Meaning and Treatment of Rabies in Hindi

 

“रेबीज यानि हाइड्रोफोबिया, रेबीज वायरस से संक्रमित जानवर के काटने से उत्पन्न होने वाला एक रोग है, जिसमे रोगी के मस्तिष्क में अत्यधिक सूजन आने से चेतना लुप्त हो जाती है। दुनिया भर में हर साल 60 हजार से भी ज्यादा लोग रेबीज के कारण मरते हैं।”

 

Meaning and Treatment of Rabies in Hindi
जानलेवा रोग है रेबीज, इससे बचिये

ज्यादातर लोग कुत्तों के संपर्क में आते समय सतर्कता बरतते हैं, और यदि श्वान किसी रोग से ग्रस्त हो या आक्रामक व्यवहार का प्रदर्शन करे, तो विशेष रूप से सचेत रहना पड़ता है। केवल इसलिये नहीं कि उसके अचानक हमला करने पर शारीरिक क्षति का भय रहता है, बल्कि इसलिये, क्योंकि वह एक जानलेवा बीमारी के अत्यंत घातक संक्रमण के फैलने का कारण बन सकता है।

जिसकी उपचाररहित स्थिति सुनिश्चित मृत्यु का बुलावा है। यह प्राणघातक बीमारी है – रेबीज, जो वायरस से फैलने वाली उन दस सबसे घातक बीमारियों में शामिल हैं, जो इंसानों की सबसे बडी दुश्मन हैं और जिनका वर्णन हमने 10 Most Dangerous Viral Diseases in Hindi में किया है।

रेबीज जैसे खतरनाक रोग के उन्मूलन के लिये, प्रति वर्ष 28 सितम्बर के दिन मनाया जाने वाला, विश्व रेबीज दिवस (World Rabies Day) इस रोग की भयावहता का स्तर बताने के लिये काफी है।

Rabies Meaning in Hindi रेबीज का अर्थ

Rabies का हिंदी में अर्थ है – अलर्क या जलांतक, जो कि जानवरों से इंसानों में फैलने वाला एक प्रकार का रोग है। चूँकि इस बीमारी में रोगी व्यक्ति को पानी से डर लगने लगता है, इसीलिये इसका एक नाम हाइड्रोफोबिया (पानी का डर) भी है। आज विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर, हम आपको वायरस से फैलने वाले इस घातक रोग के बारे में बतायेंगे, क्योंकि उचित इलाज के अभाव में यह रोग, हमेशा मृत्यु का कारण बनता है।

रेबीज का वायरस 150 से भी ज्यादा देशों में पाया जाता है और यह पालतू और जंगली दोनों तरह के जानवरों से फैल सकता है। क्योंकि उनकी लार ग्रंथियों में इसके विषाणु होते हैं, पर इंसानों में यह खतरनाक बीमारी कुत्तों और चमगादड़ों से फैलती है। दुनिया भर में हर साल 60 हजार से भी अधिक लोग रेबीज के कारण मरते हैं। इनमें से 95% से अधिक मौतें एशिया और अफ्रीका में होती हैं।

हर साल पूरी दुनिया में रेबीज से जितनी मौतें होतीं हैं, उनमें से 36% मौतें सिर्फ भारत में होती है। रेबीज से मौत की दरें बच्चों में ज्यादा देखी गई हैं। हालाँकि आज ऑस्ट्रेलिया और कई द्वीपीय देश रेबीज से पूर्णतया मुक्त हैं, जबकि कनाडा, जापान, अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के कुछ देशों में रेबीज, कुत्तों से नहीं फैलता है।

चूँकि रेबीज के लक्षण उभरने पर मृत्यु सुनिश्चित ही रहती है, इसीलिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) ने इस रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये और इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिये एक विशेष दिन निर्धारित किया है, ताकि इस बीमारी को जड़ से समाप्त किया जा सके।

What is The Cause of The Rabies in Hindi

रेबीज लेसावायरस नामक विषाणु से फैलती है रेबीज

रेबीज वायरस से फैलने वाली एक बीमारी है जिसमे मस्तिष्क में अत्यधिक सूजन आने से (अत्यंत तेज इन्सेफेलाइटिस के कारण) चेतना लुप्त हो जाती है। रेबीज ‘रेबीज लेसावायरस (Rabies Lyssaviruse)’ नाम के विषाणु से फैलता है, जो रेब्ड़ोविरिडे परिवार (Rhabdoviridae Family) का सदस्य है। रेबीज वायरस की संरचना, घुमावदार (Helical) होती है।

इसकी लम्बाई 180 नैनोमीटर और अनुप्रस्थ काट 75 नैनोमीटर होती है। इसमे एकल आरएनए जीनोम (Single-stranded RNA Genome) होता है। रेबीज का विषाणु केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर आक्रमण करके उसे क्षतिग्रस्त कर देता हैं। शरीर को गतिशील बनाने वाले स्नायु (Motor Nerves) अक्षम हो जाते हैं और अंत में साँस रूकने से मृत्यु हो जाती है।

रेबीज का वायरस, मुख्य रूप से लार और रक्त के संपर्क में आने से फैलता है। लेकिन यह वीर्य और योनि द्रव्य के आपसी संपर्क से भी फैल सकता है। रेबीज़ वायरस परिधीय तंत्रिकाओं (Peripheral Nerves) के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुँचता है।

Rabies in Hindi संक्रमित जानवर हैं रेबीज फैलने का कारण

जब कोई संक्रमित पशु किसी अन्य स्वस्थ पशु या मनुष्य को काटता है, तब उसकी लार में उपस्थित विषाणु, स्वस्थ व्यक्ति की श्लेष्मा झिल्ली (Mucous Membrane) को पार करते हुए रक्त में पहुँच जाते हैं और वह रेबीज से संक्रमित हो जाता है। यह रोग मनुष्यों के साथ-साथ अन्य स्तनधारियों को भी हो सकता है।

कुत्ते इस वायरस के मुख्य वाहक माने जाते हैं, लेकिन यह चमगादड़, बन्दर, गीदड़, लोमड़ी, भेडिये, नेवले और बिल्ली सहित कई अन्य पशुओं से भी फ़ैल सकता है। इंसानों में यह रोग दूसरे पशुओं से फैलता है। रेबीज अंटार्कटिका को छोड़कर (क्योंकि यह एक निर्जन और अति शीत क्षेत्र है) हर महाद्वीप में मौजूद है। भारत और एशियाई देशों में कुत्ते रेबीज के मुख्य वाहक हैं, जबकि यूरोपीय और अमेरिकी देशों में चमगादड़।

मनुष्यों में रेबीज़ के अधिकतर मामले कुत्तों के काटने से होते हैं। उन देशों में जहाँ कुत्तों में आम तौर पर रेबीज़ होते हैं, रेबीज़ के 99% से अधिक मामले कुत्तों के काटने से होते हैं। अमेरिका में, मनुष्यों में रेबीज़ संक्रमण का सबसे आम स्रोत चमगादड़ का काटना है, और 5% से कम मामले कुत्तों से होते हैं। कृन्तक (Rodents) बहुत कम ही रेबीज़ से संक्रमित होते हैं।

Symptoms of The Rabies in Humans in Hindi

यह हैं इंसानों में रेबीज होने के बाद के खतरनाक लक्षण

रेबीज के रोग की पहचान, सिर्फ लक्षणों के शुरू होने के बाद ही की जा सकती है। इसके शुरूआती लक्षणों में ज्वर और काटे गये स्थान पर झनझनाहट शामिल हैं। लेकिन जैसे-जैसे रोग के विषाणु शरीर में फैलते जाते हैं, अन्य लक्षणों का उभरना भी आरम्भ हो जाता है, जिनमे अनियंत्रित उत्तेजना, हिंसक गतिविधियाँ, विभ्रम, पागलपन, उन्माद, जल से भय और पक्षाघात शामिल हैं।

रेबीज की उग्र और अंतिम अवस्था में, शरीर का कोई भी अंग हिलने-डुलने में असमर्थ हो जाता है और व्यक्ति की चेतना लुप्त हो जाती है, ठीक उसी प्रकार से जैसे कोमा में होता है। चूँकि इस रोग में रोगों को पानी को देखकर डर लगता है, इसीलिये इसे हाइड्रोफोबिया भी कहते हैं। यदि एक बार रेबीज के लक्षण उभर जाँय, तो इसकी अंतिम परिणति हमेशा मृत्यु ही होती है।

Rabies Symptoms in Hindi रेबीज के लक्षणों से जुडी जरुरी बातें

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, आज तक केवल पाँच ही लोग, रेबीज के लक्षण दिखाई देने के पश्चात जीवित बच सके हैं और वह भी तब जब कुशल चिकित्सकों की निरंतर देखरेख में अत्यंत धैर्यपूर्वक उनकी महीनों तक चिकित्सा होती रही थी।

लेकिन रेबीज के लक्षण तुरंत ही नहीं उभरते हैं, रोग के संक्रमण और लक्षणों के उभरने के बीच की अवधि आम तौर पर एक से तीन मास की होती है। हालाँकि यह 10 दिन से लेकर 12 वर्ष तक हो सकती है। यह अवधि मुख्य रूप से तीन बातों पर निर्भर करती है –

1. प्रथम व्यक्ति की अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर।

2. दूसरी प्रविष्ट हुए विषाणुओं की संख्या पर।

3. तीसरी विषाणुओं को संक्रमण के स्थान से, केंद्रीय स्नायु संस्थान तक पहुँचने में लगे समय पर।

Rabies Symptoms in Hindi लक्षण उभरने में लगता है समय

1. हमें तीन लोगों में रेबीज के लक्षण उभरने की अलग-अलग समयावधि के विषय में ज्ञात है – पहली एक लड़की, जिसे एक भेडिये ने कई जगह से काट खाया था। 24 घंटे पश्चात ही उसमे शारीरिक पक्षाघात और विभ्रम के लक्षण दिखने आरम्भ हो गये थे और तीन दिनों के भीतर उसकी मृत्यु हो गयी थी।

2. एक अन्य व्यक्ति में कुत्ते के काटने के पाँच वर्ष पश्चात, रेबीज के लक्षण उभरने आरम्भ हुए थे। उसकी चार दिनों के भीतर मृत्यु हो गयी थी। मरने से पहले उसमे अनियंत्रित उत्तेजना, बेचैनी, मुंह से लार स्रावित होना, और कुत्ते की तरह भौकना जैसी क्रियाएँ दिखने लगी थी।

3. तीसरे व्यक्ति को 12 वर्ष पहले एक गीदड़ ने कान के पास काट लिया था। 12 वर्ष के पश्चात, उसमे रेबीज के लक्षण उभरना आरम्भ हुए थे, लेकिन चिकित्सीय प्रयास के पश्चात भी उसे बचाया नहीं जा सका।

Treatment of The Rabies in Humans in Hindi

ऐसे होता है दुनिया भर में रेबीज का इलाज
दुनिया भर में हर साल लगभग 60,000 लोग रेबीज के घातक संक्रमण के कारण मरते हैं, जिनमे 95 प्रतिशत से अधिक मौतें केवल एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में ही होती हैं। इसका मुख्य कारण विकासशील देशों की खराब स्वास्थ्य व्यवस्था और जनसामान्य की इस बीमारी के प्रति उदासीनता है। रेबीज से होने वाली मौतों के यह आंकडे और अधिक हो सकते थे, यदि सन 1885 में लुई पास्चर और एमिली रोक्स ने इसकी वैक्सीन का आविष्कार न किया होता।

दुनिया भर में हर साल हजारों लोगों और कुत्तों को इसका टीका लगाया जाता है। अब तक यह टीके लाखों लोगों को लगाये जा चुके हैं। एक अनुमान के अनुसार, रेबीज वैक्सीन हर साल 3 लाख से अधिक लोगों की जान बचाती है। रेबीज के उपचार में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –

रेबीज के इलाज में यह बातें हमेशा ध्यान रखें
1. काटे गये स्थान को और खरोंचों को 10 से 15 मिनट तक साबुन या डिटर्जेंट मिश्रित जल से धोना चाहिये। क्योंकि यह विषाणुओं को मारकर, उनकी संख्या कम कर देते हैं और संक्रमण को रोकने में कुछ हद तक प्रभावी होते हैं।

2. साबुन के जल से धोने के पश्चात, घाव को यदि पोवीडोन आयोडीन या एल्कोहल से धोया जाय, तो विषाणुओं की संख्या में और कमी आ जाती है, क्योंकि एल्कोहल भी एक तेज जीवाणुनाशक है।

3. ऐसा करने के पश्चात, पहले टिटनेस का टीका लगवायें और फिर चिकित्सालय में जाकर, रेबीज वैक्सीन लगवायें। यह जितनी जल्दी लग जाये, उतना अधिक बेहतर होता है।

Rabies Vaccine in Hindi रेबीज के टीके से जुडी जरुरी बातें

रेबीज का टीका रेबीज के मृत विषाणुओं द्वारा तैयार किया जाता है। इस टीके में जो विषाणु होते है, वह निष्क्रिय होते हैं और उनसे रेबीज नहीं फ़ैल सकता। आज जो टीका बाजार में उपलब्ध है, वह बहुत ही कम दर्द करता है तथा लगाने में भी आसान होता है। कुछ साल पहले तक रेबीज का टीका पेट में लगाया जाता था और इसके 14 इंजेक्शन तक लेने पड़ते थे।

लेकिन आज इसका उपचार बहुत सरल हो गया है, क्योंकि आज यह टीका हाथ में लगाया जाता है और इनकी संख्या भी बहुत कम हो गयी है। कुछ मामलों में विशिष्ट इम्यून ग्लोब्युलिन भी काफी सहायक होता है, पर जब यह लाभदायक होता है, तो इसका उपयोग जल्दी करना चाहिए। इस बारे में सिर्फ चिकित्सक ही आपको सही सलाह दे सकता है कि विशिष्ट इम्यून ग्लोब्युलिन आपके लिये उपयुक्त है या नहीं।

1. यदि संक्रमण होने के छह दिनों के अन्दर ही रेबीज का टीका लगवा लिया जाता है, तो यह 100 प्रतिशत प्रभावी होता है। वैसे प्रयास किया जाना चाहिये कि 24 घंटे के भीतर ही इसका टीका लगवा लिया जाय।

2. रेबीज वैक्सीन में कुल चार टीके लगाये जाते हैं। पहला टीका लगने के तीन दिन के पश्चात दूसरा टीका लगाया जाता है। तीसरा और चौथा टीका, पहले टीके के सातवें और चौदहवें दिन लगाया जाता है।

3. रेबीज होने के पश्चात, बचे पाँच लोगों का उपचार जिस पद्धति से किया गया था, उसे मिल्वौकी प्रोटोकॉल के नाम से जाना जाता है।

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