Causes and Symptoms of Malaria in Hindi

 

“मलेरिया, मच्छरों से फैलने वाला एक रोग है, जिसका कारण एक परजीवी (पैरासाइट) होता है। मलेरिया से ग्रस्त लोगों में, आम तौर पर बुखार, ठण्ड और फ्लू जैसी बीमारी के लक्षण दिखायी देते हैं। अगर इसका समय पर उचित इलाज न कराया जाय, तो गंभीर परिणाम होते हैं और रोगी मर भी सकता है। सन 2018 में दुनिया भर में मलेरिया के लगभग 22 करोड़ केस दर्ज हुए थे, जिनमे से 750,000 लोगों की मौत हो गयी थी।”

Malaria Symptoms in Hindi
मच्छरों को न पनपने देना ही मलेरिया का सर्वश्रेष्ठ उपचार है

Malaria Symptoms in Hindi हर साल दुनिया भर में करोड़ों लोग मलेरिया बुखार (Malaria Fever) के शिकार बनते हैं, जिनमे से लाखों लोगों की बेवक्त ही मौत हो जाती है। लोगों की जान के दुश्मन बने इस बुखार के फैलने का सबसे बड़ा कारण है वह मच्छर, जिनका आतंक हमारे देश में पूरे साल रहता है। गर्मियों में यह नन्हा सा जीव क्या उपद्रव मचाता हैं, इससे हर व्यक्ति परिचित ही होगा।

लेकिन धरती के बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन ने आज मच्छरों को इस योग्य बना दिया है कि अब यह सर्दियों में भी नहीं मरते। चिकित्सालय में मलेरिया से ग्रस्त एक रोगी को देखकर, मै अचंभित हुए बिना न रह सका। क्योंकि यह सामान्य धारणा है कि मच्छरों से फैलने वाले इस रोग का प्रकोप, ग्रीष्म और शरद ऋतु में अधिक होता है।

पर इसमें इन्सान क्या कर सकता है? आखिर मच्छर तो मच्छर ही ठहरे! जब उन्होंने इस सर्द मौसम के प्रति अपनी प्रतिरोधकता विकसित कर ही ली है, तो हमें भी अपनी जागरूकता और सतर्कता को बढ़ा लेना चाहिये, ताकि इनके चंगुल में फँसकर खुद को बीमार न बना लें।

What is Malaria in Hindi क्या है मलेरिया

मलेरिया शब्द, इटैलियन भाषा के शब्द “माला एरिया” से निकला है, जिसका तात्पर्य है ‘बुरी हवा’। “मलेरिया, मादा एनोफिलेज मच्छर से फैलने वाला एक संक्रामक रोग है, जो प्लाज्मोडियम जाति के प्रोटोज़ोआ परजीवी के माध्यम से फैलता है। यह परजीवी, मच्छर की लार से रोगी के रक्त में मिल जाता है और फिर व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश करके अपनी संख्या को बढाता है।

मलेरिया बुखार को दलदली बुखार (Marsh Fever) भी कहा जाता था, क्योंकि यह दलदली क्षेत्रों में व्यापक रूप से फैलता था। मलेरिया और डेंगू मच्छरों से फैलने वाली दो सबसे प्रमुख बीमारियाँ है, जिनका प्रभाव सामान्यतः तेज बुखार, उल्टियाँ, सिरदर्द और शरीर की टूटन के रूप में देखने को मिलता है।

यदि समय रहते सावधानीपूर्वक उपचार न कराया जाय, तो यह बुखार बड़ी मुश्किल का कारण बन जाते है। डेंगू बुखार के बारे में हमने Causes and Symptoms of Dengu in Hindi में विस्तार से वर्णन किया है। आज हम आपको बता रहे हैं मलेरिया कैसे फैलता है, इसके लक्षण क्या हैं और इसका सही उपचार किस प्रकार से किया जा सकता है।

 

Cause of Malaria Fever in Hindi with Images

आखिर क्या है मलेरिया बुखार का कारण

मलेरिया एनोफिलेज मच्छर से पैदा होने वाली एक संक्रामक बीमारी है जो इंसानों के साथ-साथ दूसरे जानवरों को भी प्रभावित कर सकती है। यह प्लाजमोडियम जाति के प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलती है जो एक कोशीय सूक्ष्म जीवाणु (Single-celled Microorganisms) होते हैं। यह कीटाणु इतने छोटे होते है कि इन्हें सिर्फ माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है।

यह परजीवी मलेरिया से पीडित व्यक्ति के खून मे पाये जाते है। खास बात यह है कि सिर्फ मादा एनोफिलेज मच्छर ही इस पैरासाइट की वाहक होती है, नर मच्छर नहीं। क्योंकि केवल मादा मच्छर ही खून चूसती है। इस एनोफिलेज मच्छर की भी 400 से ज्यादा अलग-अलग प्रजातियाँ पायी जाती हैं, जिनमे से 30 ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। यह सभी महत्वपूर्ण वेक्टर प्रजातियाँ, सुबह और शाम के बीच में ही काटती है।

शाम होते-होते यह शिकार की तलाश मे निकल पडती है और तब तक घूमती रहती है जब तक कि शिकार मिल नहीं जाता। यह ठहरे हुए पानी के अन्दर अंडे देती है, क्योंकि अंडों और उनसे निकलने वाले लार्वा दोनों को ही, पानी की बेहद जरुरत होती है। इसके अतिरिक्त लार्वा को सांस लेने के लिए बार-बार पानी की सतह पर आना पड़ता है।

अंडे से लार्वा तथा प्यूपा और फिर उससे वयस्क मच्छर बनने में, लगभग 10 से 14 दिन का समय लगता हैं। वयस्क मच्छर, पराग और शर्करा वाले अन्य भोज्य-पदार्थों पर पलते हैं, लेकिन मादा मच्छर को अंडे देने के लिए रक्त की आवश्यकता होती है, इसीलिये यह इंसानों का खून पीती है।

Malaria in Hindi जानिये कैसे फैलता है मलेरिया रोग

मलेरिया परजीवी का पहला शिकार तथा वाहक मादा एनोफ़िलीज़ मच्छर ही बनती है। जब कोई युवा मच्छर किसी संक्रमित मनुष्य को काटता है, तो वह उसके रक्त से मलेरिया के परजीवी को ग्रहण कर लेते हैं। फिर रक्त में मौजूद, उस परजीवी के जननाणु (गैमेटोसाइटस), मच्छर के पेट में जाकर नर और मादा के रूप में विकसित होते हैं और मिलकर अंडाणु (Oocytes) बना लेते हैं।

फिर यह ऊसाइटस, मच्छर की अंतड़ियों की दीवार में पलने लगते हैं और जब यह परिपक्व होने पर फूटते हैं, तो इसमें से निकलने वाले बीजाणु (Sporozoites) उस मच्छर की लार-ग्रंथियों में पहुँच जाते हैं। जब यह मच्छर किसी स्वस्थ मनुष्य को काटता है, तो त्वचा में लार के साथ-साथ बीजाणु (स्पोरोज़ॉट्स) भी चले जाते है। मानव शरीर में जाकर ये बीजाणु फिर पलकर, जननाणु बनते हैं और आगे संक्रमण फैलाते हैं।

अगले लेख में पढिये: आखिर कैसे इंसानों को संक्रमित करता है, मलेरिया का परजीवी

Malaria in Hindi ऐसे आक्रमण करता है मलेरिया परजीवी

जब प्लाज्मोडियम परजीवी से युक्त मादा एनोफिलेज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटती है अर्थात उसका खून चूसती है, तो यह परजीवी उसकी लार के माध्यम से व्यक्ति के रक्त में प्रवेश कर जाता है। यहाँ से फिर यह रोगी के लीवर तक पहुँच जाते हैं। वास्तव में इनका गंभीर और तेज आक्रमण यहीं से शुरू होता है, क्योंकि यकृत में परिपक्व होकर यह परजीवी अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं।

अपनी बढ़ी हुई संख्या के बल पर, यह यकृत की मूल कोशिकाओं (हेपेटोसाइट्स) को भयंकर नुकसान पहुँचाते हैं और लाल रक्त कणिकाओं में प्रवेश करके तेजी से बहुगुणित होने लगते हैं। यह पैरासाइट मानव शरीर में जाकर हीमोजॅाइन टॅाक्सिन पैदा करते हैं। इससे रोगी की लाल रक्त कोशिकाएँ नष्ट होने लगती हैं और उसमे रक्तहीनता यानि एनीमिया के लक्षण उभरने लगते हैं।

इस तरह यह लाल रक्त कोशिकाओं को एक के बाद एक ख़त्म करने लगते हैं। फिर यह सिलसिला चल पड़ता है और जब-जब ऐसा तीव्रता से होता है, रोगी में मलेरिया के लक्षण उभरते हैं। मलेरिया संक्रमित रक्त को चढ़ाने से भी फैल सकता है, लेकिन ऐसा बहुत ही कम देखने में आता है।

आगे पढिये: आखिर कितने प्रकार का होता है मलेरिया का परजीवी

Symptoms of The Malaria Fever in Hindi

यह हैं इंसानों में मलेरिया बुखार के आम लक्षण

किसी संक्रमित मच्छर के काटने से एक व्यक्ति में मलेरिया के रोगाणु आ सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ, किसी संक्रमित व्यक्ति को काटने से एक मच्छर में भी मलेरिया के रोगाणु आ सकते हैं। उसके बाद अगर वह मच्छर किसी दूसरे इंसान को काटे, तो उसे भी मलेरिया हो सकता है। इस तरह से मच्छर, एक इन्सान से दूसरे इन्सान में यह रोग फैलाते हैं।

मलेरिया के लक्षण और चिन्ह आम तौर पर संक्रमित मच्छर के काटने के आठ से 25 दिनों बाद विकसित होते हैं। हालांकि, जो लोग पहले से ही बचाव के रूप में, एंटीमलेरियल दवाएँ खा चुके होते हैं, उनके अन्दर लक्षण को विकसित होने में एक साल तक लग सकता है।

मलेरिया के शुरूआती दौर में सर्दी-जुकाम या पेट की गड़बड़ी जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं। इसके कुछ समय बाद सिर, शरीर और जोड़ों में दर्द, ठंड लग कर बुख़ार आना, नब्ज़ तेज़ होना, उबकाई, उल्टी या पतले दस्त जैसे लक्षण उभरने लगते है। लेकिन जब बुखार अचानक बढ़ कर, 6 से 12 घंटे तक रहता है और अचानक फिर से उतर जाता है, तो इसे मलेरिया की सबसे खतरनाक स्थिति माना जाता है।

Malaria in Hindi ठण्ड के साथ बुखार आता है मलेरिया में

मलेरिया की सभी प्रजातियों के आरंभिक लक्षण फ्लू की तरह ही होते हैं और यह दूसरी बीमारियों जैसे कि सेप्सिस गैस्ट्रोएंट्रीटिस और वायरल बीमारियों जैसे होते है। मलेरिया के रोगी को रोजाना या एक दिन छोडकर तेज बुखार आता है।

मलेरिया के संक्रमण का सबसे प्रमुख लक्षण यह है कि इसमें अचानक तेज कंपकंपी के साथ ठंड लगती है और फिर कुछ ही देर बाद बुखार आ जाता है। यह बुखार लगभग चार से छह घंटे तक रहता है और फिर पसीना आने पर बुखार उतर जाता है।

मलेरिया एक प्रकार का ज्वर है जिसमे ठंड और कंपकपी के साथ शरीर का तापमान बढ़ता चला जाता है। यदि किसी व्यक्ति को मलेरिया हो जाय, तो उसे भीषण गर्मी में भी इतनी ठण्ड लगने लगती है कि वह कई कपडे ओढने पर भी रूकती नहीं है।

Malaria in Hindi पी. फैल्सीपैरम से होता है गंभीर मलेरिया

पी. फैल्सीपैरम परजीवी से फैलने वाले मलेरिया का संक्रमण काफी गंभीर होता है। यूँ तो इसमें भी शुरू-शुरू में कंपकंपी के साथ ठंड लगती है, लेकिन बाद में आपको घंटों तक बुखार रह सकता है। आम तौर पर इस प्रकार के मलेरिया में बुखार 48 या 72 घंटे के चक्र (Cycles) में होता है।

इन चक्रों के दौरान पहले तो आपको कंपकपी के साथ ठंड लगती है, और फिर पसीने और थकान के साथ तेज बुखार आता है। बुखार के यह लक्षण प्रायः 24 से 36 घंटे तक रहते हैं। देखा गया है कि यह बुखार हर दो-तीन दिन बाद फिर से आ जाता है।

पी. फैल्सीपैरम मलेरिया के कुछ और गंभीर लक्षण, संक्रमण के 6 से 14 दिन बाद प्रकट होते है। जिसमें तिल्ली और यकृत के आकार में वृद्धि, तेज सिरदर्द, रक्त में ग्लूकोज की कमी (अधोमधुरक्तता) आदि लक्षण नजर आते हैं। आमतौर पर इसे कालापानी बुखार कहते हैं। इस मलेरिया में मूत्र में हीमोग्लोबिन जाने के साथ-साथ, किडनी भी फेल हो सकती है।

Malaria in Hindi दिमागी मलेरिया हो सकता है बेहद गंभीर

युवाओं, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को हुए मलेरिया के गंभीर मामलों में काफी हद तक मूर्च्छा होने की भी संभावना रहती है। यहाँ तक कि कई मामलों में तो मृत्यु कुछ ही घंटों के अन्दर हो सकती है। महामारी वाले क्षेत्रों जैसे कि अफ्रीकन सहारा क्षेत्र में, मृत्युदर ज्यादा पाई जाती है।

गंभीर स्थिति में मलेरिया के रोगी की त्वचा पीली पड़ जाती है, उसे दौरे पड़ सकते हैं। वह कोमा में जा सकता है या फिर उसकी मौत भी हो सकती है। ऐसा पी. फैल्सीपैरम परजीवी के कारण ही होता है।

कई युवाओं या बच्चों को दिमागी मलेरिया होता हुआ भी देखा गया है। इसमें दिमाग में रक्त की आपूर्ति में कमी आ जाती है और ज्यादा असर बढ़ने पर पर हाथ-पैरों में विचित्र सी ऐंठन होने लगती है। यहाँ तक कि कुछ बच्चों का तो मानसिक विकास भी रुक सकता है।

चूँकि मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश करके बहुगुणित होते हैं। इस कारण से रोगी में एनीमिया, साँस फूलने आदि लक्षणों के साथ सर्दी, जुकाम और उल्टी-दस्त जैसी समस्याएँ भी देखी जा सकती है।

Malaria Symptoms in Hindi मलेरिया के अन्य लक्षण

अगर मलेरिया के लक्षणों को संक्षेप में बताया जाय तो निम्न लक्षण नजर आते हैं – आम तौर पर अस्वस्थ महसूस करना, शरीर में उच्च तापमान (बुखार) रहना, सिरदर्द, पसीना आना, ठंड लगना, उल्टी होना, मांसपेशियों में दर्द होना, दस्त, बेहोशी, एनीमिया, निम्न रक्त शर्करा, पेट की परेशानी, थकान रहना, कमजोर महसूस करना।

कभी-कभी ये लक्षण हल्के भी होते हैं और उस समय इन्हें मलेरिया के रूप में पहचानना मुश्किल हो सकता है। कई बार बुखार पसीना आने से उतर जाता है, परन्तु कुछ घंटों बाद फिर हो सकता है। यह निर्भर करता है कि किस परजीवी (रोगाणु की किस्म) के कारण मलेरिया हुआ है।

छोटे बच्चों को मलेरिया होने पर डायरिया की शिकायत हो सकती है। चूँकि उनका प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होता है, इसीलिए इन्हें ज्यादा परेशानी होती है।

मलेरिया रोगियों को कमजोरी और थकान होने पर जी मिचलने की शिकायत होती है, जिसकी वजह से कई बार उनका मन भारी भी हो जाता है।

कभी-कभी मलेरिया रोगी की आँखें लाल हो जाती हैं। हो सकता है कि उन्हें आँखों में भी थोडी जलन महूसस हो।

 

Risks & Complications of Malaria in Hindi

मलेरिया से पैदा होने वाली समस्याएँ

रोगाणु की किस्म के अनुसार मलेरिया के तीन मुख्य प्रकार हैं – मलेरिया टर्शियाना, क्वार्टाना और ट्रोपिका। इनमें सबसे ख़तरनाक है मलेरिया ट्रोपिका, जो पी. फ़ाल्सिपेरम नामक परजीवी से फैलता है। इसका ज्यादा प्रकोप अफ्रीका महाद्वीप में फैला हुआ है।

यूँ तो मलेरिया के ज्यादातर मामले जल्दी उपचार करने और निर्धारित दवाई खाने पर ठीक हो जाते हैं। लेकिन कई मामलों में मलेरिया, जीवन को मुश्किलों में डालने वाली, कई तरह की घातक जटिलताएं भी पैदा कर सकता है। जो कि इन रूपों में देखने को मिल सकती हैं –

मलेरिया कब बनता है मृत्यु का कारण

दिमागी या सेरेब्रल मलेरिया

जब मलेरिया परजीवी से भरी हुई रक्त कोशिकाएं, मस्तिष्क में मौजूद छोटी रक्त वाहिनियों (Blood Vessels) को ब्लॉक करती हैं, तब आपके मस्तिष्क में सूजन पैदा हो जाती है। इससे मस्तिष्क की क्षति होने पर आपका दिमाग काम करना बंद कर सकता है। सेरेब्रल मलेरिया अक्सर कोमा या मृत्यु का कारण बनता है।

ऑर्गन फैल्योर

पी. फ़ाल्सिपेरम से फैलने वाला मलेरिया, आपके शरीर के अत्यंत महत्वपूर्ण अंगों जैसे कि गुर्दे, जिगर, मस्तिष्क और तिल्ली को बेकार कर सकता है। इनमें से किसी भी अंग के फेल होने पर, जीवन तुरंत संकट में पड़ जाता है

निम्न रक्त शर्करा

मलेरिया के कारण शरीर की रक्त शर्करा भी कम (Low Blood Sugar Level) हो सकती है। अगर ब्लड शुगर बहुत ज्यादा कम हो जाय, तो इससे रोगी कोमा में जा सकता है या फिर उसकी मृत्यु भी हो सकती है। ऐसा अक्सर मलेरिया को खत्म करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा क्विनिन के कारण हो सकता है।

मलेरिया से खड़ी होने वाली जटिलताएँ

खतरनाक एनीमिया

मलेरिया लाल रक्त कोशिकाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाता है, क्योंकि यह इनका विनाश करके ही अपनी उत्पत्ति करता है। इसके परिणामस्वरूप रोगी को गंभीर एनीमिया हो सकता है।

पल्मोनरी ओडिमा

मलेरिया पल्मोनरी ओडिमा की समस्या भी पैदा कर सकता है। यह दिक्कत आपके फेफड़ों में द्रव या पानी भर जाने के कारण होती है और इस स्थिति में सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है।

फिर से होने वाला मलेरिया

मलेरिया परजीवी की एक किस्म पी. वाईवैक्स, लीवर में कई सालों तक चुपचाप पड़ा रह सकता है और फिर अचानक से सक्रिय होकर, आपको मलेरिया का शिकार बना सकता है।

Diagnosis and Treatment of The Malaria in Hindi

मलेरिया के इलाज से पहले उसकी जाँच करानी है जरुरी

मलेरिया का उपचार करने से पहले यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि रोगी वास्तव में पलेरिया के परजीवी से संक्रमित है भी या नहीं। क्योंकि मलेरिया जैसे लक्षण दूसरी कई बीमारियों के भी होते हैं, इसीलिये मलेरिया की दवाइयाँ खाने से पहले, इसकी जाँच करानी बहुत ही जरुरी है।

मलेरिया की जाँच तीन तरीकों से की जाती है – सूक्ष्मदर्शी जाँच, रैपिड एंटीजन टेस्ट, और मलेरिया आरटीएस। टेस्ट पोजिटिव आने पर ही चिकित्सक कुछ दवाइयों जैसे कि क्वीनिन, मेफ्लोक्वीन और डोक्सीसाईक्लीन आदि की खुराक देते हैं। मलेरिया की जाँच में मुख्य रूप से इन चीजों पर ध्यान दिया जाता है –

Malaria in Hindi मलेरिया जाँच में ध्यान रखने वाली बातें

1. रोगी को किस प्रकार का मलेरिया हुआ है अर्थात उसे मलेरिया किस परजीवी के कारण हुआ है?

2. क्या यह परजीवी (Parasite) किसी विशेष प्रकार की दवा का प्रतिरोधी (Drug Resistant) तो नहीं है?

3. क्या मलेरिया की बीमारी रोगी के लिये एनिमिया (Anemia) का कारण तो नहीं बन जायेगी?

4. मलेरिया रोगी के किस-किस अंग को प्रभावित कर सकता है?

Malaria Test in Hindi ऐसे की जाती है मलेरिया की जाँच

मलेरिया की जाँच एक ब्लड टेस्ट से की जाती है। इसमें जाँच के लिये एक स्टरलाइज (कींटाणु ‍‍रहित) सुईं को रोगी की अनामिका अंगुली मे थोडा से प्रविष्ट कराया जाता है। इससे दो-तीन बूँद रक्त निकलता है, जिन्हें काँच की पट्टियों पर इकट्ठा करके स्लाइड तैयार की जाती हैं। फिर इन स्लाइड्स का माइक्रोस्कोप से सूक्ष्म परीक्षण करके यह देखा जाता है कि इसमें मलेरिया का कौन सा परजीवी उपस्थित है। संक्षेप में यह प्रक्रिया इस प्रकार है –

1. रक्त पट्टिकाओं का सूक्ष्मदर्शी से परीक्षण करना, मलेरिया के निदान का सबसे सस्ता, अच्छा तथा भरोसेमंद तरीका माना जाता है। सबसे पहले रक्त का सैंपल लेकर उससे ब्लड स्मीयर (Blood Smear) तैयार किया जाता है।

2. रक्त पट्टिकाएँ दो तरह से बनाई जाती हैं – पतली और मोटी। पतली पट्टिकाओं में परजीवी की बनावट को बेहतर ढंग से सुरक्षित रखा जा सकता है, वहीं दूसरी ओर मोटी पट्टिकाओं से कम समय में रक्त की अधिक मात्रा की जाँच की जा सकती है और इससे कम मात्रा के संक्रमण का भी निदान किया जा सकता है।

3. अगर पहले सैंपल में मलेरिया परजीवी की उपस्थिति नहीं पायी जाती है, मगर आपके डॉक्टर को संदेह है, तो आपको अगले 36 घंटों तक हर 8 से 12 घंटे में दोबारा परीक्षण कराना चाहिये।

Malaria in Hindi मलेरिया जाँच की विशेषताएँ

4. इलाज के दौरान, रक्त में मलेरिया के परजीवीयों की संख्या कम हो रही है या नहीं, डॉक्टर इसकी भी जांच करते हैं। जाँच करते समय एक से अधिक वलय चरणों की जाँच करना भी जरूरी होता है, क्योंकि चारों परजीवियों के वलय चरण अक्सर एक जैसे ही दिखते हैं।

5. मलेरिया के निदान के लिए विकसित अन्य परीक्षणों में आनुवंशिक परीक्षण, पॉलीमरेज़ श्रृंखला अभिक्रिया या अन्य रक्त परीक्षण भी शामिल हैं। जो विशेष तरह के दाग (Stains) का उपयोग करके परजीवी की मौजूदगी दर्शाते हैं। हालाँकि अभी यह काफी महंगे हैं तथा केवल विशिष्ट प्रयोगशालाओं में ही उपलब्ध हैं।

6. कुछ मामलों में डॉक्टर रोगी की कुछ अन्य जाँच और एक्स-रे टेस्ट भी करा सकते हैं। इसलिये रक्त की जाँच कराने से न घबराएँ, क्योंकि मलेरिया में ब्लड टेस्ट अनिवार्य है। रक्त की जाँच भी 15 से 20 मिनट में ही मिल जाती है।

प्रिय मित्र, उम्मीद है आपको आर्टिकल काफी अच्छा लगा होगा। हमने इस लेख को लिखने में अपना काफी वक्त लगाया है। कितना अच्छा हो अगर आप भी अपना थोडा सा सहयोग हमें दें और इस लेख को सोशल मिडिया पर शेयर करें। हमें बस आपके दो मिनट चाहियें। उम्मीद है आप इंकार नहीं करेंगे।