Famous Moral Story in Hindi for Class 6

 

“महानता शक्तिशाली होने में नहीं है, बल्कि शक्ति का सही उपयोग करने में है; और शक्ति तब सही प्रकार से उपयोग में नहीं लायी जाती जब यह एक मनुष्य को उसके अपने गौरव के लिये उसके साथियों से ऊपर पहुँचने में मदद करती है। वह सबसे महान है जिसकी शक्ति उसके अपने आकर्षण से सबसे अधिक हृदयों को ऊँचा उठाती है।”
– हेनरी वार्ड बीचर

 

Greatness Quotes and Story in Hindi
महानता विनम्रता की ही अभिव्यक्ति है और यह चरित्र से तय होती है

एक बार अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन घोड़े पर सवार होकर नगर में भ्रमण कर रहे थे। अपने देश की जनता की स्थिति जानने के लिये वे अक्सर अकेले ही भ्रमण किया करते थे। जब वे एक सैनिक छावनी से होकर गुजर रहे थे, तो उन्हें कुछ सैनिक लकड़ी का एक बड़ा शहतीर हटाते दिखाई दिये। यूँ तो सैनिक स्वस्थ व बलिष्ठ थे और वे अपनी पूरी सामर्थ्य से उस लट्ठे को उठाने का प्रयत्न कर रहे थे।

लेकिन वह शहतीर बहुत भारी था, इसलिये उसे उठाकर दूसरे स्थान पर रखना उन लोगों के लिये बहुत भारी कार्य सिद्ध हो रहा था। स्पष्ट था कि यदि केवल एक व्यक्ति और उन लोगों की सहायता करने को उपलब्ध हो जाता, तो शहतीर को आसानी से हटाया जा सकता था। अचानक वाशिंगटन की नजर उन सैनिकों के कमांडर पर पड़ी।

जो उन लोगों को फटकारता हुआ, गाली देता हुआ, बार-बार उस लट्ठे को उठाने के लिये कह रहा था, परन्तु सैनिकों की मदद करने के स्थान पर, उसने अपने झूठे सम्मान और आदेश के प्रतीक रूप में एक डंडा थाम रखा था, जिसे वह उन सैनिकों की तरफ हिलाकर अपने प्रभुत्व का प्रदर्शन कर रहा था।

सैनिकों की शोचनीय अवस्था देखकर जॉर्ज वाशिंगटन उस कमांडर के पास गये और उससे विनम्रता से कहने लगे, “महाशय, यह लकड़ी का लट्ठा बहुत भारी है। यदि आप उन सैनिकों के साथ मिलकर इस लट्ठे को उठाने में उनकी मदद करेंगे, तो निश्चय ही शहतीर आसानी से उठ जायेगा।” वाशिंगटन के इतना कहते ही वह व्यक्ति रोष से बोला, “यह तुम क्या कह रहे हो?

जानते नहीं कि मै इनका कमांडर हूँ और कमांडर का काम केवल अपने सैनिकों को आदेश देना होता है। उनके साथ काम करना नहीं।” उसके इतना कहने पर ही वाशिंगटन ने अनुमान लगा लिया कि यह व्यक्ति अहंकार के तीव्र ज्वर से पीड़ित है। इसे समझाना सरल नहीं। उन्होंने उससे बिना कुछ कहे अपना कोट और सिर पर पहना टोप उतारकर एक ओर रख दिया।

और फिर वे चुपचाप सैनिकों की ओर चल दिये। केवल एक आदमी के और जोर लगाने की देर थी कि लट्ठा आराम से उठ गया। उसे यथास्थान रखने के पश्चात सभी सैनिकों ने उस अपिरिचित व्यक्ति (वाशिंगटन) के प्रति आभार प्रकट किया, जिसे उन्होंने सिर्फ मुस्कुराकर स्वीकार कर लिया। उधर उनका कमांडर खड़ा-खड़ा एकटक उन्हें ही देखे जा रहा था।

वह यही सोचे जा रहा था कि यह व्यक्ति कौन है जो एक कुलीन और सभ्य व्यक्ति होकर भी एक तुच्छ काम के पीछे पड़ा हुआ है। काम हो जाने के पश्चात वाशिंगटन ने अपना कोट और टोप पहना और कमांडर के पास आकर सिर्फ यह कहकर चल दिये, “कमांडर साहब! जब कभी आपको अपने कार्य के लिये किसी व्यक्ति की आवश्यकता पड़े, तो अपने सुप्रीम कमांडर को प्रेसिडेंट हाउस से बुलवा लेना।”

जब कमांडर को उनकी बातों का अर्थ समझ में आया, और उसने ध्यानपूर्वक उनके चेहरे की ओर देखा, तो वह क्षमा माँगते हुए उनके पैरों पर गिर पड़ा। राष्ट्रपति महोदय ने उसे उठाया और प्रेम से समझाते हुए कहा, “देखो अब से कभी किसी कार्य को छोटा मत समझना और न ही अभिमान करना।” यह कहकर वाशिंगटन घोड़े पर सवार होकर आगे बढ़ गये।

महान व्यक्तियों की पहचान उनके पद, अधिकार, ऐश्वर्य या धन-संपत्ति से नहीं होती। महान व्यक्ति की पहचान उनकी विनम्रता, उदारता और कर्तव्य-परायणता से होती है। केवल शील (चरित्र) ही व्यक्ति की महानता की सच्ची कसौटी है। क्षुद्र व्यक्ति तो थोडा सा धन या छोटा सा पद पाकर ही फूलकर कुप्पा हो जाते हैं।

उन्हें ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह इस लोक के प्राणी नहीं है, उनसे बढ़कर बुद्धिमान या धनवान संसार में कोई दूसरा नहीं है। इसलिये वे बात-बात पर धन या अधिकार का प्रदर्शन करते हैं और लोगों को त्रास देते हैं। जबकि एक महान व्यक्ति उस वट वृक्ष की तरह विशाल ह्रदय वाले होते हैं जो अपनी छाँव में अनेकों को आश्रय प्रदान करता है।

काश हर देश का राजतन्त्र यह समझ पाता कि महानता त्याग और कर्तव्यनिष्ठा से होती है, प्रभुत्व और अधिकार से नहीं, तो इस धरती पर शायद ही किसी व्यक्ति को कोई अभाव रहता, क्योंकि तब प्रत्येक व्यक्ति उनके उद्दात जीवन से प्रेरणा पाकर वैसे ही बनता।

“आग सोने की परख करती है, दुर्भाग्य महान लोगों की परख करता है।”
– सेनेका

 

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