Meaning and Facts about Human Lungs in Hindi

 

“फेफड़ें, श्वसन तंत्र का सबसे मुख्य अंग हैं जो रक्त को शुद्ध करने का काम करते हैं। इनका मुख्य काम वातावरण से प्राणवायु लेकर उसे रक्त परिसंचरण तंत्र मे प्रवाहित (मिलाना) करना और लहू से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर उसे वातावरण में छोड़ना है।”

 

Meaning and Facts about Human Lungs in Hindi
अद्भुत अंग हैं इंसानी फेफड़ें इनकी सुरक्षा कीजिये

Lungs Meaning in Hindi क्या है लंग्स का अर्थ

Lungs Meaning in Hindi में आज हम आपको लंग्स का अर्थ और उनसे जुड़े उन अमेजिंग तथ्यों के बारे में बतायेंगे जिन्हें आपने अभी तक कहीं नहीं पढ़ा होगा और जिन्हें जानकर आप दाँतों तले ऊँगली दबा लेंगे। Lung का अर्थ (Meaning) है – फेफडा या फुफ्फुस। फेफडे हवा में सांस लेने वाले प्राणियों का सांस लेने का मुख्य अंग हैं इन्हें फुप्फुस भी कहते हैं फेफड़े में गैसों का आदान-प्रदान होने से ही हमारे लहू का शुद्धीकरण होता है।

दुनिया ऐसे अनेकों आश्चर्यों से भरी पड़ी है जिनके बारे में जानने, समझने को हम हमेशा बेताब रहते हैं, जिन्हें देखने की लालसा में लोग एक देश से दूसरे देश में दौड़े फिरते हैं। लेकिन जो हमेशा हमारे सबसे निकट मौजूद रहता है, उस अद्भुत आश्चर्य के बारे में जानने की जिज्ञासा शायद ही किसी को रहती है।

जी हाँ हम बात कर रहे हैं दुनिया के सबसे बड़े रहस्यों में से एक मानव शरीर की, जो अपनी विलक्षण संरचना और कार्यक्षमता के कारण आज भी जीव विज्ञानियों के लिये एक चुनौती के रूप खड़ा है। जिसका प्रत्येक अंग दुनिया की सबसे बेशकीमती चीज़ से भी कहीं ज्यादा कीमती है और जो कर्मठता के सन्दर्भ में संसार की अव्वल से अव्वल मशीन से भी ज्यादा बढ़कर है।

शरीर के चार Vital Organs (अत्यावश्यक अंग) Brain, Heart, Kidney और Liver की विलक्षण सामर्थ्य के बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं। आज हम आपको बता रहे हैं – शरीर के पाँचवें सबसे महत्वपूर्ण अंग के बारे में जिन्हें हम Lungs यानि फेफडों के नाम से जानते हैं।

Lungs in Hindi श्वसन प्रक्रिया का मुख्य अंग हैं फेफड़ें

भले ही वातावरण से वायु ग्रहण करने और छोड़ने का माध्यम नाक हो, लेकिन श्वसन की मुख्य क्रिया को अंजाम देने का काम हमारे फेफड़ों के ही जिम्मे है। मानव फेफड़ें (Human Lungs), शरीर के वह अंग हैं जो श्वसन की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार हैं। जानकारी के लिए बता दें कि श्वसन (Respiration) और सांस लेना (Breathing) दोनों अलग-अलग प्रक्रियाएँ हैं।

ब्रीथिंग का अर्थ है – ऑक्सीजन को अन्दर खींचना और कार्बन डाई ऑक्साइड को बाहर निकालना। यह क्रिया मुख्य रूप से नाक द्वारा संपन्न होती है, जबकि श्वसन का अर्थ है – ऑक्सीजन का रक्त में प्रवेश करना और कार्बन डाई ऑक्साइड का रक्त से बाहर निकलना, ताकि शरीर की प्रत्येक कोशिका रक्त के माध्यम से इस ऑक्सीजन को ग्रहण कर सके। इस तरह देखा जाय तो Breathing, Respiration का ही एक भाग है।

हर इन्सान प्रत्येक मिनट लगभग 4 से 15 बार सांस लेता हैं, क्योंकि कोई भी जीवधारी प्राणवायु के बिना जीवित नहीं रह सकता है। पर हम शायद ही कभी अपनी श्वसन प्रक्रिया और अपने श्वसन अंगों के स्वास्थ्य पर ध्यान देते हैं। मानव शरीर बडा ही अनमोल है, इसी तथ्य की ओर दृष्टि रखते हुए आज हम शरीर के अनिवार्य अंग, फेफड़ों से जुडे 76 तथ्य दे रहे हैं, ताकि प्रत्येक व्यक्ति अपने इस अंग की सुरक्षा के प्रति जागरूक रहे!

Facts about The Structure of Human Lungs

Location & Size of Lungs फेफड़ों का स्थान और आकार

1. मानव शरीर में दो फुफ्फुस (फेफड़े) होते हैं जो छाती (थोरेसिक कैविटी) में मध्य रेखा के बायीं और दाई ओर स्थित होते हैं। यह शंक्वाकार आकृति (ऊपर से बहुत छोटे और नीचे से बहुत चौड़े) के होते हैं। दायाँ फेफड़ा बाएं फेफड़ें से थोडा चौड़ा व भारी होता है, क्योंकि बायें फेफड़ें को दिल के लिये, पसलियों के बीच काफी जगह छोडनी पड़ती है। Lungs की दीवार असंख्य गुहिकाओं की उपस्थिति के कारण स्पंजी होती है।

2. प्रत्येक फेफड़ें का वजन लगभग 650 ग्राम होता है। चूँकि फेफड़ें बहुत ही कोमल अंग हैं, इसीलिये यह एक विशेष प्रकार के थैले में बंद होते हैं, जो Serous Membrane से बना होता है। इस थैले में Serous Fluid भरा रहता है जो Lungs की बाहरी आघात से सुरक्षा करता है।

3. दायें फेफड़ें में तीन भाग (Superior, Middle, Inferior Lobes) होते हैं, जबकि बाये फेफड़ें में सिर्फ दो भाग (Superior, Inferior Lobes) होते हैं। लेकिन इसके बावजूद इसकी कार्यक्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता है।

4. डायाफ्राम एक गुम्बदाकार मांसपेशी (Dome Shaped Muscle) है जो दोनों फेफड़ों के नीचे अवस्थित होती है। इसी की वजह से सांस लेने की प्रक्रिया (Breathing Activity) संपन्न होती है।

5. दायाँ फेफड़ा, बायें फेफड़ें से अधिक चौड़ा होता है, लेकिन यह बायें फेफड़ें से कुछ छोटा भी होता है, क्योंकि इसे अपने नीचे स्थित यकृत के लिये भी स्थान देना होता है।

6. बायें फेफड़े की संरचना, दायें फेफड़े (Right Lung) से हल्की सी अलग होती है, क्योंकि बायें फेफड़े (Left Lung) में कार्डियक नौच (दिल को समाहित करने के लिये बना छोटा स्थान) होता है।

7. दिल की ही तरह मनुष्य के फेफड़ें (Lungs) भी छाती की पसलियों के बीच सुरक्षित रहते हैं और मेरुदंड (Spine Cord) तथा सीने की हड्डी से जुड़े रहते हैं।

Lungs in Hindi ऐसी होती है श्वसन तंत्र की संरचना

8. शरीर में कई नलिकाएँ होती हैं जो आपके मुख को फेफड़ों (Lungs) के आंतरिक भाग से जोडती हैं। आपकी वायु नलिका (विंड पाइप) जिसे ट्रेकिआ भी कहते हैं, ऐसी ही एक चौड़ी नली है जिसे आप अपने गले में महसूस कर सकते हैं।

9. ट्रेकिआ आगे चलकर दो भागों में बंट जाती है और इसका एक सिरा बायें फेफड़ें में और दूसरा सिरा दायें फेफडे में प्रविष्ट हो जाता है। प्रत्येक नलिका को Primary Bronchi कहते हैं जिनसे फिर आगे चलकर और भी शाखाएँ निकलती हैं, इन्हें Secondary Bronchi कहते हैं।

10. यह द्वितीयक ब्रोंची भी आगे चलकर बहुत छोटी-छोटी नलिकाओं में बदल जाती हैं, जिन्हें ब्रोंकिओल्स (Bronchioles) कहते हैं। हमारे फेफड़ों में लगभग 30,000 ब्रोंचिओल्स होते हैं।

11. इनमे से प्रत्येक ब्रोंचिओल्स के आखिरी सिरे पर ही होते हैं, हवा के वह सूक्ष्म थैले, जिन्हें अल्वेओली कहते हैं। यह अल्वेओली, हर सांस के साथ छोटे और बड़े होते रहते हैं।

12. इनमे बहुत सारी रक्त वाहिनियाँ (Blood Vessels) होती हैं, जहाँ ऑक्सीजन रक्त में प्रवेश करती है और कार्बन डाई ऑक्साइड गैस रक्त से बाहर निकलती है।

13. फेफड़ों (Lungs) के अन्दर श्वसन तंत्र की संरचना, किसी पेड़ की शाखाओं जैसी होती है।

Lungs in Hindi अल्वेओली हैं फेफड़ों की मुख्य इकाई

14. फेफड़ों और रक्त के बीच गैसों का आदान-प्रदान सीधे नहीं, बल्कि Blood-Air Barrier के महीन/पतले माध्यम से होता है। यह बैरियर 0.5 से 2 माईक्रोमीटर मोटी एक बेहद पतली झिल्ली (Membrane) होती है जो लगभग 30 करोड़ अल्वेओली के रूप में मुड़ी हुई रहती है, जिससे गैस एक्सचेंज करने के लिये बहुत बड़ा पृष्ठ क्षेत्रफल (70 से 145 वर्ग मी) मिलता है।

15. Alveoli हवा के छोटे-छोटे स्पंजनुमा थैले होते हैं, जो लगभग मानव कोशिका जितने ही सूक्ष्म (10 माइक्रोमीटर) होते हैं और फेफड़ों की सबसे छोटी वायुनलिका के अंतिम सिरे पर होते हैं। इन्हें केवल सूक्ष्मदर्शी की सहायता से ही देखा जा सकता है।

16. फेफड़ों (Lungs) के अन्दर अल्वेओली, केशिकाओं (Capillary) से घिरे रहते हैं। वास्तव में यह केशिकाएँ सूक्ष्म रक्त वाहिनियाँ हैं जो शरीर की सबसे छोटी रक्त नलिकाएँ मानी जाती हैं। यहीं पर Gas Exchange के द्वारा रक्त को शुद्ध करने का कार्य होता है।

17. बच्चे के जन्म के समय उसके फेफड़ें पूर्ण रूप से विकसित नहीं होते हैं, क्योंकि किसी नवजात शिशु के Lungs के अन्दर, एक व्यस्क व्यक्ति के Lungs की तुलना में सिर्फ 1/6 अल्वेओली होते हैं।

18. फेफड़ों की विशिष्ट कोशिकाएँ ही म्यूकस (श्लेष्मा) पैदा करती हैं। यह जीवाणुओं, धूल और गन्दगी के खिलाफ प्रथम सुरक्षा कवच का काम करता हैं।

Amazing Facts about Human Lungs in Hindi

इंसानी फेफड़ों से जुड़े हैरान करने वाले अविश्वसनीय तथ्य

19. अपने फेफड़ों को हवा से भरे बड़े गुब्बारे समझने के बजाय आपको इन्हें रक्त से भरा वह पात्र समझना चाहिये जिनके बीच से वायु के बुलबुले गुजर रहे हैं। क्योंकि वास्तव में आपके Lungs में भी उतना ही खून होता है जितना कि आपके बाकी शरीर में। यही कारण है कि आपका गुरुत्व केंद्र (Center of Gravity) आपकी कमर से ऊपर होता है।

20. एक व्यस्क फेफड़ें में लगभग 15 से 25 करोड़ Alveoli होते हैं। इस तरह मनुष्य के दोनों Lungs में लगभग 30 करोड़ से 50 करोड़ Alveoli होते हैं। गोट्टिंगेन विश्वविद्यालय (University of Göttingen) के Anatomy Department के अनुसार भी मनुष्य के फेफड़ों में 48 करोड़ Alveoli तक हो सकते हैं।

21. वैज्ञानिकों के अनुसार यदि फेफड़ों की आंतरिक सतह को पूरी तरह से फैला दिया जाय, तो यह लगभग 40 से 100 वर्ग मी (व्यक्ति विशेष के Lungs के अनुसार) का क्षेत्र घेर लेगी। जो लगभग इतना ही है जितना कि एक तरफ का टेनिस कोर्ट।

22. फेफडों में लगभग 3 मिलियन Capillaries होती हैं, जिन्हें यदि पूरी तरह से फैला दिया जाय, तो इनकी कुल लम्बाई लगभग 1000 किमी हो जायेगी।

23. दोनों फेफड़ों में उपस्थित वायु नलिकाओं की कुल लम्बाई, लगभग 2400 किमी (1500 मील) होती है।

Lungs in Hindi बेहद कोमल और अद्भुत अंग हैं फेफड़ें

24. स्त्रियों के फेफड़ों (Female Lungs) की वायु रोकने की क्षमता, पुरुषों के फेफड़ों की तुलना में काफी कम होती है। York University के अनुसार शांत अवस्था में एक पुरुष के फेफड़ों (Male Lungs) में लगभग 750 घन सेमी वायु होती है, जबकि स्त्री के फेफड़ों में केवल 285 से 393 घन सेमी वायु रोकने की ही क्षमता होती है।

25. मानव कोशिकाओं में लगभग 20 हजार प्रोटीन कोडिंग जींस होते हैं और इनमे से लगभग 75 प्रतिशत एक सामान्य फेफड़ें में अभिव्यक्त होते हैं।

26. हर बार सांस लेने के साथ हमारी पसलियाँ ऊपर-नीचे की ओर गतिशील होती हैं, एक साल में औसतन 50 लाख बार।

27. Vocal Cords दो छोटे रिज जैसे होते हैं जो खुलने और बंद होने पर, हमें अपनी आवाज को Modulate करने में मदद करते हैं।

28. हमारे वोकल कार्ड्स, लैरिंक्स (Larynx) जिसे वोइस बॉक्स भी कहते हैं, के अन्दर अवस्थित होते हैं।

Breathing Facts in Hindi श्वसन से जुड़े दिलचस्प तथ्य

29. एक व्यस्क व्यक्ति हर रोज लगभग 17500 (12-13 साँस/मिनट की दर से) बार साँस लेता है। यदि वह 70 वर्ष की आयु तक जिये तो अपने पूरे जीवनकाल में वह लगभग 450,000,000 साँसे ले चुका होगा और इतनी ही बार उसका डायाफ्राम भी गतिशील हो चुका होगा।

30. एक बार साँस लिये जाने पर फेफडों में लगभग 6 लीटर वायु भीतर जाती है। इस तरह एक स्वस्थ व्यक्ति के Lungs हर दिन लगभग 2000 घन मीटर या 9000 लीटर वायु खींचते हैं।

31. चाहे हम कितना ही ज्यादा जोर लगाकर सांस छोड़ें, पर हमारे फेफड़ें वायुमार्ग में 1 लीटर वायु हमेशा रोके रखते हैं। इसी कारण से यह पानी पर तैर सकते हैं।

32. आम तौर पर एक व्यस्क मनुष्य एक मिनट में 8 से 10 बार सांस लेता है, लेकिन गहरी सांस लेने वाले अभ्यासीगण या योगीजन एक मिनट में सिर्फ 4 से 5 बार ही सांस लेते हैं।

33. एक नवजात शिशु एक मिनट में 40 बार तक साँस लेता है।

34. इसके अलावा साँसों की संख्या व्यक्ति के कामों पर भी निर्भर करती है। भारी और अधिक परिश्रम युक्त कार्यों में साँसे अपने आप ज्यादा तेज चलती हैं।

Functions of The Human Lungs in Hindi

जानिये कैसे काम करते हैं हमारे फेफड़ें

35. जब हम साँस लेते हैं तो वायु Trachea और Bronchial Tubes से होते हुए दोनों फेफड़ों में प्रवेश करती है। यह नली Lungs में जाकर बहुत छोटी-छोटी नलियों में विभक्त हो जाती है। सबसे छोटी नली को Bronchioles कहते हैं जिसके अंत में Alveoli होते हैं। इनकी दीवारों में कई Capillary Veins होती हैं जिनके अंदर से रक्त प्रवाहित होता है। ऑक्सीजन Alveoli से गुजरते हुए Capillary और फिर रक्त में प्रवेश करती है तथा रक्त में उपस्थित कार्बन डाई ऑक्साइड Alveoli से होते हुए शरीर से बाहर निकल जाती है।

36. श्वसन प्रक्रिया में ऑक्सीजन का इस्तेमाल हमारी उम्मीद से कहीं ज्यादा कम होता है। क्योंकि सांस लेने के दौरान हम जो हवा अन्दर खींचते हैं उसमे 21 प्रतिशत ऑक्सीजन होती है, लेकिन हमारे शरीर को सिर्फ 5 प्रतिशत की जरुरत होती है। इसीलिये बाकी बची ऑक्सीजन, सांस छोड़ते समय कार्बन डाई ऑक्साइडके साथ बाहर निकल जाती है।

37. हमें बारंबार सांस लेने की जरुरत इसलिए होती हैं, क्योंकि शरीर के अन्दर कार्बन डाई ऑक्साइड गैस लगातार बनती रहती है। लेकिन अगर गहरी सांस लेने का अभ्यास हो सके, तो एक मिनट में सिर्फ एक बार सांस लेने से भी पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सकती है।

38. जब हम साँस लेते हैं तो फेफड़ें (Lungs) खींची गयी हवा के स्थान लेने के कारण फ़ैल जाते हैं और जब हम साँस छोड़ते हैं तो अशुद्ध वायु बाहर निकल जाने के कारण यह सिकुड़कर पिचक जाते हैं। यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है।

Lungs in Hindi श्वसन में मदद करता है डायाफ्राम

39. लेकिन फेफड़ें स्वयं ही इस श्वास की आकुंचन-प्रकुंचन प्रक्रिया को करने में समर्थ नहीं होते हैं। इसमें उनकी सहायता करता है – डायाफ्राम (Diaphragm), जो एक छोटी गुम्बदाकार मांसपेशीय संरचना है। यह Lungs के ठीक नीचे अवस्थित होता है और Thoracic और Abdominal Cavity को अलग करता है।

40. श्वसन क्रिया में सहायता देने के लिये हमारे शरीर में Diaphragm के साथ-साथ कुछ अतिरिक्त मांसपेशियाँ भी होती हैं, जो पसलियों से जुडी रहती हैं। यह तब कार्य करती हैं जब साँस लेने के लिये व्यक्ति को अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता पड़ती है।

41. फेफड़ें शरीर की अशुद्धि को दूर करने वाले प्रथम और सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। देह की अशुद्धि को दूर करने वाले अन्य प्रमुख अंग हैं – यकृत, गुर्दे और त्वचा, जिनके बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं।

42. सन 1243 में अरब चिकित्सा विज्ञानी इब्न-अल-नफीस ने पहली बार सांस लेने की प्रक्रिया का वर्णन किया था।

43. सांस लेने-छोड़ने की दर पुरुषों की तुलना में, बच्चों और स्त्रियों में ज्यादा तेज होती है।

44. फेफड़ों (Lungs) की कार्यक्षमता को स्पाईरोमेटेरी टेस्ट के जरिये मापा जाता है।

Lungs in Hindi रक्त की शुद्धि होती हैं फेफड़ों में

45. फेफड़ों में दो स्रोतों से रक्त की आपूर्ति (Dual Blood Supply) होती है – एक Bronchial Circulation से और दूसरी Pulmonary Circulation से। Bronchial Circulation, फेफड़ों के वायुमार्ग को Bronchial Artery के माध्यम से ऑक्सीजनयुक्त रक्त की आपूर्ति करता है। आम तौर पर यह काम तीन धमनियों से संपन्न होता है, जिनमे से दो धमनियाँ बायें फेफड़ें में और एक धमनी दायें फेफड़े में जाती है। जबकि Pulmonary Circulation में ऑक्सीजनरहित अशुद्ध रक्त दिल से फेफड़ों में पहुँचता है और ऑक्सीजनयुक्त रक्त वापस दिल में चला जाता है।

46. रक्त को शुद्ध करने का काम दोनों फेफड़ें मिलकर करते हैं, जो फुफ्फुस धमनी और फुफ्फुस शिरा के माध्यम से ह्रदय से जुडे रहते हैं। फुफ्फुस शिरा से अशुद्ध रक्त Lungs में आता है और शुद्ध रक्त फुफ्फुस धमनी के जरिये वापस ह्रदय के निलय (Heart Ventricle) में चला जाता है।

47. फेफड़ें रक्त को शुद्ध करने का काम अवश्य करते हैं, लेकिन साँसों की गति तेज या धीमी करने का निश्चय मस्तिष्क ही करता है। जो रक्त में उपस्थित कार्बन डाई ऑक्साइड और ऑक्सीजन गैस के स्तर पर नियमित दृष्टि रखता है।

48. ज्यादातर लोग सोचते हैं कि हमारे Lungs अक्सर खाली रहते हैं और साँस लेने पर ही वह हवा से भरते हैं, लेकिन यह तथ्य बिल्कुल गलत है। आपके फेफड़ों में रक्त की एक बड़ी मात्रा हर समय बनी रहती है, क्योंकि ह्रदय से रक्त शुद्ध होने के लिए यही पर आता है।

49. हर बार जब आपका दिल धडकता है तो वह फेफड़ों (Lungs) में भी उतना ही रक्त भेजता है जितना कि शरीर के दूसरे स्थानों पर।

Facts about Disease of Human Lungs in Hindi

याद रखें फेफड़ों के रोगों से जुडी यह महत्वपूर्ण बातें

50. Asthma (दमा) वैश्विक स्तर पर, फेफड़ों से संबंधित सबसे बडा रोग है। WHO के अनुसार दुनिया भर में लगभग 25 करोड़ से भी अधिक लोग अस्थमा से पीड़ित हैं, नेशनल हार्ट, लंग, और ब्लड इंस्टिट्यूट के अनुसार अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में ही दमा के 2.5 करोड़ रोगी हैं जिनमे से 70 लाख बच्चे हैं।

51. इसके अतिरिक्त मोटापे का भी आपके फेफड़ों (Lungs) पर बुरा प्रभाव पड़ता है, क्योंकि तब उन्हें श्वसन की प्रक्रिया को संपन्न करने के लिये ज्यादा परिश्रम के साथ-साथ ज्यादा उर्जा भी लगानी पड़ती है। यही कारण है कि मोटे लोग थोडा सा परिश्रम करते ही जल्दी थक जाते हैं।

52. दमा, फेफड़ों का कैंसर, COPD और न्यूमोनिया, यह चार रोग फेफड़ों के सबसे खतरनाक रोग (Most Dangerous Lung’s Disease) हैं, जो प्रतिवर्ष लाखों लोगों की मौत का कारण बनते हैं।

53. चिकित्सा विज्ञान के इतनी प्रगति कर लेने के पश्चात भी अभी तक न तो कृत्रिम फेफड़ें (Artificial Lungs) का निर्माण संभव हो पाया है और न ही इसका प्रत्यारोपण।

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