Marie Antoinette: Story of A Mad Queen in Hindi

 

“संसार में ऐसे मूर्खों की कमी नहीं है जो थोड़ी सी समृद्धि पाते ही, उसकी क्षणिक चकाचौंध से पागल हो जाते हैं।”
– पवन प्रताप सिंह

 

Queen Marie Antoinette of France in Hindi मैरी एंटोइनेट्टी (1755-1793)

मैरी एंटोइनेट्टी भी शायद दुनिया की उन सबसे मशहूर रानियों (Story of 10 Weird Queens in Hindi) में से एक है जो अपनी सनकों के कारण चर्चित हुई थीं। इस रानी का विवाह फ्रांस के राजा लुई सोलहवें से हुआ था और इसे शानों-शौकत भरा जीवन जीने की आदत थी। इसकी यह आदत तब तक नहीं गयी जब तक कि यह दोनों पति-पत्नी क्रुद्ध जनता द्वारा मौत के घाट नहीं उतार दिये गये। मैरी एंटोइनेट्टी के पास जिंदगी में उपलब्ध वह हर चीज थी जिसकी एक इंसान आसानी से कल्पना नहीं कर सकता।

जब वह कहीं घूमने जाती तो दर्जनों लोग उसके काम में आने वाली वस्तुओं को थामे रहते, ताकि जब रानी माँगे तो वह उसे दे सकें। लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब रानी इस चकाचौंध भरी जिंदगी से आजिज आ गयी। उसके मन में विचार उठा कि आखिर गरीब कैसे एक सामान्य जीवन जीते होंगे। बस उसने निश्चय कर लिया कि अब वह अपनी आँखों से गरीब जनता को जीवन जीते देखेगी।

दुर्भाग्यवश रानी ने जो रास्ता चुना वह एक तरह से सामान्य फ्रेंच निवासियों का उपहास करने वाला कृत्य ही था। उसके मन में चाहे जो भी रहा हो, पर उसका यह काम सीधे-सीधे गरीबों का मजाक उड़ाने जैसा ही था। शैटॉ डे वर्सेल्स के अनुसार उसने वर्सेल्स की धरती पर अपने लिये एक छोटा सा महल बनवाया।

पर शायद इतना ही पर्याप्त नहीं था, उसने एक आभासी गाँव भी बसाया ताकि वह देख सके कि गरीब लोग कैसे रहते हैं। मॉडर्न नोशन के अनुसार उसने 11 अलग-अलग झोपड़ियाँ बनवायीं। इसके अतिरिक्त एक झील, एक पनचक्की, एक पशुशाला, खेत और कुछ किसानों जैसी दिखने वाली इमारतें भी उस कल्पित ग्राम में निर्मित की गयी।

लेकिन रानी मैरी एंटोइनेट्टी की पागलपन की यह सनक सिर्फ यहीं नहीं रुकी, बल्कि अपने मेहमानों से भी वह यही आशा करती थी कि जैसे गरीब किसान और मजदूर अपने सामान और फसलों को बाजार में ले जाकर बेचते हैं वैसा ही कुछ वह भी करें। जब पुरुष और स्त्री अतिथि अपने महँगे सामानों को बेचकर कुछ सामान्य दिखने वाली चीज़ें खरीदने का स्वांग करते, तो मैरी को एक अलग ही अनुभूति होती।

यहाँ तक कि उसने अपने बच्चों को भी खेती करना सिखाया था, लेकिन इतना सब कुछ करने के बाद भी देश की जनता उससे अपने को जोड़कर न देख सकी और फ्रांस की क्रांति के दौर में भडके जनविद्रोह में अपने पति के साथ-साथ उसे भी अपने शीश की आहुति देनी ही पड़ी। यह कहानी सिद्ध करने के लिये काफी है कि किसी को कभी भी किसी मजबूर की मजबूरी का उपहास नहीं करना चाहिये।

“जीवन प्रथम उपहार है, प्यार दूसरा, और समझदारी तीसरा।”
– मार्गे पिरसी

 

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