Last Updated on October 31, 2018 by Jivansutra

 

Bad Company Story in Hindi

 

“कुसंग से बढ़कर कोई पाप नहीं। कुसंगी के साथ रहने पर बहुत दुःख उठाना पड़ता है।”
– गंगाधर मेहर

 

Bad Company Story in Hindi
अच्छे काम करें अच्छी जिंदगानी आपकी, लोग भी सीखें सबक सुनकर कहानी आपकी

कुछ दिनों से रामनगर में रोज एक विचित्र घटना घट रही थी। न जाने कहाँ से रात में कोई चोर आता और खेत में खड़ी फसलों को चौपट कर जाता। इस बार गेहूँ की अच्छी पैदावार हुई थी। सबने सोचा था कि इस बार तो उनके जीवन में खुशहाली और सम्पन्नता अवश्य आ जायेगी, पर जब सुबह उठकर अपने खेतों पर जाते तो देखते कि खेत में खड़ी फसल का एक बड़ा हिस्सा ख़त्म हो चुका होता था।

इस अदभुत चोर का पता लगाने के लिये सबने मिलकर एक युक्ति निकाली। बारी-बारी से दो लोगों को खेतों की चौकसी करने पर लगा दिया गया। दिन छिपते ही अचानक कबूतरों का एक बड़ा झुण्ड आया और गेंहूँ की बालियाँ तोड़-तोड़कर अनाज खाने लगा। थोड़ी ही देर में उन्होंने खेतों में खड़ी फसल का एक बड़ा हिस्सा खा डाला और फिर उड़कर चले गये।

पहरे पर डटे लोगों ने इसकी सूचना दूसरे किसानों को भी दी। काफी विचार-विमर्श करने के बाद निश्चय किया गया कि खेतों में पुतले खड़े कर दिये जाँय, जिससे कबूतर खेत में घुसने की हिम्मत ही न कर सकें। अगले ही दिन सभी किसानों ने अपने-अपने खेतों में पुतले खड़े कर दिये। पर यह क्या? अगले दिन खेत पर जाकर देखा तो पता चला कि पुतले खड़े करने से कोई फर्क नहीं पड़ा था।

कबूतरों ने निःशंक होकर खेत में खड़ी फसल उजाड़ डाली थी। सभी दुखी थे और परेशान भी कि आखिर अब क्या उपाय किया जाय? अकस्मात उनमे से एक व्यक्ति को एक अनोखी युक्ति सूझी। उसी दिन सभी लोगों ने मिलकर एक खाली खेत में जाल डाल दिया और उस पर अनाज के दाने बिखेर दिये।

सभी लोग पेड़ों की झुरमुट में छिपकर कबूतरों के आने का इंतजार करने लगे। उड़ते हुए कबूतरों की नजर जब खुले खेतों में पड़े अनाज के दानों पर पड़ी तो वे अपना मोह न संवरण कर सके, और आव देखा न ताव तुरंत ही खेत में पड़े दानों पर टूट पड़े। जैसे ही उन्होंने अनाज के दाने चुगने शुरू किये वैसे ही सब के सब जाल में फँस गये।

सभी किसान जाल में फंसे कबूतरों को देखकर बहुत खुश हुए और एक दुसरे से कहने लगे, “इन दुष्टों ने हमारी सारी फसल उजाड़ डाली, हमारा बहुत नुकसान कर दिया। अब हम भी इन्हें जिन्दा नहीं छोड़ेंगे।” जब वे सब उन कबूतरों को मारने की योजना बना रहे थे तो तभी उन्हें कहीं से एक मधुर आवाज सुनाई दी।

सभी का ध्यान उस आवाज पर खिंच गया। देखा तो एक तोता भी जाल में फँसा छटपटा रहा था। शायद वह भी कबूतरों के साथ दाने चुगने के लोभ में आ गया था पर अब प्राण बचाने को चिल्ला रहा था। सभी किसान उसके लालच को देखकर हँसे और कहने लगे, “अरे लोभी, आज तू भी इन कबूतरों के कारण मरेगा। अगर तू इन गलत कबूतरों की संगति में न पड़ता तो आज इस तरह न मरता।”

इतना कहकर उन्होंने अपने शिकारी कुत्तों को कबूतरों के झुण्ड के ऊपर छोड़ दिया। देखते ही देखते कुत्ते उन कबूतरों पर टूट पड़े और एक-एक को मारकर चट कर गए। वह तोता भी न बच सका। सयाने लोग सच ही कहते हैं, कुसंग का फल तो भोगना ही पड़ता है। बुरे लोगों की संगति में रहने के बजाय, बदनसीबी में दिन काटना ज्यादा अच्छा है। क्योंकि दुर्जनों का संग व्यक्ति के समूल नाश का कारण बनता है।

“अनिष्ट से यदि इष्ट सिद्ध हो भी जाय, तो भी उसका परिणाम अच्छा नहीं होता।”
– नारायण पंडित

 

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