मान तो ग्रहण कर लें पर उसके लायक न हों।”
– सैमउल जॉनसन

Ability Story in Hindi

बादशाह अकबर बीरबल को बहुत मानते थे और राज्य से सम्बंधित हर काम में उनसे सलाह-मशविरा लिया करते थे, क्योंकि उनके पास लगभग हर समस्या का समाधान होता था। लेकिन बादशाह बीरबल से जितना स्नेह करते थे, बाकी सभी मुसलमान दरबारी उनसे उतना ही ज्यादा जलते थे।

पर अकबर का एक मंत्री बीरबल से इतना जलता था कि वह हर समय इस मौके की खोज में रहता कि कैसे बीरबल की कोई कमी सामने आये और वह बादशाह के सामने उसे नीचा दिखा सके। एक दिन उसने दरबार में सबके सामने पूछ ही लिया कि दरबार में इतने योग्य व्यक्तियों के होते हुए भी बादशाह हर काम में बीरबल की सलाह ही क्यों लेते हैं?

अकबर उसका मतलब समझ गया और उसने उस मंत्री को ठीक समय पर उसके सवाल का जवाब देने की बात कही। एक दिन एक खबरनवीस ने दरबार में आकर खबर दी कि अरब से एक सौदागर बहुत ही बढ़िया नस्ल के घोड़े लाया है जिन्हें खरीदना सेना के लिये बहुत ही फायदेमंद रहेगा।

बादशाह ने उसी मंत्री को जो बीरबल से जलता था, यह पता करने के लिये भेज दिया कि क्या खबर सही है और क्या वह सौदागर घोड़े बेचने के लिये तैयार है? वह मंत्री वापस लौटा और उसने खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि वह सौदागर घोड़े बेचने को तैयार है। जब बादशाह ने उससे पूछा कि वह सौदागर अपने साथ कितने घोड़े लाया है, तो मंत्री ने न मालूम होने की बात कही।

इस पर अकबर ने उसे फिर से सौदागर के पास पूछने भेजा। थोड़ी देर बाद आकर उस मंत्री ने जवाब दिया, “हुजूर सौदागर अपने साथ पाँच सौ घोड़े लाया है।” फिर बादशाह ने उससे पूछा कि वह सौदागर हर घोड़े के कितने दाम माँगता है? वह मंत्री दोबारा घोड़ो के दाम पूछने गया और वहाँ से आकर उसने बताया कि वह सौदागर हर घोड़े की सौ अशर्फियाँ माँगता है।

फिर बादशाह ने बीरबल को उस घोड़ों के व्यापारी के पास जानकारी लेने के लिये भेजा। बीरबल कुछ समय बाद वापस आये और उन्होंने बादशाह को बताया, “हुजूर, खबर बिलकुल सही है। सभी घोड़े तंदुरुस्त और बहुत ही बढ़िया नस्ल के हैं जिन्हें तुरंत ही खरीद लेना चाहिये। घोड़ों का वह सौदागर आज ही हमारे राज्य में पहुँचा है।

उसने अपने आधे घोड़े यहाँ आने से पहले ही दूसरे राज्यों के राजाओं को बेच दिये हैं और बाकी बचे घोड़े भी वह उसी व्यक्ति को बेचेगा जो उन्हें एक ही बार में खरीद लेगा। यदि कल शाम तक उसके घोड़े नहीं बिकते हैं तो वह इन्हें बेचने के लिये दूसरे राज्य में चला जायेगा।

वैसे तो हर घोड़े का दाम सौ अशर्फियाँ हैं, लेकिन मोल-भाव करने के बाद वह हर घोड़े को अस्सी अशर्फीयों के हिसाब से बेचने के लिये तैयार हैं। फिर बादशाह ने उस मंत्री की ओर देखते हुए कहा “अब तो तुम समझ ही गये होंगे कि बीरबल और तुममें क्या अंतर है।

इस एक घटना से ही सारे दरबारियों को यह अच्छी तरह से समझ में आ गया कि क्यों बादशाह अकबर बीरबल की सलाह को इतनी अहमियत देते हैं। यह प्रेरक कहानी सिद्ध करती है कि सम्मान और महत्व मांगने से नहीं मिलते हैं, बल्कि अपनी योग्यता से हासिल किये जाते हैं।

सफल व्यक्ति एक औसत व्यक्ति से ज्यादा जागरूक होते हैं। वे किसी बात की तह तक जाने के लिये उस पर न केवल एकाग्र होकर सोचते हैं, बल्कि उसे गहराई से समझते भी हैं। हम जहाँ किसी चीज़ का सिर्फ आने वाला कल देखते हैं, कामयाब लोग उसके बरसों बाद की स्थिति को देख रहे होते हैं।

“सम्मान न तो कभी मांगने से मिला है और न ही कभी देने से घटा है।”
– अरविन्द सिंह

 

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