Chanakya Niti Secrets for How to Be Happy in Hindi

 

“वह सबसे ज्यादा सुखी है, जो अपने घर में शांति पाता है, फिर चाहे वह राजा हो या किसान।”
– जोहान वोल्फगांग वों गेटे

 

Chanakya Niti Secrets for How to Be Happy in Hindi
आग सोने की परख करती है और दुर्भाग्य, महान लोगों की

How to Be Happy in Hindi सुखी कैसे रहें

How to Be Happy in Hindi में आज हम आपको सुख से जीने के तीन रहस्यों के बारे में बता रहे हैं। सुखी जीवन जीने की इच्छा हर इंसान का सपना है। चाहे बच्चा हो या बूढा, हर कोई यही चाहता है कि उसकी जिंदगी चैन से गुजरे, कभी भी किसी तरह का कोई दुःख न सहना पड़े। लेकिन सुख-दुःख की आँख मिचौली में दुःख अक्सर जिंदगी में दस्तक देता ही रहता है। वैसे तो दुःख के कारण कितने ही हो सकते हैं, पर यह कई बार बाह्य परिस्थितियों से भी प्रभावित होता है।

चाणक्यनीति जो आचार्य चाणक्य के अनमोल वचनों का सार है और जिसमे उन्होंने अपने सारे जीवन का अनुभव भर दिया है, एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमे इन्सान की जिंदगी से संबंध रखने वाली शायद ही कोई ऐसी समस्या हो जिसके बारे में इसमें कुछ न कुछ बताया न गया हो। इसी पुस्तक से हमने तीन ऐसे सूत्र छांटें हैं जो आपकी Life को Happy बना सकते हैं।

इन जीवन मन्त्रों में आचार्य ने बताया है कि जिस इन्सान को सुख से जीने की इच्छा हो, उसे भूलकर भी, कभी भी इन जगहों पर नहीं रहना चाहिये, अन्यथा उसे कई भीषण समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगले लेख में पढिये चाणक्यनीति के अनमोल सूत्र और चाणक्य के प्रेरक विचार –

आगे पढिये आचार्य चाणक्य के जिंदगी बदलने वाले 100 प्रेरक विचार – 100 Chanakya Quotes in Hindi

For A Happy Life, Do not Live Here सुख चाहने यहाँ न रहें

1. यस्मिन्देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः।
न च विद्यागमः कश्चित् वासं तत्र न कारयेत्॥

अर्थ – जिस देश में व्यक्ति को सम्मान न मिलता हो; जहाँ आजीविका के साधन भी उपलब्ध न हों; और जहाँ उसके बंधु-बांधव (घर-परिवार के लोग व मित्र) भी नहीं रहते हों; उस देश में किसी भी व्यक्ति का रहना उचित नहीं है; लेकिन यदि उस देश में विद्या-प्राप्ति के साधन भी नहीं हों, तो फिर वहाँ उस व्यक्ति को किसी भी कारण से नहीं रुकना चाहिये। उसे अविलम्ब (बिना देर किये) उस देश को छोड़कर चले जाना चाहिये।

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने यह बताया है कि इन्सान को किस स्थान पर निवास करना चाहिये। कोई भी आदमी ऐसे स्थान पर नहीं रहना चाहता, जहाँ उसे आदर-सम्मान न मिलता हो। क्योंकि दुनिया का कोई भी इन्सान अपने आत्मसम्मान को खोकर नहीं जीना चाहेगा। यह प्रत्येक मनुष्य की सहज अभिलाषा है। इसी तरह हर इन्सान को जीने के लिये आजीविका (रूपये-पैसे) की आवश्यकता होती है।

जिस स्थान पर यह उपलब्ध न होगी, वहां कौन रहना ही चाहेगा। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और जन्म से लेकर मृत्यु तक वह अनेकों व्यक्तियों के साथ सम्बन्ध जोड़ता है। कोई भी इंसान अपने मित्रों और प्रियजनों के बिना अधिक समय तक अकेला नहीं रह सकता है, क्योंकि उसे अपनी खुशियों और दुखों को बाँटने के लिये स्नेहीजनों की सहज आवश्यकता है।

अगर कोई इन्सान लम्बे समय तक अकेला रहे तो वह अन्दर से टूट सकता है। इन्सान केवल रोटी के लिये ही जिन्दा नहीं रहता है, ज्ञान-प्राप्ति की लालसा उसका जन्मजात स्वभाव है और जहाँ विद्या की प्राप्ति का भी कोई साधन नहीं है, ऐसे स्थान पर किसी भी व्यक्ति को नहीं रहना चाहिये। वरना उन्नति के साथ-साथ उसके एक Happy Life जीने का सपना भी पूरी तरह से टूट जायेगा।

 

Know How to Live Happily in Hindi

Secret for A Happy Life in Hindi सुखी जीवन का रहस्य

2. धनिकः श्रोत्रियो राजा नदी वैद्य्स्तु पञ्चमः।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न तत्र दिवसं वसेत्॥

अर्थ – जिस देश में न तो कोई धनवान व्यक्ति हो; न ही कोई श्रोत्रिय ब्राह्मण (विद्वान् व कर्मकांडी पुरोहित) हो; न ही कोई न्यायप्रिय राजा हो; न ही कोई नदी (जलस्रोत) हो; और न ही कोई वैद्य हो; जहाँ पर ये पाँचों सुविधाएँ प्राप्त न हों, उस स्थान पर व्यक्ति को एक दिन भी निवास करना उचित नहीं है।

आचार्य चाणक्य के ऐसा कहने का कारण यह है, क्योंकि जिस स्थान पर यह पाँचों चीजें उपलब्ध नहीं होंगी, वहाँ व्यक्ति के जीवन, सुरक्षा, उन्नति और सुख पर हमेशा प्रश्नचिन्ह लगा रहेगा। जीने के लिये व्यक्ति को आजीविका के रूप में धन की आवश्यकता होती है, जो केवल अमीर लोगों से ही मिल सकता है। जिस स्थान पर धनवान व्यक्ति ही नहीं होंगे, वहाँ पर धन आयेगा कहाँ से।

देव पूजन, विवाह, संतान-जन्म और मृत्यु जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर तथा व्यक्ति को संस्कारवान और चरित्रवान बनाने के लिये जीवन में समय-समय पर अनेकों संस्कारों की आवश्यकता रहती है। इसके अलावा मनुष्य को शिष्ट और शिक्षित बनाने के लिये भी एक विद्वान् (श्रोत्रिय ब्राह्मण) की आवश्यकता होती है। राज्य की शासन व्यवस्था के लिये और प्रजा की रक्षा के लिये एक न्यायप्रिय राजा का होना बहुत जरुरी है।

यदि कोई शासक न हो तो प्रजा का एक दिन भी चैन से जीना मुश्किल हो जाय, क्योंकि तब लुटेरे और दुष्ट प्रवृत्ति के लोग उनकी सारी संपत्ति हड़प कर जायेंगे। इसी तरह जल भी मनुष्य के जीवित रहने के लिये एक अनिवार्य शर्त है। इंसान बिना भोजन के कई दिन रह सकता है, लेकिन बिना जल के नहीं। प्राचीन समय में नदी और कुँए ही लोगों के पीने, साफ-सफाई व सिंचाई करने के लिये जल की आपूर्ति करती थी, इसीलिये आचार्य ने यहाँ उनका वर्णन किया है।

जब कभी किसी व्यक्ति को रोग आ घेरता है, तो उस समय चिकित्सा से उसके प्राण बचाने के लिये वैद्य या चिकित्सक की आवश्यकता भी अनिवार्य रूप से होती है, क्योंकि सिर्फ वही रोगी के रोग का कारण, उसका निदान और औषधि जानता है। इसीलिये जिस व्यक्ति को सुख से जीने की इच्छा (Desire for A Happy Life) हो, उसे सिर्फ उसी स्थान पर निवास करना चाहिये, जहाँ पर यह पाँचों चीज़ें उपलब्ध हों।

आचार्य चाणक्य से जानिये एक अच्छी संतान में क्या-क्या गुण होने चाहियें – 16 Child Quality in Hindi

How to Live Happily in Hindi चैन से कैसे जीयें

3. लोकयात्रा भय लज्जा दाक्षिण्यं त्यागशीलता।
पञ्च यत्र न विद्यन्ते न कुर्यात्तत्र संस्थितम्॥

अर्थ – जहाँ के निवासियों में लोक-परलोक के प्रति कोई विश्वास न हो; जिन्हें ईश्वर और सामाजिक लोक-लाज का भी भय न हो; जिन्हें किसी प्रकार के कर्म करने में कोई लज्जा न आती हो; जहाँ के लोग चतुर न हों और न ही जिनमे त्याग की भावना हो, जहाँ ये पाँचों बातें हों, ऐसे स्थान पर मनुष्य को बिल्कुल भी निवास नहीं करना चाहिये।

इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य बताना चाहते है कि अपने निवास-स्थान के रूप में हमें किन जगहों को चुनना चाहिये। किसी भी इन्सान को वहीँ पर रहना चाहिये जहाँ के निवासियों की लोक-परलोक में आस्था हो। जिन्हें गलत कर्म करने से डर लगता हो, जिनमे लज्जा व संकोच हो तथा जहाँ के व्यक्ति मूर्खतापूर्ण आचरण नहीं करते हों।

जो बुद्धिमानी से विचार करते हुए एक-दूसरे के हित के लिये त्याग करने को तैयार रहते हों, क्योंकि केवल ऐसी ही जगहों पर रहने से इन्सान अपनी जिंदगी सुखपूर्वक बिता सकता है। लज्जाहीन, भयहीन, मूर्ख और स्वार्थी व्यक्ति सदा दूसरों के लिये, दुःख व कष्ट का ही कारण बनेंगे, क्योंकि वह सिर्फ अपनी उन्नति और अपने सुख पर ध्यान देते हैं।

उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनके आस-पास रहने वाले लोग किस तरह से अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्हें दूसरों की विपत्ति और उनके सुख-दुःख (Happiness-Pain) से कोई मतलब नहीं होता है, इसीलिये आचार्य चाणक्य ने उनसे बचने के लिये कहा है।

अगर आप वास्तव में सुख से जीना चाहते हैं तो इन लोगों से हमेशा बचकर रहें – 8 Happiness Secrets in Hindi

“सुखी रहने की कला साधारण चीजों से सुख हासिल करने की क्षमता में है।”
– हेनरी वार्ड बीचर

 

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