A Great Secret: Hope Meaning in Hindi

 

“आशावादी लोग हर खतरे में भी अवसर देखते हैं और निराशावादी लोग हर अवसर में खतरा देखते हैं।”
– डेविड ब्रिंकले

 

Meaning of Hope in Hindi होप का अर्थ

Hope अंग्रेजी भाषा का शब्द है जो एक Verb और Noun दोनों है। Noun के रूप में Hope के हिंदी में अर्थ (Meaning) इस प्रकार हैं – आशा, उम्मीद, आसरा, आश्वासन, भरोसा, अरमान। English में इसके पर्यायवाची शब्द हैं – Expectation, Optimism, Aspiration, Anticipation, Faith और Desire.

Verb के रूप में Hope के अर्थ इस प्रकार हैं – आशा करना, आशा रखना, उम्मीद रखना, उम्मीद होना, चाहना। English में इसके पर्यायवाची शब्द हैं – Expect, Trust, Anticipate Wish.

Definition of Hope in Hindi आशा की परिभाषा

Hope यानि आशा क्या है, इसकी एक सरल सी परिभाषा यहाँ दी जा रही है –

“Hope is the emotion of mind by which the possibility of existence and non-existence of people, objects and circumstances and the interest and indifference towards them is exhibited, while having a little expectation from them. Prediction is also an important factor in it.”

“आशा मन की वह भावना है जिससे व्यक्ति, वस्तुओं और घटनाओं से किंचित अपेक्षा रखते हुए उनके होने और न होने की संभावना तथा उनके प्रति रूचि और अरुचि प्रकट की जाती है। इसमें पूर्वानुमान भी एक महत्वपूर्ण कारक होता है।”

इस Motivational Article (Hope Meaning in Hindi) में हम आपको आशा के सिर्फ अर्थ और परिभाषा के बारे में ही नहीं बतायेंगे, बल्कि यह भी बताना चाहेंगे कि एक सफल, सुखमय और संतोषी जीवन की बुनियाद भी आशा ही है। आशा के सहारे ही इन्सान बड़ा होता है, सपने देखता है और उन्हें जीता है। आशा के सहारे ही सामान्य इन्सान, लेखक, कवि, उद्योगपति, पेशेवर और महान इन्सान बन पाता है। सच कहें तो इन्सान आशा के दम पर ही अपनी सारी जिंदगी जीता है।

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Hope is Secret of Success कामयाबी का महान रहस्य

आशा मनुष्य का शुभ संकल्प है। निराश, हतोत्साहित प्राणियों के जीवन का अमृत है। जैसे समस्त संसार सूर्य से उर्जा और शक्ति पाता है, वैसे ही आशा मनुष्य में शक्ति का संचार करती है। मनुष्य की प्रत्येक उन्नति, जीवन की सफलता, और जीवन लक्ष्य की प्राप्ति का संचार आशाओं से ही होता है। अगर आशा न रही होती, तो दुनिया नीरस, बोझिल, निश्चेष्ट सी दिखाई देती।

इसीलिए स्वामी विवेकानंद कहते हैं – “मनुष्य के लिए निराशा से बढ़कर दूसरा कोई पाप नहीं। हमें इसका विनाश करके आशा को अपना धर्म बनाना है।” प्रगति का आधार आशावाद को मानते हुए वे आगे कहते हैं – “हे मनुष्यों! संसार में आने के उद्देश्य को हासिल करने के लिए तुम्हे सबसे पहले आशावादिता का सहारा लेना होगा।” इस दुनिया के सारे काम आशाओं पर ही चलते हैं।

शिक्षा पाने के लिए छात्र अपना धन और समय लगाकर रात-दिन मेहनत करते हैं। माँ-बाप और अध्यापक की डांट-फटकार सुनते हैं, अपना सुख-चैन छोड़कर कड़ी मेहनत करते हैं। इस आशा में कि एक दिन वे पढ़-लिख कर सभ्य, सुशिक्षित नागरिक बन सकें और सम्मान से जी सकें। स्वावलंबी बनकर देश और समाज की उन्नति में भागीदार बन सकें।

Businessman बहुत पैसा लगाकर कोई Firm बनाते हैं, इस आशा में कि एक दिन वे ज्यादा मुनाफा हासिल कर सकेंगें। खेत-खलिहान से लेकर बड़ी-बड़ी Companies तक जितने भी Business Organization फैले हैं उनके मूल में कोई न कोई आशा ही है। आशाओं के सहारे मनुष्य बड़ी-बड़ी मुसीबतों को हँसते-हँसते जीत लेता है। जो व्यक्ति हर समय किस्मत का रोना रहते हैं, उन्हें तो एक तरह से अधमरा ही समझना चाहिए।

आशावादी व्यक्ति हिम्मत और हौंसले के दम पर एक न एक दिन मुश्किलों को पार कर ही लेते हैं। वह संकटों पर टूट पड़ता है और मिटटी से सोना पैदा करने की कूवत रखता है। दूसरे शब्दों में कहा जाय तो वह अपना नसीब खुद लिखता है। वह किसी के सामने अपना हाथ नहीं फैलाता, बल्कि दूसरे के बढे हाथ को थामकर उन्हें नई जिंदगी देता है। इससे पहले कि हम आगे कुछ और लिखें, आप यह सच्ची कहानी पढ़ें –

Want Success, Be Hopeful सफलता पानी है तो आशावादी बनिये

स्कॉटलैंड का राजा ब्रूस दुश्मनों से हारकर एक गुफा में छुपा हुआ अतीत के चिन्तन में मग्न था। बीते हुए दिनों की याद बार-बार उसके जेहन में बिजली की तरह कौंधती, पर उम्मीद (Hope) की कोई सुनहरी किरण दिखाने के बजाय वे उसके मन को निराशा के और भी ज्यादा अंधेरों में डुबो दे रहीं थीं। साम्राज्य, सेना, अधिकार, वैभव, प्रतिष्ठा और परिवार की याद से उसका मन दुःख और संताप से भर उठता।

उसे लगने लगा कि राज्य पाना तो असंभव ही है, क्योंकि सब कुछ खो चुका था। अब जब कुछ पाया ही नहीं जा सकता, तो फिर जीने का ही क्या फायदा? उसे खुद का जीवन भार लगने लगा और उसे त्याग देना ही उसने बेहतर समझा। खुद का अंत करे या न करे, विचारों की इसी उधेड़बुन में पड़ा वह यह सोच ही रहा था कि अचानक सामने गुफा की दीवार पर उसकी नजरें टिक गई।

एक चींटी जो अपने से कहीं ज्यादा बोझ लिए गुफा की दीवार पर चढ़ रही थी, नीचे गिर पड़ी। लेकिन तुरंत ही उसने फिर से चढ़ना शुरू किया, पर गुफा की दीवार चिकनी होने की वजह से वह दोबारा गिर गई। वह बार-बार गिरती और दोबारा ऊपर चढ़ने का प्रयास करती। यह देखकर ब्रूस के ह्रदय में आशा का संचार हुआ।

उसने सोचा जब एक छोटी सी चींटी भी इतनी बार असफल होने पर निराश नहीं हुई और निरंतर प्रयास करना नहीं छोडती, तो फिर मै इससे कही ज्यादा सामर्थ्यवान होने पर भी हिम्मत क्यों हार जाऊं? ब्रूस उसी समय उठ खड़ा हुआ और अपनी शक्ति इकठ्ठा करने के बाद पूरे जोश से दुश्मन से लड़ा। लेकिन दुर्भाग्य से फिर हार गया, पर उसने हिम्मत नहीं हारी।

6 बार वह इसी तरह हारा, पर आखिरकार 7वीं बार वह जीत ही गया और अपने खोये हुए राज्य को हासिल करने में सफल रहा। ऊपर दी हुई घटना तो खैर बरसों पुरानी है पर इसमें समाया सन्देश हमेशा वही रहेगा। अगर किसी इंसान को Successful बनना है, तो उसे हमेशा Hopeful बने रहना होगा।

 

Keep Away from Hopelessness निराशा से बचिए

निराशा (Hopelessness) मनुष्य की शक्ति को खा जाने वाली पिशाचनी है। उस उत्साह की सबसे बड़ी दुश्मन है जो सफलता की सबसे मूल शर्त है। निराश लोग उन्नति की इच्छा से रहित होकर मोह के भंवर में पड़े रहते हैं। यह मनुष्य को कर्तव्य और पुरुषार्थ से हटाकर भाग्यवादी बना देती है। उसकी प्रगति के सारे रास्ते बंद कर देती है। निराश व्यक्ति भाग्य को ही सब कुछ मानते हैं और उसी के भरोसे हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं।

वे चाहते है, कि कोई जादू की छड़ी हाथ लग जाय, जिससे रातों-रात सारी मुसीबतों से छुटकारा मिल जाय। अपनी मेहनत के दम पर भाग्य-निर्माण की क्षमता को वे लगभग भूल से जाते हैं। निराशा मनुष्य के दिलो-दिमाग समेत हर चीज को जंग लगा देती है। ऐसे व्यक्ति हर समय निराशाजनक विचारों में डूबे रहते हैं। Negative Fantasies में उनकी शक्ति बहुत तेजी से जलने लगती है।

यही वजह है कि Hopeless इंसान जल्दी ही कमज़ोर, बीमार और अशक्त हो जाते हैं। निराशा मनुष्य की आत्मिक शक्ति के साथ-साथ मानसिक शक्ति को भी अस्त-व्यस्त कर देती है। ऐसे लोग पूरी मुस्तैदी से किसी भी काम में नहीं लग पाते। किसी तरह अगर काम करना शुरू भी करते हैं, तो जल्दी ही उनका मन उचटने लगता है। थोड़ी सी मुसीबत आई नहीं कि वे काम छोड़ बैठते हैं।

घबराहट और काल्पनिक भय उन्हें Mentally Unstable बना देता है और फिर इस तरह निराश व्यक्ति को जिंदगी में असफलता पर असफलता मिलती रहती है। इसमें कोई शक नहीं कि निराशा चाहे वह छोटे से छोटे रूप में ही क्यों न हो, एक भयंकर मानसिक बीमारी है, जो बढ़ते-बढ़ते एक न एक दिन सारे जीवन का ही नाश करके रख देती है।

यह एक ऐसा भंवर है, जो जिंदगी की नाव को पतन के गर्त में आसानी से डुबोकर रख देती है। यह एक ऐसा दलदल है, जिसमे फंसा हुआ आदमी रोने, तड़पने और पश्चाताप करने के अलावा और कुछ नहीं कर पाता। Hopeless व्यक्ति अपने और दूसरों लोगों में बुराइयाँ ही देखते रहने के आदी होते हैं, क्योंकि वह हर समय बुरे विचारों में ही खोये होते हैं।

इस दुनिया की अच्छी चीज़ों और जीवन के उज्जवल पहलुओं से वे हमेशा आँखे मूंदे रहते हैं। अपने आपको बुरा और दुखी समझने के अलावा वह दूसरों से भी घृणा करता है। अपने जीवन को दुखमय और भाररूप करने के अतिरिक्त वे दूसरों के जीवन में भी नकारात्मकता भर देते है, इसीलिये सभी उनसे बचकर रहना चाहते हैं।

Consider Failure Your Friend असफलता को अपना मित्र समझिये

एक महान दार्शनिक का कथन है, “इस दुनिया में आज तक कोई भी ऐसा महान व्यक्ति नहीं हुआ, जो कभी असफल न हुआ हो।” सफलता की मंजिल तक पहुँचने के लिए आपको असफलता की सीढियों पर चलकर जाना होगा। असफलताएँ हमारी छुपी प्रतिभा और कौशल को उभारती हैं। इनसे निराश (Hopeless) मत होइये। चरित्रवान व्यक्ति कभी निराश नहीं होते हैं, क्योंकि उनकी उच्च भावनाएँ उन्हें सदा असीम उर्जा से युक्त रखती हैं।

वे हर समय मुश्किलों से लड़कर अपना लक्ष्य पा लेने की क्षमता रखते हैं। Positive Thinking रखने वाले व्यक्तियों को निराशा के क्षणों में भी आशा का प्रकाश दिखायी देता है। इसी के बल पर वे अपनी परिस्थितियों में सुधार कर लेते हैं। महात्मा गाँधी अगर स्वतंत्रता प्राप्ति के प्रयासों में निराश हो गए होते, तो आज संसार में उन्हें कौन जानता।

पर उन्होंने स्वयं को मुसीबतों में डालकर और अपना सब कुछ त्यागकर भी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष जारी रखा। मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं है, वह अपनी किस्मत को लिखने वाला खुद है। पर यह तभी संभव है, जब वह आशावादी हो। आशावादी व्यक्ति (Hopeful Person) किसी भी काम को शुरू करने से पहले उस पर गंभीरता से विचार करते हैं।

अपनी क्षमता और कमजोरियों को ध्यान में रखकर योजना बनाते हैं। राह में आने वाली मुश्किलों का हल खोज निकालते हैं, आवश्यक साधन जुटाकर फिर पूरी लगन व मेहनत से जुट जाते हैं। जिससे मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियाँ भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाती और अन्ततः सफलता उनके कदम चूमती है।

 

Power of Hope in Hindi आशा की ताकत समझें

आशा और आत्म-विश्वास सदा के साथी हैं। जैसे दीपक का प्रकाश से, अग्नि का ऊष्मा से और समंदर का लहरों से सम्बन्ध है, वैसे ही आशा का आत्मविश्वास से अटूट सम्बन्ध है। आशावादी व्यक्ति निश्चय ही आत्म-विश्वासी भी होगा। ध्यान रखिये, अपने आप पर विश्वास करने से हमारी आंतरिक शक्तियां जाग उठती हैं। इन शक्तियों के सहारे हम जिस काम में जुट पड़ें वहीँ हमें सफलता मिलनी शुरू हो जाती है।

अपनी संपूर्ण शक्तियों को केंद्रित करके किये गए कार्य शायद ही कभी असफल होते हैं। लेकिन निराशा (Hopelessness) वह मानसिक बुराई है, जो बुद्धि को भ्रम में अटकाये रखती है, आत्म-विश्वास को कुचल डालती है और हमें लुंज-पुंज कर देती है। फिर ऐसी स्थिति में अगर किसी को असफलता मिले तो क्या आश्चर्य है?

जहाँ कोई आशा ही नहीं, वहां प्रयत्न कैसे हो सकता है और जब कोई प्रयास ही नहीं होगा, तो फिर सफलता मिलनी असंभव है। बिना पुरुषार्थ के आज तक कोई भी अपना लक्ष्य नहीं पा सका है, और न ही आगे पा सकेगा। स्वेट मार्डेन कहते हैं, “निराशावाद भयंकर राक्षस है जो हमारे नाश की ताक में बैठा रहता है।”

निराश (Hopeless) लोगो में आगे बढ़ने की इच्छा मर जाती है। यदि कभी उन्नति का ख्याल भी आया, तो उन्हें मुसीबतों के पहाड़ दिखायी देने लगते हैं। कार्य शुरू नहीं हुआ कि चिंता के बादल मंडराने लगे। लेकिन आशावादी लोग खुश होकर काम करते हैं। मुश्किलों का हँसते-हँसते सामना करते हैं। पूरे उत्साह के साथ आखिर तक काम में लगे रहते हैं, इसी कारण उनकी सब आशाएँ पूर्ण होती हैं।

मनुष्य के विकास, प्रगति और उज्जवल भविष्य की राह में, दुनिया की दूसरी मुश्किलें तो सामान्य और गौण हैं। ये हमारी प्रगति नहीं रोक सकती। जीवन के उद्देश्य को पाने में, सफलता हासिल करने में हमारी सबसे बड़ी रुकावट, सबसे बड़ी उलझन है, हमारी Hopelessness यानि निराशा, जो हमारे परिश्रम करने की क्षमता को नष्ट करके रख देती है। इसीलिए सभी को इस छुपे दुश्मन से हमेशा बचकर रहने का प्रयास करना चाहिए।

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“आशा से ज्यादा दीर्घजीवी वस्तु और कोई नही होती। आशा ही जीवन है, निराशा ही मृत्यु है।”
– मुंशी प्रेमचंद

 

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