Spleen Facts and Meaning in Hindi

 

“प्लीहा (Spleen) मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो उदर में बायीं तरफ, उपर की ओर स्थित होती है। यह पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करती है तथा शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को इसकी वास्तविक सामर्थ्य प्रदान करती है।”

 

Spleen Facts and Meaning in Hindi
प्लीहा शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है

Spleen Meaning in Hindi प्लीहा का अर्थ

Spleen Meaning in Hindi में आज हम आपको स्प्लीन के अर्थ के साथ-साथ, इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में भी बतायेंगे। Spleen का अर्थ है – तिल्ली या प्लीहा। यह शरीर का आवश्यक अंग है, जो पेट में आमाशय के ठीक बाई ओर स्थित होता है। Spleen लगभग सभी रीढ़धारी प्राणियों में पायी जाती है और इसकी संरचना एक बड़े लसिका पर्व (Lymph Node) जैसी होती है।

Spleen शब्द की उत्पत्ति, प्राचीन यूनानी शब्द Splen से हुई है, जिन्होंने इस अंग का सबसे पहले पता लगाया था। चूँकि मानव प्लीहा, शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्यों को संपन्न करती है, इसीलिये स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हर व्यक्ति को, इससे संबंधित यह बातें अवश्य जाननी चाहियें –

Spleen Structure in Hindi प्लीहा की संरचना

1. Spleen बैंगनी रंग का एक माँसल अंग है जिसका वजन 150 से 200 ग्राम तक होता है। एक व्यस्क व्यक्ति की प्लीहा का आकार, 7 सेमी से लेकर 14 सेमी तक हो सकता है। तिल्ली (Spleen in Hindi) आपकी पसलियों के पीछे, डायाफ्राम के नीचे और आमाशय के उपर तथा पिछली ओर अवस्थित होती है।

2. प्लीहा की आंतरिक रचना, संयोजी ऊतक (Connective Tissue) तथा स्वतंत्र पेशियों से होती है। इसके अंदर प्लीहावस्तु भरी रहती है, जिसमें बड़ी बड़ी प्लीहा कोशिकाएँ तथा जालक कोशिकाएँ रहती हैं। इनके अतिरिक्त रक्तकरण तथा लसीका कोशिकाएँ भी मिलती हैं।

3. कुछ लोगों के शरीर में मुख्य Spleen से जुडी हुई एक अतिरिक्त तिल्ली भी होती है। लेकिन ऐसा 100 में से सिर्फ 10 लोगों के साथ होता है और यह पूरी तरह से सामान्य बात है।

4. यदि सूजन के कारण प्लीहा का आकार बढ़ न गया हो, तो सिर्फ हाथ से छूकर इसका अनुमान लगाना कठिन है। क्योंकि यह पसलियों (Rib Cage) के भीतर सुरक्षित रहती है।

लिम्फ प्रणाली का सबसे बड़ा अंग है हमारी Spleen

5. व्यक्ति के शरीर के अनुसार प्लीहा की आकृति और आकार अलग-अलग हो सकती है, लेकिन सामान्य रूप से यह मुट्ठी के आकार की होती है।

6. अगर तिल्ली की विशिष्ट अवस्थिति की बात की जाय, तो यह 9वीं पसली से लेकर 12वीं पसली के नीचे सुरक्षित रहती है।

7. तिल्ली में रक्त का आवश्यक भंडार संचित रहता है, जो शरीर की आकस्मिक आवश्यकताओं के लिये बचाकर रखा जाता है।

8. प्लीहा शरीर की लिम्फ प्रणाली का सबसे बड़ा अंग है और यह शरीर की सबसे बड़ी वाहिनीहीन ग्रंथि (Ductless Gland) है।

9. Spleen एक छोटे लिगामेंट की मदद से, बायीं किडनी से जुडी रहती है।

Structural Facts about The Human Spleen in Hindi

मनुष्य की तिल्ली की संरचना से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

10. Spleen, शरीर की लिम्फ प्रणाली (Body’s Lymphatic System) का बेहद जरुरी अंग है। लिम्फेटिक सिस्टम, शरीर की मृत कोशिकाओं को हटाने के साथ-साथ, तरल पदार्थों का संतुलन बनाये रखने और इम्यून सिस्टम के लिये संक्रमण से लड़ने वाली श्वेत रक्त कोशिकाओं का निर्माण और उन्हें सक्रिय करने का काम करता है।

11. Spleen में टिश्युओं के दो मुख्य भाग होते हैं – लाल पल्प (Red Pulp) और सफ़ेद पल्प (White Pulp), इन दोनों भागों के अलग-अलग काम होते हैं। लाल पल्प क्षेत्र में खून से भरी कैविटीज (Venous Sinuses) और Splenic Cords (लाल तथा श्वेत रक्त कोशिकाओं को समाहित रखने वाले संयोजी उतक) होते हैं तथा यह लाल रक्त कोशिकाओं को फ़िल्टर करता है।

12. जबकि सफ़ेद पल्प में, मुख्य रूप से प्रतिरक्षा कोशिकाएँ (T-सेल्स और B-सेल्स) उपस्थित होती हैं। देह में जीवाणुओं के प्रवेश करने पर शरीर जो इम्यून रेस्पोंस देता है, उसके लिये Spleen ही जिम्मेदार है। क्योंकि यह जीवाणुओं की संख्या के अनुरूप श्वेत रक्त कोशिकाओं को पैदा करती है।

13. इसके अलावा, यह उन पदार्थों का निर्माण करने के लिये भी जिम्मेदार है, जो सूजन और बीमारी को सही करने में अहम् भूमिका निभाते हैं।

Spleen in Hindi दो हिस्सों में बंटी होती है प्लीहा

14. Spleen का जो सिरा (मुँह) डायाफ्राम की तरफ रहता है, उसकी सतह चिकनी तथा आकार उत्तल होता है। लेकिन इसका दूसरा हिस्सा चिकना नहीं होता और एक उभार के कारण दो भागों में बंटा रहता है। इन दो क्षेत्रों को पिछला गुर्दे वाला हिस्सा (Posterior Renal Portion) और अंदरूनी पेट वाला हिस्सा (Anterior Gastric Portion) कहते हैं।

15. इसके अंदरूनी उदर-आंत्र (गैस्ट्रिक) भाग की सतह, उपर-नीचे को उठी हुई होती है। बीच में इस हिस्से की सतह चौड़ी हो जाती है और अवतल आकार धारण कर लेती है और अंततः आमाशय की पिछली दीवार को स्पर्श करने लगती है।

16. जबकि इसके पिछले हिस्से (Posterior Renal Portion) की सतह संकरी और कुछ चपटी होती है और यह बायें गुर्दे की अंदरूनी सतह से जुडा रहता है।

17. प्लीहा का निचला हिस्सा, Pancreas यानि अग्न्याशय की पूँछ से तथा अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal Gland) से लगा रहता है।

Spleen in Hindi ऐसे होती है तिल्ली में रक्त की आपूर्ति

18. Spleen के पिछले हिस्से में एक लम्बी दरार होती है जो इसके बिल्कुल बीच से होकर गुजरती है। इस दरार को हाइलम कहते हैं। यह हाइलम वह स्थान है, जहाँ गैस्ट्रोस्प्लेनिक लिगामेंट Spleen से जुडा रहता है। यह लिगामेंट, आमाशय के बड़े घुमाव को, तिल्ली के हाइलम से जोड़ता है।

19. हाइलम से ही, Splenic Artery (प्लीहा धमनी) और Splenic Vein (प्लीहा शिरा) तिल्ली में प्रवेश करती हैं। प्लीहा धमनी, उदर महाधमनी से आक्सीजनयुक्त शुद्ध रक्त को तिल्ली में ले जाती है। जबकि प्लीहा शिरा, अशुद्ध रक्त को Spleen से बाहर ले जाती है।

20. इनके अलावा हाइलम में और भी कई छिद्र होते हैं, जो लसिका तंत्रिकाओं और दूसरे लिम्फेटिक पात्रों के लिये होते हैं।

21. प्लीहा धमनी के अलावा भी, Spleen छोटी गैस्ट्रिक धमनियों से रक्त ग्रहण करती है जो प्लीहा धमनी के सिरे से बाहर निकलती हैं।

Important Functions of The Human Spleen in Hindi

रक्त को शुद्ध करने का काम करती है हमारी तिल्ली

22. Spleen का सबसे मुख्य काम है – पुरानी, अनियमित और बेकार हो चुकी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करके रक्त को शुद्ध करना। ऐसी पुरानी और बेकार रक्त कोशिकाएँ तिल्ली में तोड़ी जाती हैं और उनसे निकला लौह तत्व यानि Iron रिसायकल (दोबारा इस्तेमाल होने लायक) कर लिया जाता है, ताकि उससे फिर नयी और स्वस्थ लाल रक्त कोशिकायें बनायीं जा सकें।

23. पर Spleen यह प्रक्रिया कैसे पूरा करती है? दरअसल शरीर में प्रवाहित होने वाला सम्पूर्ण रक्त, शरीर के महत्वपूर्ण अंगों से कई बार होकर गुजरता है। जब रक्त में उपस्थित लाल रक्त कोशिकाएँ Spleen में प्रवेश करती हैं, तो उन्हें बहुत ही संकरे मार्ग से गुजारा जाता है।

24. स्वस्थ लाल कोशिकाएँ तो सफलतापूर्वक इस मार्ग से निकल जाती हैं, लेकिन खराब कोशिकाओं को यहीं पर ही रोक लिया जाता है और फिर श्वेत रक्त कोशिकाएँ उन्हें ख़त्म कर देती हैं।

25. यह आयरन भी तिल्ली में फेररेटिन या बिलरुबिन के रूप में स्टोर रहता है। बाद में इसे बॉन मेरो में भेज दिया जाता है, जहाँ इससे हीमोग्लोबिन का निर्माण होता है।

26. Spleen से एक अन्तःस्रावी द्रव निकलता है, जो आमाशय की ग्रंथियों को उत्तेजित करता है।

Spleen in Hindi जीवाणुओं को ख़त्म करती है प्लीहा

27. Spleen उन स्थानों में से एक है जहाँ से लसिका होकर गुजरती है। यह शरीर में उपस्थित एक प्रकार का द्रव है और हमारे खून से बिल्कुल अलग होता है। जब लसिका तिल्ली से गुजरता है, तो Spleen में उपस्थित श्वेत रक्त कोशिकाएँ बाहरी पदार्थों और कीटाणुओं को पकड़ लेते हैं।

28. हमारी Spleen, लिम्फोसाइट्स और मैक्रोफेज को बनाने और स्टोर करने का काम करती है। यह दोनों विशेष प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएँ हैं, जिन्हें आवश्यकता होने पर शरीर के दूसरे हिस्सों में भेजा जाता है।

29. Spleen, मोनोसाइट्स की भी एक छोटी मात्रा को स्टोर करके रखती हैं। मोनोसाइट्स विशेष प्रकार के इम्यून सेल्स हैं जो संक्रमण पैदा करने वाले जीवाणुओं से लड़ते हैं। जब भी शरीर को इनकी जरुरत होती है, तो प्लीहा इन मोनोसाइट्स को ब्लडस्ट्रीम (खून की धारा) में छोड़ देती हैं।

30. Spleen ही हमारे शरीर में उन विशेष प्रकार के रसायनों का निर्माण करती है, जिन्हें एंटीबाडी कहते हैं। संक्रमण से लड़ने के लिये शरीर को इन एंटीबाडी की बहुत जरुरत होती है।

31. हर समय शरीर की कम से कम एक चौथाई ल्यूकोसाईट कोशिकाएँ, Spleen में इकट्ठा रहती हैं।

Spleen in Hindi तिल्ली के कुछ अन्य जरुरी काम

32. पुरानी हो चुकी प्लेटलेट्स को रक्त संचरण से बाहर करने का जिम्मा भी Spleen का ही है। ध्यान दीजिये इन प्लेटलेट्स के ही कारण खून में जमने का गुण होता है और चोट लगने पर यही थक्कों का निर्माण करती हैं। Spleen में इन प्लेटलेट्स का भी छोटा सा संग्रह होता है, जिसे आवश्यकता पड़ने पर, खून में छोड़ दिया जाता है।

33. Spleen, मानव शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की 240 मिली तक की मात्रा को इकट्ठा करके रख सकती है। हायपोक्सिया और हायपोवोलेमिया की दशा में तिल्ली इन स्टोर की गयी लाल रक्त कोशिकाओं को रक्त में छोड़ देती है। हायपोक्सिया वह दशा है जिसमे शरीर के कुछ अंगों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जबकि हायपोवोलेमिया में रक्त में प्लाज्मा का स्तर घट जाता है।

34. Spleen एक रक्तनिस्यंदक के रूप में भी कार्य करती है, जिससे खून में प्रविष्ट जीवाणु छनकर वहीं अलग हो जाते हैं और श्वेत रक्त कोशिकाओं के जीवाणुभक्षण (Phagocytosis) की क्रिया द्वारा अंदर ही अंदर नष्ट हो जाते हैं।

35. Spleen ओप्सोनिंस, प्रोपरडिन और टफ्टसिन का उत्पादन करती है तथा प्रोटीन के चयापचय (Metabolism) में योगदान देती है, विशेषकर यूरिक अम्ल के निर्माण में।

36. Spleen पित्तरंजकों, पित्तारुण तथा पित्तहरित का निर्माण करती है।

Facts about The Disease of Human Spleen in Hindi

तिल्ली के रोगों के संबंध में आवश्यक महत्वपूर्ण जानकारी

37. तिल्ली का फटना (Ruptured Spleen) एक ऐसी दशा है जिसमे किसी दुर्घटना या चोट के कारण तिल्ली फट जाती है। तिल्ली के फटने से आन्तरिक रक्तस्राव (Internal Bleeding) होने लगता है और यह स्थिति जीवन के लिये बहुत खतरनाक सिद्ध हो सकती है। इसमें तुरंत चिकित्सीय सहायता की आवश्यकता होती है। कभी-कभी किसी ट्रामा में ऐसा भी होता है कि तिल्ली पर सिर्फ चोट लगती है और यह कुछ दिनों या हफ़्तों बाद फटती है, इसीलिये इन परिस्थितियों को नजरंदाज न करें।

38. जब तिल्ली ज्यादा बढ़ जाती है तो यह स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं को भी रोक लेती है और उन्हें नष्ट कर देती है। इससे बहुत ज्यादा लाल रक्त कोशिकाएँ नष्ट होने लगती हैं। इस अवस्था को हायपरस्प्लेनिजम (Hypersplenism) कहते हैं।

39. स्प्लेनोमिगाली (Splenomegaly) या बढ़ी हुई तिल्ली (Enlarged Spleen) वह रोग है, जिसमे तिल्ली बहुत बढ़ जाती है। यह यकृत रोगों और ल्यूकेमिया तथा लिम्फोमा जैसे रोगों के कारण हो सकता है।

Spleen के रोग इसकी कुदरती क्षमता को ख़त्म कर सकते हैं

40. थ्रोम्बोसायटोपेनिया (Thrombocytopenia) एक ऐसी अवस्था है जिसमे प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं। यह विकार स्प्लेनोमिगाली यानि तिल्ली बढ़ने के कारण हो सकता है। इसमें बढ़ी हुई तिल्ली प्लेटलेट्स की बहुत ज्यादा मात्रा को स्टोर कर लेती है, ताकि इसे भविष्य में रक्त प्रवाह के माध्यम से शरीर में भेजा जा सके।

41. सिकल सेल डिजीज, तिल्ली को प्रभावित कर सकती है। क्योंकि इसमें रक्त प्रवाह, Spleen में ही रुक जाता है, जिससे इसके क्षतिग्रस्त होने का खतरा पैदा हो जाता है। रक्त प्रवाह के रुकने का कारण, वह अनियमित लाल रक्त कोशिकाएँ हो सकती हैं जो रक्त वाहिनियों में रक्त को बहने से रोक देती हैं।

42. तिल्ली का संकुचन (Spleen Deflation) एक दूसरी अवस्था है, जिसमे Spleen का आयतन 40 प्रतिशत तक कम हो जाता है। ऐसा किसी हायपोक्सिक गैस को सूँघने या फिर बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करने से होता है।

Spleen Disease in Hindi तिल्ली के रोगों से जुड़े तथ्य

43. अस्प्लेनिया (Asplenia) वह दशा है जिसमे स्प्लीन काम करना बंद कर देती है। जो किसी अंदरूनी चोट के कारण हो सकता है या स्प्लेनोकटेमी की वजह से या फिर अकारण भी। स्प्लेनोकटेमी (Splenectomy) में तिल्ली को शरीर से काटकर बाहर निकाल दिया जाता है, लेकिन इससे मेमोरी B-सेल्स की संख्या में बहुत कमी आ जाती है।

44. दूसरे विश्व युद्ध के उन 740 सैनिकों पर, जिनकी Spleen, युद्ध के मैदान में सर्जरी करके निकाल दी गयी थी, 28 वर्ष तक चले अध्ययन में पता चला है कि जिनकी प्लीहा बाहर निकाल दी जाती है, ऐसे लोगों की न्यूमोनिया और दिल के रोगों से मरने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।

45. रक्त कैंसर, यकृत रोग और वायरस से फैलने वाले मोनोनुक्लियोसिस रोग (Mononucleosis) जैसे कुछ रोगों में Spleen का आकार बढ़ जाता है।

46. Spleen Cancer यानि तिल्ली का कैंसर, दुर्लभ कैंसर में से एक है और इसके उपचार के रूप में तिल्ली को हटाना पड़ सकता है।

Amazing Facts about Human Spleen in Hindi

तिल्ली के बिना भी जिन्दा रह सकते हैं आप

47. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि Spleen शरीर में इतने महत्वपूर्ण काम करती हैं, लेकिन फिर भी यह शरीर के अत्यंत महत्वपूर्ण अंगों में शामिल नहीं है, क्योंकि आप इसके बिना जी सकते हैं। कभी-कभी चोट लगने पर या किसी अन्य कारण से तिल्ली को हटाने की जरुरत पड़ जाती है और डॉक्टर इसे बाहर निकाल देते हैं।

48. Spleen के जाने के बाद आपका यकृत और लसिका पर्व (लिम्फ नोड्स) तिल्ली के बहुत सारे कामों को पूरा करने लग जाते हैं। लेकिन फिर भी शरीर के दूसरे अंग इसकी कमी को पूरी नहीं कर सकते है, क्योंकि यह Immune System का बेहद महत्वपूर्ण अंग है। इसके बिना आप खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस का बहुत जल्दी शिकार बन सकते हैं।

49. और तब आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति बहुत ज्यादा सचेत रहने की जरुरत रहती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपको कुछ खतरनाक बीमारियों जैसे कि इन्फ्लूएंजा, मेनिनजाईटिस, टिटनस, चिकन पॉक्स, HPV, चेचक, खसरा, रूबेला, डिप्थीरिया और शिन्गल्स जैसी बीमारियों की वैक्सीन लगवाने की सलाह दे सकते हैं।

Spleen in Hindi तिल्ली से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य

50. Spleen शरीर की रोग प्रतिरोधक सुरक्षा प्रणाली (Immune System) का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। प्लेटलेटस और श्वेत रक्त कोशिकाएँ (White Blood Cells) यहीं सुरक्षित रहती हैं।

51. लेकिन अतीत में Spleen को कई तरह की भावनाओं से जोड़कर देखा जाता था। माना जाता था कि ईर्ष्या, क्रोध, और विध्वंसक बुद्धि इसके कारण ही उत्पन्न होती थी।

52. शेक्सपियर, गिल्बर्ट और एडिसन जैसे महान लोगों ने भी अपनी रचनाओं में Spleen का वर्णन किया है।

53. जब कोई व्यक्ति बीमार या चोटिल होता है, तो उसकी तिल्ली का आकार बढ़ जाता है।

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