Khalil Gibran Story in Hindi on Devil
– विनोबा भावे
एक बार एक व्यक्ति ने प्रसिद्द लेखक खलील जिब्रान से पूछा कि आज समाज में हिंसा, अनैतिकता और दुष्टता आखिर क्यों बढ़ते चले जा रहे हैं और अच्छाई लगातार कम होती जा रही है? जिब्रान ने बहुत ही शांत स्वर में जवाब देते हुए कहा, “देखों, जब भगवान ने इंसान को दुनिया में भेजा था तो उसने उसके दोनों हाथों में एक-एक घड़ा दिया था। जिसमे एक घड़े में सच भरा था और दूसरे में सुख भरा हुआ था।
जब इंसान स्वर्ग से धरती पर आने लगा तो भगवान ने इंसान को चेताते हुए कहा, देखों यह बात हमेशा याद रखना कि तुम्हारे दायें हाथ में सत्य का घड़ा है और बायें हाथ में सुख का। सत्य को सदा सुरक्षित रखना और सुख को समझदारी से खर्च करना। सत्य और शील का पालन करना तुम्हारे लिये हमेशा सुखदायक रहेगा।
ध्यान रखना सुख से विषय-वासनाओं की आग और तेज होगी और जगत में माया(अविद्या) का राज्य है इसलिये सुख की इच्छा को सीमित रखना। तुमसे थोड़ी भी भूल होने पर शैतान तुम्हे अपने फंदे में जकड लेगा। वह कदम-कदम पर तुमसे सत्य का घड़ा छीनने की कोशिश करेगा, लेकिन तुम्हे हर हाल में अपनी जान देकर भी सत्य की रक्षा करनी है।
ईश्वर से विदा लेकर मनुष्य अपने रास्ते पर बढ़ चला। चलते-चलते जब वह थक गया तो एक पेड़ की छाँव में बैठ गया। थोड़ी ही देर में उसे नींद आ गयी। इधर जबसे इंसान भगवान के पास से चला तो वहीँ से शैतान उसके पीछे लग गया। उसने चुपचाप सारी बातें सुन ली थीं। इंसान को सोते देखकर उसने चुपचाप दाएं हाथ का घड़ा बायें हाथ में और बाएँ हाथ का घड़ा दाहिने हाथ में रख दिया और गायब हो गया।
इस बात का इंसान को कुछ भी न पता चल सका और वह सच को बेकार समझकर दिन-रात लुटाने लगा। थोड़े ही समय में सत्य और शील का घड़ा पूरी तरह खाली हो गया। अब उसके पास केवल सांसारिक सुख और सुविधाएँ ही रह गयीं। यही कारण है कि आज दुनिया में असत्य, कष्ट और क्रूरता का ही बोलबाला है। सत्य और शील ढूँढने से भी नहीं मिलते।
फिर खलील जिब्रान ने उस व्यक्ति से कहा, “जो आदमी धर्म, सत्य और शील को छोड़ देता है, उससे केवल मनुष्यता ही दूर नहीं चली जाती, बल्कि आनंद और शांति भी दूर चले जाते हैं। अपने लिये ज्यादा से ज्यादा सुख-सुविधाओं का जखीरा जुटाने में वह दूसरों की जिंदगियों तक को दाँव पर लगा देता है। उन्हें सताने और कष्ट देने में सुख महसूस करता है।
जब तक मनुष्य सत्य और शील का आश्रय लेकर अपने वास्तविक स्वरुप को नहीं जान लेता, तब तक न तो वह ही कभी सुख से रह पायेगा और न ही संसार से दुःख और अत्याचार का विनाश हो सकेगा।
– खलील जिब्रान
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