Inspiring Time Story in Hindi for Students

 

“खोयी हुई दौलत कड़ी मेहनत से पायी जा सकती है, खोया ज्ञान अध्ययन से हासिल किया जा सकता है, खोया स्वास्थ्य औषधि या संयम से हासिल किया जा सकता है, लेकिन खोया समय सदा के लिये चला जाता है।”
– सैमउल स्माइल्स

 

Time Quotes and Story in Hindi
कमान से निकला तीर और बीता हुआ समय कभी लौटकर नहीं आते

बहुत पुरानी बात है। यूनान देश में एक मूर्तिकार रहता था। कहा जाता है कि उसकी बनायीं मूर्तियाँ इतनी जीवंत होती थीं कि अक्सर उनके सजीव होने का भ्रम पैदा हो जाता था। एक बार यूनान में एक बहुत बड़ी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, उसमे उस मूर्तिकार ने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। यूँ तो सभी मूर्तियाँ एक से बढ़कर एक थीं पर एक मूर्ति अदभुत और बेजोड़ थी।

उसका सौंदर्य किसी देवी-देवता के सौंदर्य को भी मात कर रहा था, क्योंकि उसमे जीवन की झलक साफ दिखाई दे रही थी। ऐसा प्रतीत होता था कि जैसे यह मूर्ति कुछ कहना चाहती हो। इस मूर्ति में कुछ अनोखी विशेषताएँ थीं। जैसे जहाँ इसके सिर के अगले हिस्से पर बाल थे, तो वहीँ पिछला हिस्सा बिल्कुल गंजा था। सिर के बाल हवा में लहराते प्रतीत होते थे।

जुल्फें कहीं ऊँची थीं और कहीं नीची। उसके पाँव में पंख लगे थे और वह अपने पैरों की उँगलियों के बल पर खड़ा था। उसके हाथ में एक उस्तरा था और मुख पर एक रहस्यमयी हँसी। सभी लोग इस मूर्ति को अपलक निहारते और मूर्तिकार की अद्भुत कलाकारी की खूब प्रशंसा करते। तभी एक युवक वहाँ आया और मूर्ति को ध्यान से देखने लगा।

उसके मन में इस मूर्ति के बारे में और अधिक जानने की उत्सुकता जागी। उसने मूर्तिकार से पूछा, “यह मूर्ति किसकी है?” मूर्तिकार ने एक गंभीर दृष्टि उस युवक पर डाली और फिर मंद स्वर में कहा, “यह समय है।” युवक समय की इस मूर्ति को देखकर आश्चर्यचकित रह गया। उसने कलाकार से कहा, “यदि यह समय है तो जरा यह बताइये कि इसके सिर पर जो बाल हैं वे क्या सन्देश देते हैं?

मूर्तिकार ने कहा, “सिर के आगे के भाग पर जो बाल हैं, वे बताते हैं कि यदि आप समय को पकड़ना चाहते हैं तो उसके माथे पर लटकती इन बलखाती लटों से ही उसे पकडिये। अर्थात केवल वर्तमान ही तुम्हारे हाथ में है। युवक यह जवाब सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ। उसे लगा जैसे इस रहस्यमयी मूर्ति में और भी कई अदभुत सन्देश छुपे हुए हैं।

उसने पुनः चित्रकार से पूछा, “अच्छा मित्र यह बताओ कि समय का मुख इतना सुन्दर क्यों है? मूर्तिकार ने जवाब दिया, “क्योंकि जीवन के फूल समय के बसंत में ही खिलते हैं। यदि आज अपने वक्त को सही तरह से इस्तेमाल कर लोगे तो कल जिंदगी भी इसके सौंदर्य की तरह जगमगा उठेगी। इसके गालों में मौसम की लालसा है। इसके मुख पर दमकता सौंदर्य जिंदगी के खुशनुमा पलों की आशा है।

“अच्छा यह तो बताओ कि इसके पैरों में पंख क्यों लगे है और यह अपने पाँवों की उँगलियों पर ऐसे क्यों खडा है?” – युवक ने फिर प्रश्न किया। मूर्तिकार ने कहा- ये पंख कोई साधारण पंख नहीं हैं, बल्कि समय की तेज रफ़्तार की, उसकी ऊँची उड़ान की पहचान हैं। ये पंख हमें बताते हैं कि समय दूसरी किसी भी चीज़ से ज्यादा तेज चलता है।

यह हवा के साथ उड़ता है और यदि उचित अवसर पर इसे पकड़ा न जाय तो यह फिर बहुत दूर चला जाता है। पर यदि कोई समय के साथ आगे बढ़ता है तो यह इंसान को जिंदगी में बहुत ऊपर ले जाता है और उसके हर ख्वाब को पूरा करता है। यह अपने पाँवों की उँगलियों पर इसलिये खडा है, क्योंकि यह हमेशा उड़ने को तैयार रहता है।

यह स्वयं को हर समय गति में रखता है। अच्छा मित्र! यह तो बताओ कि इसके हाथ में उस्तरा क्यों है? युवक ने फिर प्रश्न पूछा। मूर्तिकार ने कहा, “क्योंकि समय किसी तलवार की धार से भी ज्यादा तेज है। वाह दोस्त वाह! क्या खूब विशेषताएँ बताई तुमने समय की। मुझे तो ऐसा लगता है जैसे केवल तुमने ही समय को वास्तव में समझा है और आज तुम्हारे कारण ही मै भी इसे समझ सका हूँ।

फिर भी यह एक प्रश्न बारंबार मेरे मन में उठता है कि आखिर समय पीछे से गंजा क्यों है? मूर्तिकार ने हँसते हुए जवाब दिया, “वह इसलिये क्योंकि यदि समय एक बार अपने पंखों वाले पाँवों से उड़ जाता है, तो फिर उसे कोई नहीं पकड़ सकता। उसे लौटा पाना, रोक सकना असंभव है। यदि समय को काबू में करना चाहते हो, तो उसे उसके मस्तक पर लटकते बालों से पकड़ो।

यानी वर्तमान का सदुपयोग करो और फिर तुम जिंदगी में सब कुछ पा सकोगे। पर यदि समय को कभी पीछे से पकड़ने का प्रयास करोगे, तो कभी उसे छू भी न पाओगे और जिंदगी में खाली हाथ ही रह जाओगे। जिन्हें आगे बढ़ने की लालसा है, उन्हें समय के साथ-साथ कदम मिलाकर ही आगे बढ़ना पड़ेगा।

“जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं; बचाया हुआ समय, कमाए गये धन के बराबर होता है।”
– पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

 

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