Short Story in Hindi on Desire of People
– प्रेटो
एपिरस के सम्राट पाईरस के दिल में साहस का तूफ़ान उमड़ रहा था। संसार को जीतने की इच्छा से जब वह सेना सजाकर चला, तो उसके बुद्धिमान मित्र साइनेस ने पूछा, “महाराज आप यह यात्रा किसलिए कर रहे हैं?”
“रोम को जीतने के लिए”, पाईरस ने गरजते हुए कहा, “मै शूरवीरों की इस नगरी को जीतूँगा।”
साइनेस के होठों पर एक मंद मुस्कान फ़ैल गयी और उसने पूछा “रोम को जीतने के बाद आप क्या करेंगे?”
“उसके बाद मै सारे इटली को अपनी सेना के बल पर रौंद डालूँगा,” पाईरस ने तलवार को लहराते हुए कहा।
“और उसके बाद आप क्या करेंगे?”
“सिसली मेरी अगली मंजिल होगी और उसे जीतना आसान होगा।”
“और अगर आप सिसली को भी जीत लेते हैं तो उसके बाद क्या करेंगे?” साइनेस ने पूछा।
“तब हम मेसेडोनिया, अफ्रीका और सीरिया पर जीत हासिल करेंगे!”
“अपनी इच्छानुसार सारे देशों को जीतने के बाद आप क्या करेंगे, सम्राट?”
“तब मै आराम से बैठ जाऊंगा और शान्तिपूर्वक प्रजा का पालन करूँगा।” – पाईरस ने जवाब दिया।
“अगर आप सुख-शांति से ही रहना चाहते हैं, तो क्या आप आज आराम से नहीं बैठे हैं।” -साइनेस ने गंभीरता से जवाब दिया। “यदि शांतिपूर्वक जीवन बिताना ही आपका अंतिम ध्येय है, तो आप क्यों युद्ध छेड़कर लोगों का खून बहाना चाहते हैं? अगर आप लोभ का त्याग करेंगे, तो हमेशा खुद को सुखी महसूस करेंगे और फिर आपको किसी दूसरे देश को जीतने की इच्छा न रहेगी।”
वास्तव में अनियंत्रित और विवेकहीन महत्वाकांक्षा ही अशांति और दुःख की जड़ है। ख़ुशी मानव जीवन का अर्थ और उद्देश्य है, पर सुख संतोष से प्राप्त होता है, इच्छाओं के पीछे भागने से नहीं।
– अज्ञात
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