Hindi Story on Unity is Strength

 

“एकता की शक्ति अद्भुत है। साथ मिलकर कोई भी प्राणी न सिर्फ मुश्किल से मुश्किल काम को आसानी से कर सकता है, बल्कि बड़ी से बड़ी विपत्ति का भी सरलता से सामना कर सकता है।”

 

एक जंगल में हीरा और मोती नाम के दो बैल रहते थे। दोनों में पक्का याराना था। दोनों एक ही साथ जंगल में चरते और एक ही साथ मिलकर आराम करते। अगर कभी कोई मुसीबत आती, तो दोनों एक-दूसरे का साथ निभाते। वक्त बीतने के साथ-साथ उनकी दोस्ती की कहानी पूरे जंगल में फैलती चली जा रही थी। जंगल तरह-तरह के जंगली जानवरों से भरा हुआ था, उसी में शेरसिंह नाम का एक शेर भी रहता था।

शेर सिंह बहुत बलवान और क्रूर था। वह रोज शिकार करने के लिये जानवरों को मारा करता था। इसी से सभी जानवर उससे बहुत डरते थे। शेर सिंह ने कई बार हीरा और मोती का भी शिकार करने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हुआ। क्योंकि एक तो दोनों बैल ऊँचे डील-डौल के, स्वस्थ और बलवान थे, दूसरे वह हमेशा मिलकर शेर सिंह के हमले का सामना करते थे।

एक बार उसने हीरा को अकेले पाकर उसे दबोच भी लिया था, कि तभी उसकी पुकार सुनकर मोती दौड़ा चला आया और दोनों दोस्तों ने अपने सींगों की मार से उसे बेहाल करके भागने पर मजबूर कर दिया। शेर सिंह के दो हमले होने पर फिर दोनों बैल एक साथ ही घास चरते थे, जिससे उसे दोबारा उन पर कभी हमला करने का मौका नहीं मिल पाया।

Hindi Story on Unity is Strength

लेकिन दोनों बैल उसकी नजरों में खटक रहे थे और वह किसी भी तरह से उनका शिकार करना चाहता था। चूँकि वह सामने आकर तो उनसे लड़ नहीं सकता था, इसलिये उसने एक चाल चलकर अपना काम निकालने का निश्चय किया। शेर सिंह ने बनावटी स्नेह और मित्रता दिखाते हुए किसी तरह मोती बैल से दोस्ती कर ली। फिर धीरे-धीरे वह हीरा के खिलाफ मोती के कान भरने लगा।

जब भी शेर सिंह मोती से मिलता, वह उसे बरगलाते हुए कहता – “मोती भाई! देखो तुम्हारा दोस्त कितना स्वार्थी है। वह हरी-हरी घास तो खुद खा जाता है और सूखी घास तुम्हारे लिये छोड़ देता है। मोती बैल थोडा कम समझदार था, वह शेर सिंह की बातों में आ गया। उसके बहकावे में आकर अब मोती, ने हीरा से दूर जाकर घास चरना शुरू कर दिया था।

हीरा ने कई बार ऐसा करने का कारण जानना चाहा, लेकिन मोती ने कभी असली बात जाहिर नहीं होने दी। क्योंकि शेर सिंह ने अपनी दोस्ती का वास्ता देकर उसे ऐसा करने से मना कर दिया था। धीरे-धीरे मोती और हीरा के बीच की दूरियाँ बढती चली गयी और दोनों एक-दूसरे से कटने लगे। चूँकि काफी समय से शेर सिंह ने उन पर कभी हमला नहीं किया था, इसीलिये मोती उसे अपना दोस्त समझने लगा था।

Union Story एकता में बहुत शक्ति है

शेर सिंह के बहकावे में आकर अब मोती घास चरने के लिये काफी दूर निकल जाया करता था। एक दिन जब वह घास चरने में व्यस्त था, तो उसी समय शेर सिंह ने चुपके से आकर उसकी गर्दन दबोच ली। चूँकि उसे शेर पर पूरा विश्वास हो चला था, इसीलिये उसके आने पर भी मोती अक्सर बेखबर ही रहता था। लेकिन मोती का, शेर सिंह पर विश्वास करने उसे बहुत भारी पड़ा।

शेर ने उसकी गर्दन इस तरह से दबोच रखी थी कि मोती के मुँह से अपने बचाव में आवाज तक नहीं निकल पायी और फिर थोड़ी ही देर में शेर ने उसे मार डाला। आज शेर सिंह बहुत खुश था, क्योंकि आज उसे उसका मनपसंद शिकार जो मिल गया था। मोती को मारने के कुछ दिन बाद ही उसने हीरा को भी मार डाला, क्योंकि अकेला रह जाने के कारण, अब वह शेर सिंह का सामना नहीं कर सकता था।

तो देखा, आपने एकता के बल के अभाव में कैसे शेर सिंह ने दोनों बैलों को अपना निवाला बना लिया। अगर वह शेर के बहकावे में आकर अलग नहीं हुए होते, तो दोनों जिन्दा होते। लेकिन आपस में पड़ी फूट और एकता की शक्ति खंडित होने से ही, दोनों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।

“एकता और अखंडता में ही सर्वोत्तम शक्ति निहित है।”
– पवन प्रताप सिंह
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