Great Freedom Fighters of India in Hindi

 

“भारत को आजाद कराने में न जाने कितने वीर सपूतों (फ्रीडम फाइटर्स) ने अपना रक्त बहाया है, न जाने कितनी माँओं ने अपने कलेजों के टुकड़ों की भेंट चढ़ायी हैं, न जाने कितनी पत्नियों ने अपने सुहाग को आजादी की बलिवेदी पर अर्पित किया है और न जाने कितने रणबांकुरों ने अपने जीवन की स्वतंत्रता के महायज्ञ में आहुति दी है।”

 

100 Freedom Fighters of India in Hindi में आज हम आपको देश के उन वीर नायकों से परिचित करायेंगे, जिनके कारण ही आज सभी देशवासी उस आजाद जिंदगी का आनंद उठा रहे हैं। जिसका सपना देखते-देखते वह इस दुनिया से रुख्सत हो गये, जिन्होंने इस उद्देश्य के लिये अपना सारा जीवन खपा दिया कि हम न सही तो कम से कम हमारे देश के वासी तो उस आजाद भारत में सांस ले सकें जिसकी हम आरजू ही करते रह गये।

देश के लिये प्राण न्यौछावर करने वाले में न तो पुरुष पीछे रहे हैं और न ही स्त्रियाँ। भारत को आजाद कराने में जितना योगदान गाँधीवादियों और अहिंसकों का रहा है, उससे कम क्रांतिकारियों का भी नहीं रहा है। आखिरकार दोनों का ही उद्देश्य अपने देश को आजाद कराना था। स्वतंत्रता के इस विराट आन्दोलन में सैकड़ों-हजारों वीरों ने अपनी आहुतियाँ समर्पित की हैं।

लेकिन देश सिर्फ उन कुछ महान नायकों के बारे में ही जानता है जिन्होंने सबसे आगे रहकर नेत्रत्व किया था। जिन्होंने स्वाधीनता आन्दोलन को हर बार एक नयी दिशा दी थी, पर वह गुमनाम लोग जो इन नेताओं के एक बार कहने पर अपना सब कुछ दाँव पर लगाकर इस आन्दोलन में कूद पड़े थे, आज भी गुमनाम ही हैं।

वक्त की रेत ने समय बीतने के साथ उनके नामों को ढक लिया, पर भारत की आजादी में उनका प्रत्यक्ष योगदान उनके अद्रश्य हो जाने के बावजूद भी कम नहीं हुआ है। उन सभी अमर वीरों को ह्रदय से याद करते हुए आज हम आपको आजादी के मतवाले उन Indian Freedom Fighters के बारे में बतायेंगे, जिन्हें हर कृतज्ञ देशवासी को अवश्य ही जानना चाहिये।

सामान्य ज्ञान से जुडी यह जरुरी बातें हर किसी को जाननी चाहियें – India GK Facts in Hindi

1. Mahatma Gandhi महात्मा गाँधी

Indian Freedom Fighter 1: महात्मा गाँधी के बारे में कौन भारतीय नहीं जानता? आजादी के आन्दोलन का नेतृत्व करने और उसे अंजाम तक पहुँचाने की अपनी भूमिका का सफल निर्वहन करने के लिये कृतज्ञ राष्ट्र आज भी उन्हें राष्ट्रपिता के रूप में याद करता है। निर्विवाद रूप से यह महान महात्मा गाँधी ही हैं, जिन्हें देश को आजाद कराने के लिये सबसे ज्यादा श्रेय दिया जाता है। क्योंकि इन्होने ही उन सफल आंदोलनों की नींव रखी जिन्होंने अंग्रेजी सरकार की जड़ें हिला दीं।

2 अक्टूबर 1869 के दिन गुजरात के पोरबंदर में पैदा हुआ यह महान देशभक्त अपने उच्च आदर्शों और सिद्धांतों के कारण जन-जन का प्रिय बना। इनके पिता जहाँ रियासत के दीवान थे, वहीं माता पुतलीबाई एक धर्म प्राण महिला। 13 वर्ष की छोटी आयु में ही इनकी शादी हो गयी थी। बाद में यह इंग्लैंड जाकर बैरिस्टर बने, लेकिन इनके जीवन में बदलाव आया दक्षिण अफ्रीका जाने के बाद।

जहाँ एक छोटी मगर महत्वपूर्ण घटना ने मोहनदास करमचंद गाँधी के महात्मा गाँधी बनने की पटकथा लिख दी। सन 1915 में उनके भारत आने के बाद भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन को एक नयी दिशा मिली। सन 1921 में उन्होंने कांग्रेस की बागडोर संभाली और उसके बाद वह लगातार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से तब तक Indian Freedom Fighters का नेतृत्व करते रहे जब तक कि देश आजाद नहीं हो गया।

2. Aurobindo Ghosh अरविन्द घोष

Indian Freedom Fighter 2: आजादी की लड़ाई में जितना योगदान महात्मा गाँधी का रहा है, उससे कम योगदान अरविन्द घोष का भी नहीं रहा है। अनेकों लोगों को यह जानना अविश्वसनीय और आश्चर्यजनक लग सकता है, लेकिन सत्य यही है। जहाँ महात्मा गाँधी जनसमूह के बीच रहकर और प्रत्यक्ष रूप से Freedom Movement मी भाग ले रहे थे, वहीँ श्री अरविन्द एकांत में और अप्रत्यक्ष रूप से स्वाधीनता आन्दोलन को दिशा दे रहे थे।

श्री अरविन्द ने बरसों तक जो एकांत साधना की थी वह सिर्फ योग के शिखर पर पहुँचने के लिये नहीं थी, बल्कि आजादी के लिये जरुरी वातावरण निर्मित करने के लिये थी। क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि भारत के आजाद होने के दो वर्ष बाद ही श्री अरविन्द ने क्यों अपनी नश्वर देह छोड़ दी?

15 अगस्त सन 1872 के दिन जन्मे श्री अरविन्द असाधारण प्रतिभा के धनी एक दार्शनिक और योगी ही नहीं, बल्कि एक सच्चे Freedom Fighter भी थे। लेकिन वह जल्दी ही समझ गये थे कि भारत को आजाद कराने के लिये सिर्फ स्थूल प्रतिरोध से काम नहीं चलेगा, बल्कि इसके लिये सूक्ष्म स्तर पर जाकर जन-जन के मन में आजादी की चिंगारी भड्कानी पड़ेगी। इस बारे में विस्तार से जानने के लिये श्री अरविन्द पर दिया हमारा दूसरा लेख पढ़ें।

 

Famous Indian Freedom Fighters in Hindi

3. Bal Gangadhar Tilak बाल गंगाधर तिलक

Indian Freedom Fighter 3: लोकमान्य तिलक के नाम से प्रसिद्ध बाल गंगाधर तिलक भी उन Freedom Fighters में थे जिन्होंने भारत को आजाद कराने में बड़ी भूमिका निभाई थी। 23 जुलाई सन 1856 के दिन महाराष्ट्र में जन्मे आजादी के इस मतवाले को दक्षिण-पश्चिम का सबसे बड़ा Freedom Fighter कहा जा सकता है। तिलक एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे।

ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुए, क्योंकि उस समय तक भारत में गांधीजी का आगमन नहीं हुआ था। Freedom Movement में प्रकाहर भूमिका निभाने के कारण ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी उन्हें “भारतीय अशान्ति के पिता” कहते थे। Freedom Struggle के दौरान दिया इनका नारा ‘स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मै इसे लेकर ही रहूँगा’ बहुत प्रसिद्ध हुआ था।

अपने समाचार पत्रों के जरिये इन्होने भारतीय जनता को अंग्रेजो की क्रूरता और हीन मानसिकता के बारे में बताया। अंग्रेजों का विरोध करने के कारण तिलक कई बार भी जेल गये। मरणोपरान्त श्रद्धांजलि देते हुए महात्मा गाँधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा और जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय क्रान्ति का जनक बतलाया।

4. Jawahar Lal Nehru जवाहर लाल नेहरु

Indian Freedom Fighter 4: जवाहर लाल नेहरु की भूमिका आजादी के आन्दोलन में महात्मा गाँधी के पश्चात दूसरे नंबर की थी। 14 नवम्बर सन 1889 में जन्मे जवाहर लाल आगे चलकर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और अपनी मृत्यु होने तक इस पद पर रहे। उनके पिता मोतीलाल नेहरु ने भी एक Freedom Fighter के रूप में आजादी की लड़ाई में भाग लिया था।

सन 1912 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी करने के पश्चात वह भारत लौटे। यहाँ आकार उन्होंने वकालत शुरू की और फिर महात्मा गाँधी के संपर्क में आकर सक्रिय रूप से Freedom Struggle में शामिल हो गये। जवाहर लाल नेहरु ने आगे बढ़कर आंदोलनों का नेतृत्व किया और कई बार जेल भी गये।

5. Chandra Shekhar Azad चंद्रशेखर आजाद

Indian Freedom Fighter 5: चंद्रशेखर आजाद जिन्हें सारा देश ‘आजाद’ के नाम से जानता है, भारत के उन तीन सबसे प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे जिन्होंने Freedom Movement में भाग लेकर न सिर्फ सशस्त्र क्रांति का बिगुल बजाया, बल्कि देश के लाखों नौजवानों के दिल में देशभक्ति की लौ भी जलाई। 23 जुलाई 1906 के दिन मध्यप्रदेश के अलीराजपुर में जन्मे इस Freedom Fighter ने अंग्रेजों को नाको चने चबवा दिए थे।

सन् 1922 में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले काकोरी काण्ड को अंजाम दिया और फिर भगत सिंह और दूसरे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर स्वाधीनता आन्दोलन को धार दी।

चन्द्रशेखर आज़ाद ने वीरता की नई परिभाषा लिखी थी। उनके बलिदान के बाद उनके द्वारा प्रारम्भ किया गया आन्दोलन और तेज हो गया। उनसे प्रेरणा लेकर हजारों युवक स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े और अंग्रेजों को देश छोड़कर भागना ही पड़ा।

 

Top Heros of Freedom Struggle in Hindi

6. Maulna Abul Kalam Azad मौलाना अबुल कलाम आजाद

Indian Freedom Fighter 6: मौलाना अबुलकलाम आजाद जिनका पूरा नाम अबुलकलाम मुहीउद्दीन अहमद था, 11 नवम्बर, 1888 के दिन सऊदी अरब में पैदा हुए Indian Freedom Fighter थे, जिहोने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से आगे बढ़कर भाग लिया था। वह मुस्लिम समाज से सबसे चर्चित चेहरा थे। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता का समर्थन किया और सांप्रदायिकता पर आधारित देश के विभाजन का विरोध किया। मौलाना आज़ाद को एक ‘राष्ट्रीय नेता’ के रूप में जाना जाता हैं।

वह एक विद्वान, पत्रकार, लेखक, कवि, दार्शनिक थे और इन सबसे बढ़कर अपने समय के धर्म के एक महान विद्वान थे। महात्मा गांधी की तरह भारत की भिन्न-भिन्न जातियों के बीच, विशेष तौर पर हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच एकता के लिए कार्य करने वाले कुछ महान लोगों में से वह भी एक थे। तीन बार वह कांग्रेस के अध्यक्ष बने और स्वतंत्र भारत में वह भारत सरकार के पहले शिक्षा मंत्री बने।

7. Bhagat Singh भगत सिंह

Indian Freedom Fighter 7: भगत सिंह जिन्हें क्रांतिकारियों का सिरमौर कहा जाता है, एक असाधारण Freedom Fighter थे। 27 सितंबर 1907 के दिन पंजाब के लायलपुर में जन्मे भगत सिंह का पूरा नाम भगत सिंह संधू था। देश की आज़ादी के लिए जिस साहस के साथ, इन्होने शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया, वह कभी भुलाया नहीं जा सकता।

अपने प्राणों की परवाह न करते हुए इन्होने पहले लाला लाजपत रॉय की मौत का बदला लिया और फिर केन्द्रीय असेम्बली में बफ फेंककर अपने दुस्साहस से अंग्रेजों का दिल दहला दिया। ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ विद्रोह को बुलंद करते हुए और सोये देश को जगाने के लिये इन्होने हंसते-हँसते फांसी के फंदे को चूम लिया।

8. Madan Mohan Malviya मदन मोहन मालवीय

Indian Freedom Fighter 8: 25 दिसंबर 1861 के दिन उत्तर प्रदेश के इलाहबाद में जन्मे पंडित मदन मोहन मालवीय एक महान स्वतंत्रता सेनानी (Freedom Fighter) तो थे ही, एक राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद, और बड़े समाज सुधारक भी थे। अपने महान कार्यों के चलते वह महामना कहलाये। मालवीय जी ब्रिटिश सरकार के निर्भीक आलोचक थे और जब तब अपने लेखों और भाषणों से जनता के मन में देशप्रेम की भावना को प्रज्जवलित करते रहते थे।

स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान वह कई बार लम्बे समय तक के लिये जेल गये। दो बार कांग्रेस के और तीन बार हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चुने गये। आजीवन देश सेवा में लगे रहने वाले मालवीय जी एक उच्च कोटि के वक्ता और लेखक थे। अपने धर्म के प्रति निष्ठावान एक प्रगतिशील ब्राहमण के रूप में उन्होंने सारे समाज के अभ्युदय के लिये काम किया जिसके लिये महात्मा गाँधी भी उनके बड़े मुरीद थे।

 

Eminent Indian Freedom Fighters with Images

9. Lala Lajpat Roy लाला लाजपत राय

Indian Freedom Fighter 9: लाला लाजपत राय लाल-बाल-पाल की उस तिकड़ी का एक अहम् हिस्सा हैं, जिसने देश में गाँधी के आगमन से पूर्व स्वाधीनता आन्दोलन को दिशा दी थी। 28 जनवरी 1865 को जन्मे लालाजी एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है। सन् 1928 में इन्होंने साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये थे।

गंभीर चोटों के कारण कुछ दिन पश्चात ही इस महान Freedom Fighter की मृत्यु हो गयी। लाला जी की मृत्यु से सारा देश उत्तेजित हो उठा और चंद्रशेखर आज़ाद, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों ने लालाजी की मौत का बदला लेने का निर्णय किया, जिसे उन्होंने सफलता पूर्वक लिया भी। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के प्रमुख नेता थे।

10. Subhash Chandra Bose सुभाष चन्द्र बोस

Indian Freedom Fighter 10: नेताजी के नाम से प्रसिद्ध आजाद हिन्द फ़ौज के संस्थापक सुभाष चन्द्र बोस को कौन नहीं जानता? 23 जनवरी 1897 के दिन उडीसा के कटक में जन्मे सुभाष भारत के महान Freedom Fighters में से एक थे। आजादी के युद्ध में दिया उनका नारा ‘तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूँगा’ आज भी हर वीर भारतीय की जुबान पर रहता है।

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के लिये उन्होंने जर्मनी और जापान के सहयोग से अपनी ही एक सेना आजाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था। वह दो बार कांग्रेस अध्यक्ष भी बने। फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की और कई बार जेल गये। अंग्रेज इस महान वीर से इतने ज्यादा डर गये थे कि उन्होंने इन्हें इनके ही घर में नजरबन्द कर दिया था।

सुभाष ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर विदेश निकल गये और बाहर रहते-रहते ही उन्होंने अपनी सेना का गठन कर लिया। जोश से लबरेज उनकी सेना ने अंग्रेजों को पूर्वोत्तर भारत से खदेड़ ही दिया था, लेकिन जापान के पराजित होने और फिर इस महान Freedom Fighter की प्लेन क्रैश में मृत्यु हो जाने के कारण उनका भारत को आजाद देखने का सपना जीते जी पूरा न हो सका।

11. Gopal Krishna Gokhle गोपाल कृष्ण गोखले

Indian Freedom Fighter 11: गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई, 1866 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। यह एक Freedom Fighter (स्वतंत्रता सेनानी) होने के साथ-साथ प्रखर समाजसेवी, विचारक एवं सुधारक भी थे। महात्मा गाँधी गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। गोखले के परामर्श पर ही उन्होंने सक्रिय राजनीति में भाग लेने से पूर्व एक वर्ष तक देश में घूमकर स्थिति का अध्ययन करने का निश्चय किया था।

गांधी जी को अहिंसा के जरिए स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई की प्रेरणा गोखले से ही मिली थी। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सबसे प्रसिद्ध नरमपंथी थे। गोखले उदारवादी होने के साथ-साथ सच्चे राष्ट्रवादी भी थे। राष्ट्र की सेवा के लिए राष्ट्रीय प्रचारकों को तैयार करने हेतु गोखले ने 12 जून, 1905 को ‘भारत सेवक समिति’ की स्थापना की।

मोहम्मद अली जिन्ना ने भी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु माना था। यह बात अलग है कि बाद में जिन्ना गोखले के आदर्शों पर क़ायम नहीं रह पाए और देश के बंटवारे के नाम पर भारी ख़ूनख़राबा कराया।

 

20 Freedom Fighters Who Shaped History

12. Lal Bahadur Shastri लाल बहादुर शास्त्री

Indian Freedom Fighter 12: भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री रहे लाल बहादुर शास्त्री भी भारत के प्रसिद्ध Freedom Fighters में से एक रहे हैं। 2 अक्टूबर 1904 के दिन पैदा हुआ यह महान स्वतंत्रता सेनानी सादा जीवन उच्च विचार का मूर्तिमान प्रतीक था। देश की आजादी के लिये वह न केवल कई बार जेल गये, बल्कि अपनी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी से भी देशवासियों को भी अपना मुरीद बना लिया।

शास्त्रीजी सच्चे गाँधीवादी थे जिन्होंने अपना सारा जीवन सादगी से बिताया और उसे गरीबों की सेवा में लगाया। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों व आन्दोलनों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही। जिन आन्दोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च तथा 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन उल्लेखनीय हैं।

13. Vallabh Bhai Patel बल्लभभाई पटेल

Indian Freedom Fighter 13: आधुनिक भारत का निर्माण करने वाले सरदार बल्लभभाई पटेल को आखिर कौन भारतीय भूल सकता है? 31 अक्टूबर, 1875 के दिन गुजरात के नादियाड में जन्मे बल्लभभाई सही मायनों में एक लौह पुरुष ही थे। पहले पराधीन भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप में और फिर भारत की आजादी के बाद देश के प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री के रूप में, उन्होंने देश को एक सूत्र में पिरोने में बड़ी अहम भूमिका अदा की।

महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया। बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे पटेल को सत्याग्रह की सफलता पर वहाँ की महिलाओं ने सरदार की उपाधि प्रदान की। बल्लभभाई एक Freedom Fighter और एक राजनेता दोनों ही रूपों में अपूर्व और असाधारण थे। एक ऐसे इन्सान जिस पर भारत आज भी गर्व करता है।

14. Rajendra Prasad राजेंद्र प्रसाद

Indian Freedom Fighter 14: स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने डा. राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे। 3 दिसम्बर 1884 को बिहार में जन्मे प्रसाद देश की माटी से जुड़े हुए इन्सान थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाने के साथ-साथ उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था। राजेंद्र प्रसाद ने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत वकालत के पेशे से की थी।

पर बाद में जब वह महात्मा गाँधी के संपर्क में आये, तो उनकी निष्ठा, समर्पण एवं साहस से प्रभावित होकर Freedom Movement में कूद पड़े। राजेंद्र बाबू देश की आजादी के लिये न केवल कई बार जेल गये, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित लोगों की सेवा करने में भी वह सबसे आगे रहे। 12 वर्षों तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने के पश्चात उन्होंने 1962 में अपने अवकाश की घोषणा की।

 

Notable Indian Freedom Fighters in Hindi

15. Ram Prasad Bismil राम प्रसाद बिस्मिल

Indian Freedom Fighter 15: ब्रिटिश साम्राज्य को दहला देने वाले काकोरी काण्ड को जिस रामप्रसाद बिस्मिल ने अंजाम दिया था, वह 11 जून, 1897 के दिन उत्तरप्रदेश के शाहजहाँपुर जिले में पैदा हुए थे। भारत का यह महान स्वतन्त्रता सेनानी (Freedom Fighter) सिर्फ एक क्रांतिकारी ही नहीं, बल्कि उच्च कोटि का कवि, शायर, अनुवादक, व साहित्यकार भी था जिसने भारत की आज़ादी के लिये अपने प्राणों की आहुति तक दे दी थी।

इस अमर शहीद ने अपनी शहादत देकर आजादी की वो चिंगारी छेड़ी जिसने ज्वाला का रूप लेकर ब्रिटिश शासन के भवन को लाक्षागृह में परिवर्तित कर दिया। बिस्मिल के ह्रदय में अंग्रेजों से बदला लेने की हूक तब उठी जब लाहौर षड़यंत्र के मामले में सन 1915 में प्रसिद्ध क्रान्तिकारी भाई परमानंद को फाँसी की सजा सुना दी गयी। इसके बाद उन्होंने अपने जैसे विचार रखने वाले क्रांतिकारियों को साथ मिलाकर एक संगठन बनाया और सशस्त्र क्रांति का बिगुल बजाया।

16. Chittaranjan Das चितरंजन दास

Indian Freedom Fighter 16: 5 नवंबर, 1870 को बंगाल की राजधानी कोलकाता में जन्मे चितरंजन दास एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। गांधीजी के भारत आने से पहले वह मदन मोहन मालवीय, लाजपत रॉय, मोतीलाल नेहरु, गोखले और गंगाधर तिलक जैसे अग्रणी नेताओं के साथ उस समय स्वाधीनता आन्दोलन की धुरी थे। देश से असीम प्रेम करने के कारण ही उन्हें देशवासियों से देशबंधु की पदवी मिली। ये महान राष्ट्रवादी तथा प्रसिद्ध वकील होने के साथ-साथ स्वराज्य पार्टी के संस्थापक भी थे।

सन 1921 ई. में अहमदाबाद में हुए कांग्रेस के अधिवेशन के ये अध्यक्ष थे। इन्होने ही अलीपुर कांड में श्री अरविन्द का न्यायालय में बचाव किया था। गांधीजी के आह्वान पर उन्होंने वकालत का अपना बेहद कामयाब पेशा एकदम छोड़ दिया और असहयोग आंदोलन में भाग लिया। आजादी की लड़ाई में यह महान Freedom Fighter कई बार जेल गया। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस इन्हें अपना प्रेरणा स्रोत मानते थे।

17. Vinoba Bhave विनोबा भावे

Indian Freedom Fighter 17: आचार्य के उपनाम से प्रसिद्ध विनोबा भावे जिनका पूरा नाम विनायक नरहरी भावे था, सही मायनों में एक सच्चे गाँधीवादी थे। जिस तरह जवाहर लाल नेहरु को महात्मा गाँधी का राजनैतिक उत्तराधिकारी माना जाता है, उसी तरह से विनोबा भावे को उनका आध्यात्मिक उत्तराधिकारी माना जाता है। ज्यादातर लोग इन्हें इनके प्रसिद्ध सर्वोदय और भूदान आन्दोलन के जनक के रूप में ही जानते हैं, जबकि विनोबा उससे कहीं ज्यादा थे।

11 सितंबर 1895 के दिन महाराष्ट्र के रायगड में जन्में विनोबा एक सच्चे Freedom Fighter, चिन्तक, विचारक, लेखक और समाज सुधारक थे। आजादी की लड़ाई में वह कई बार जेल गये और देश आजाद होने के बाद भी दबे कुचले और निर्धन वर्ग के लिये मरते दम तक संघर्षरत रहे। उनकी सहिष्णुता, जीवन मूल्यों के प्रति निष्ठा, और संतवत जीवन के कारण लोग उन्हें दूसरा गाँधी मानते हैं।

 

Great Heroes of Indian Freedom Movement

18. Khan Abdul Ghaffar Khan खान अब्दुल गफ्फार खां

Indian Freedom Fighter 18: सीमांत गाँधी के नाम से प्रसिद्ध खान अब्दुल गफ्फार खां का जन्म सन 1890 में भारत के उत्मंजाई में हुआ था। Freedom Movement में वह मुस्लिमों में सबसे लोकप्रिय मुस्लिम नेता थे। महात्मा गाँधी के विचारों और उनके त्याग से प्रभावित होकर वह आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। अपने करिश्माई व्यक्तित्व से उन्होंने मुस्लिम समाज को भी स्वाधीनता आन्दोलन से सक्रियता से जोड़ा। बचपन से ही वह अत्यंत दृढ़ स्वभाव के व्यक्ति रहे, इसीलिये उन्हें बाचा खान के रूप में पुकारा जाता था।

खुद को वह आजादी की लड़ाई का एक सैनिक मात्र कहते थे, लेकिन उनके समर्थक और प्रशंसक उन्हें बादशाह खान के नाम से बुलाते थे। राष्ट्रीय आन्दोलनों में भाग लेकर उन्होंने कई बार जेलों में घोर यातनायें झेली, फिर भी वह अपनी मूल संस्कृति से विमुख नहीं हुए। इस महान Freedom Fighter का सन 1988 में पाकिस्तान के पेशावर में निधन हुआ।

19. Govind Vallabh Pant गोविन्द वल्लभ पन्त

Indian Freedom Fighter 19: भारत के पर्वतीय राज्यों में आजादी की चिंगारी सुलगाने का श्रेय जाता है, महान Freedom Fighter श्री गोविन्द वल्लभ पन्त को, जिनका जन्म 10 सितम्बर 1887 को उत्तरांचल के अल्मोड़ा जिले में हुआ था। पन्त जी एक प्रतिष्ठित वकील, मिलनसार और उच्च जीवन मूल्यों के प्रति निष्ठावान इन्सान थे। स्वाधीनता आन्दोलन में इन्होने अंग्रेजों की पुरजोर खिलाफत की जिसके कारण इन्हें कई बार जेल जाना पड़ा।

कुछ प्रमाणित स्रोतों की बात मानी जाय, तो पंतजी स्वतंत्रता संग्रामों में लगभग 7 वर्ष तक अलग-अलग समय जेल में रहे। इनकी आदर्शवादिता और देश के प्रति त्याग के कारण ही इन्हें उत्तर प्रदेश का प्रथम मुख्यमंत्री चुना गया था। यह अंग्रेजी और संस्कृत भाषाओँ के बड़े विद्वान थे। सन 1957 में भारत सरकार ने इन्हें देश के सर्वोच्च रत्न भारत रत्न से सम्मानित किया।

20. Vinayak Damodar Savarkar विनायक दामोदर सावरकर

Indian Freedom Fighter 20: 28 मई 1883 के दिन महाराष्ट्र के नासिक जिले में जन्मे विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें सारा देश वीर सावरकर के नाम से भी जानता है, एक प्रखर राष्ट्रवादी नेता और उन Freedom Fighters में से एक थे, जो देश की आजादी के लिये त्याग की किसी भी हद तक जा सकते थे। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बडा श्रेय सावरकर को जाता है।

वे न केवल स्वाधीनता-संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे, अपितु महान क्रान्तिकारी, चिन्तक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे। उन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था।

अंग्रेजों के अन्दर इनकी वतनपरस्ती का खौफ इस कदर बस गया था कि इन्हें उस समय की सबसे खतरनाक सजा मानी जाने वाली काला पानी की सजा ताउम्र के लिये सुना दी गयी थी। अपने जीवन के 14-15 वर्ष इस महान Indian Freedom Fighter ने सिर्फ जेल की कठोर यातनाएँ सहने में ही बिताये थे।

 

Name of Indian Freedom Fighters in Hindi

अभी तक हमने आपको उन Male Freedom Fighters के बारे में संक्षिप्त रूप से बताया, जो देश के प्रति अपने त्याग और समर्पण से अपना यश अमर कर, लोगों के दिलों में हमेशा के लिये बस चुके हैं। अब हम आपको उन प्रसिद्ध और गुमनान Freedom Fighters के नामों से परिचित करायेंगे, जिनके बारे में समयाभाव के कारण हम कुछ विस्तार से वर्णन करने में असमर्थ हैं।

क्रम सं०, नाम, जीवनकाल
21,जयप्रकाश नारायण,1902-1979
22,मघफूर अहमद अजाजी,1900-1966
23,मौलाना मोहम्मद अली जौहर,1878-1931
24,अशफाक उल्ला खां,1900-1927
25,हैदर अली,1720-1782
26,टीपू सुल्तान,1750-1799
27,बहादुर शाह जफ़र,1775-1862
28,तात्या टोपे,1814-1859
29,मंगल पांडे,1827-1857
30,मुहम्मद इक़बाल,1877-1938

31,पीर अली खान,1812-1857
32,उधम सिंह,1899-1940
33,बाबू कुँवर सिंह,1777-1858
34,सुखदेव थापर,1907-1931
35, महफुजूल हसन रहमानी,
36,खुदीराम बोस,1889-1908
37,शिवराम राजगुरु,1908-1931
38,जाकिर हुसैन,1897-1969
39,आचार्य जे. बी. कृपलानी,1888-1982
40,फखरुद्दीन अली अहमद,1905-1977

41,चक्रवर्ती राजगोपाला चारी,1878-1972
42,सर्वपल्ली राधाकृष्णन,1888-1975
43,मदनलाल धींगरा,1883-1909
44,सैफुद्दीन किचलू,1888-1963
45,अब्दुल बारी,1892-1947
46,विपिन चन्द्र पाल,1858-1932
47,शौकत अली,1873-1938
48,एस. सत्यमूर्ति,1887-1943
49,आसफ अली,1888-1953
50,मौलवी लियाकत अली,1812-1892

51,सुबोध रॉय,1916-2006
52,अतुलकृष्ण घोष,1890-1966
53,अमरेन्द्रनाथ चटर्जी,1880-1957
54,भूपेन्द्रनाथ दत्त,1880-1961
55,विनोद बिहारी चौधरी,1911-2013
56,श्यामजी कृष्ण वर्मा,1857-1930
57,करतार सिंह सराभा,1896-1915
58,भवभूषण मित्रा,1881-1970
59,बसावन सिंह,1909-1989
60,सुरेन्द्रनाथ टैगोर,1872-1940

61,हेमचन्द्र कानूनगो,1871-1951
62,रमेशचंद्र झा,1925-1994
63,भूपेन्द्र कुमार दत्ता,1892-1979
64,उल्लासकर दत्त,1885-1965
65,प्रफुल्ल चाकी,1888-1908
66,बरिन्द्र कुमार घोष,1880-1959
67,राजेंद्र लाहिड़ी,1901-1927
68,बिनय बासु,1908-1930
69,बादल गुप्ता,1912-1930
70,दिनेश गुप्ता,1911-1931

71,अंबिका चक्रवर्ती,1892-1962
72,बैकुंठ शुक्ला,1907-1934
73,जोगेश चन्द्र चटर्जी,1895-1969
74,लोकनाथ बल,1908-1964
75,उबयदुल्ला सिन्धी,1872-1944
76,रास बिहारी बोस,1886-1945
77,गणेश घोष,1900-1994
78,भगवती चरण वोहरा,1904-1930
79,जतिंद्र नाथ दास,1904-1929
80,रोशन सिंह,1892-1927

81,अनंत लक्ष्मण कन्हेरे,1891-1910
82,वासुदेव बलवंत फडके,1845-1883
83,मन्मथ नाथ गुप्ता,1908-2000
84,शचीन्द्र बक्शी,1904-1984
85,बटुकेश्वर दत्त,1910-1965
86,बाघा जतिन,1879-1915
87,गणेश दामोदर सावरकर,1879-1945
88,कृष्णजी गोपाल कर्वे,1887-1910
89,वंचिनाथान,1886-1911
90,अनंत सिंह,1903-1979

91,सूर्य सेन,1894-1934
92,कुशल कुँवर,1905-1943
93,अल्लूरी सीताराम राजू,1897-1924
94,हेमू कलानी,1923-1943
95,कोमाराम भीम,1901-1940
96,अहमदुल्लाह शाह,1787-1857
97,मरुथू पांडियार,1748-1801
98,पुली थेवर,1715-1767
99,मरुथानायगम,1725-1764
100,तंगुतुरी प्रकाशम्,1872-1957

101,शम्भु दत्त शर्मा,1918-2016
102,सुब्रमण्यम भारती,1882-1921
103,वी. ओ. चिदंबरम पिल्लई,1872-1936
104,सेनापति बपत,1880-1967
105,पोट्टी श्री रामुलु,1901-1952
106,कन्हैया माणिकलाल मुंशी,1887-1971
107,गरिमेल्ला सत्यनारायण,1893-1952
108,तिरुपुर कुमारन ,1904-1932
109,बिरसा मुंडा,1875-1900
110,के मम्में,1921-2017

111,एन. जी. रंगा,1900-1995
112,कान्नेगंती हनुमन्थू,1870-1920
113,तीर्थ सिंह,-
114,प्रीती लता वाडेकर,1911-1932

भारत के बारे में यह अविश्वसनीय तथ्य जानकर आप हैरान रह जायेंगे – Amazing Facts about India in Hindi

 

Famous Female Freedom Fighters of India

अब हम आपको आजादी की दीवानी और अपने देश से सच्चा प्रेम करने वाली उन पराक्रमी भारतीय वीरांगनाओं (Female Freedom Fighters) से परिचित कराने जा रहे हैं जो भले ही उपर वर्णित स्वतंत्रता सेनानियों के जितनी विख्यात न रही हों और जिन्हें आज इतिहास भी लगभग भूल सा ही गया है, तो भी आजादी में उनका योगदान कम नहीं हो जाता।

इनमे से अधिकांश, साधारण परिवारों में पली-बढ़ी भारतीय नारियाँ थीं, जिन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन (Freedom Movement) में कूदने से पूर्व मुश्किल से ही घर-परिवार की दहलीज लाँघी थीं, लेकिन जब इनमे देशभक्ति का जज्बा जगा, तब यह त्याग और समर्पण में पुरुषों से भी ज्यादा आगे बढ़ गयीं।

देश और दुनिया से जुड़े यह अविश्वसनीय तथ्य नहीं जानते होंगे आप – 65 Amazing Facts in Hindi

1. Queen Velu Nachiyar रानी वेलू नाचियार

Indian Freedom Fighter : रानी वेलू नाचियार (1730-1796) दक्षिण में स्थित शिवगंगा राज्य की साम्राज्ञी थीं जिन्होंने सन 1780 से 1790 तक शासन किया था। वह अंग्रेजों से लड़ने वाली पहली भारतीय रानी थीं और शायद सबसे पहली वीरांगना भी। सन 1757 में इन्होने न केवल युद्ध जीता, बल्कि अंग्रेजों से अपने राज्य की भूमि को भी मुक्त रखा।

रानी वेलू नाचियार अत्यंत साहसी और द्रढ़ इरादों वाली स्त्री थीं जिसका पता इस बात से चलता है कि उस समय के ब्रिटिश जनरल को न केवल इनसे क्षमा माँगनी पड़ी थी, बल्कि अपनी जान बचाने के लिये युद्धभूमि से भागना तक पड़ गया था। इनकी मृत्यु सन 1796 में हुई थी।

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2. Queen Lakshmibai रानी लक्ष्मीबाई

Indian Freedom Fighter : रानी लक्ष्मीबाई (1828-1858) के बारे में कौन नहीं जानता? सुभद्राकुमारी चौहान की ‘खूब लड़ी मर्दानी’ नामक साहित्यिक रचना से देश का बच्चा-बच्चा इनसे परिचित है। 19 नवंबर 1828 के दिन पैदा हुई रानी लक्ष्मीबाई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास की सबसे विख्यात नायिका हैं। पति की मृत्यु के पश्चात झाँसी की साम्राज्ञी बनी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के लज्जाजनक अधीनता स्वीकार करने वाले प्रस्ताव को न मानकर डटकर युद्ध किया।

झाँसी की रानी ने उन्हें लगभग अपने राज्य से बाहर खदेड़ ही दिया था, पर कुछ विश्वासघाती दरबारियों के कारण उन्हें पराजित होना पड़ा। लेकिन रानी ने अंत तक अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार नहीं की। 17 जून 1858 के दिन इस वीर नायिका ने युद्धक्षेत्र में ही वीरगति प्राप्त की।

3. Begum Hazrat Mahal बेगम हजरत महल

Indian Freedom Fighter : बेगम हजरत महल (1820-1879) भी 1857 के स्वाधीनता संग्राम की प्रमुख नायिका हैं। अवध (आधुनिक लखनऊ और इसका समीपवर्ती क्षेत्र) के नवाब वाजिद अली शाह के असमय देहावसान के पश्चात अंग्रेजों ने उन्हें भी झाँसी की रानी की तरह अपमानजनक राज्य हड़पने वाली शर्तें मानने को मजबूर किया। लेकिन बेगम ने जीतेजी अपमान का घूँट पीना अस्वीकार कर दिया और बड़ी होशियारी से अवध की सत्ता हाथ में लेकर अंगेजों के विरुद्ध युद्ध का बिगुल छेड़ दिया।

1857 के विद्रोह के दौरान उन्होंने लम्बे समय तक लखनऊ पर अपना अधिकार बरकरार रखा, लेकिन भारत का दुर्भाग्य बने लालची दरबारियों ने एक बार फिर से देश का सम्मान दाँव पर लगाते हुए अंग्रेजों से मिलकर रानी की पराजय की पटकथा लिख दी। मजबूरन रानी को निर्वासित होकर नेपाल की राजधानी काठमांडू में शरण लेनी पड़ी और अंत में वहीँ पर उनका देहावसान हो गया।

 

10 Woman Fighters of Freedom Movement

4. Bhikaji Cama भीकाजी कामा

Indian Freedom Fighter : भीकाजी कामा (1861-1936) के नाम पर देश में कई सडकों और इमारतों का निर्माण हुआ है, पर फिर भी देश में बहुत कम लोग ही उनके नाम और काम से परिचित होंगे, क्योंकि युवावस्था के पश्चात उनका अधिकांश समय विवशता में देश से बाहर ही गुजरा था। मैडम भीकाजी कामा एक उच्च कुलीन पारसी समुदाय से थीं। पारसी आम तौर पर शांतिप्रिय और विवादों से बचने वाले होते हैं, लेकिन भीकाजी कामा के ह्रदय में देशप्रेम की भावना बचपन से हिलोरे मारती थीं।

जब वह इंग्लैंड में रहकर निर्वासित जीवन बिता रहीं थीं तो उन्होंने वहीँ पर रहते हुए अंग्रेजों का विरोध किया और भारतीय स्वधीनता आन्दोलन की जड़ें मजबूत की। भीकाजी कामा भारत की आजादी के साथ-साथ स्त्री समानता पर भी बहुत जोर देती थीं इसीलिये उन्होंने अपनी अधिकांश संपत्ति लड़कियों की दशा सुधारने हेतु एक अनाथाश्रम को दान कर दी थी। उन्होंने सन 1907 में जर्मनी के स्टटगर्ट में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सभा (International Socialist Conference) में भारतीय झंडे को फहराया था।

5. Sarojini Naidu सरोजिनी नायडू

Indian Freedom Fighter : भारत कोकिला (नाइटिंगेल ऑफ इंडिया) के नाम से विख्यात सरोजिनी नायडू (1879-1949) से ज्यादातर देशवासी परिचित हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात उत्तर प्रदेश राज्य की गवर्नर रहीं सरोजिनी नायडू एक प्रखर स्वतंत्रता सेनानी थीं। इन्होने भारत छोड़ो आन्दोलन और असहयोग आन्दोलन समेत कई आंदोलनों में हिस्सा लिया। यह गाँधीवादी विचारधारा की थीं, लेकिन क्रांतिकारियों के पक्ष को भी इन्होने कई अवसरों पर उचित ठहराया था।

आजादी की लड़ाई में सरोजिनी नायडू कई बार जेल गयीं और अपनी नेतृत्व क्षमता के चलते वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष भी बनीं। अपनी असाधारण काव्य क्षमता का उपयोग इन्होने देशवासियों, विशेषकर स्त्रियों के ह्रदय में देशप्रेम की भावना को प्रबल करने में किया। इन्होने न सिर्फ स्त्रियों को संगठित किया, बल्कि जुलूसों के दौरान अनेकों अवसरों पर उनका नेतृत्व भी किया था। गाँधीजी इन्हें बहुत मानते थे।

6. Kamaladevi Chattopadhyay कमलादेवी चट्टोपाध्याय

Indian Freedom Fighter : कमलादेवी चट्टोपाध्याय (1903-1988) भारत की एक प्रखर समाज सुधारक थीं, पर इसके साथ-साथ वह एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थीं। कमलादेवी ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा हिरासत में लीं गयी पहली भारतीय महिला थीं। उन्हें भारत की वह पहली स्त्री होने का भी गौरव प्राप्त है जो विधायिका की सदस्य बनने हेतु चुनाव लड़ीं थीं।

कमलादेवी ने सामाजिक सुधार के क्षेत्र में बड़ा ही उल्लेखनीय कार्य किया था। यह उनके ही प्रयासों का प्रतिफल था जो दस्तकारी, हथकरघा और थियेटर जैसे कुटीर उद्योग बच पाये थे और जिनकी सहायता से उन्होंने भारतीय स्त्रियों की सामजिक-आर्थिक दशा को सुधारा। National School of Drama और संगीत नाटक अकादमी जैसे सांस्कृतिक संस्थान उनकी ही दूरदर्शिता का परिणाम हैं।

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7. Durgabai Deshmukh दुर्गाबाई देशमुख

Indian Freedom Fighter : दुर्गाबाई देशमुख भी स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख महिला सेनानियों में से एक थीं। उन्होंने कई सत्याग्रह आंदोलनों का नेतृत्व किया और भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में एक अहम् भूमिका निभाई। अनुशासन और जिम्मेदारियों के निर्वहन में यह कितनी कठोर थीं इसका पता सन 1923 में लगी खादी प्रदर्शनी की उस घटना से चलता है जिसमे देश के बड़े-बड़े नेता शिरकत कर रहे थे। उस प्रदर्शनी में दुर्गाबाई को प्रवेश द्वार पर आगंतुकों के टिकट जाँचने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी।

अपने कर्तव्य का ध्यान रखते हुए इन्होने उस समय के शीर्ष नेता और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु को उपयुक्त परिचय पत्र के अभाव में प्रदर्शनी के अन्दर जाने से मना कर दिया था। जब आयोजकों ने नेहरूजी को टिकट थमाया तब कहीं जाकर दुर्गाबाई ने उन्हें प्रवेश करने दिया। अपनी योग्यता और कौशल के चलते यह बाद में भारत की निर्वाचक असेंबली और योजना आयोग की सदस्य भी रहीं।

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Woman Freedom Fighters of India in Hindi

8. Sucheta Kriplani सुचेता कृपलानी

Indian Freedom Fighter : सुचेता कृपलानी (1908-1974) को देश के किसी राज्य (उत्तर प्रदेश) की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त है। वह गाँधीवादी विचारधारा को मानने वाली थीं और उन्होंने गांधीजी के साथ लंबे समय तक कार्य किया। स्वाधीनता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के पश्चात उन्होंने भारत-पाक विभाजन के समय भी उल्लेखनीय कार्य किया था।

स्त्रियों को संगठित करने और उनकी दशा सुधारने के उद्देश्य से सन 1940 में उन्होंने अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की स्थापना भी की थी। 14 अगस्त 1947 के दिन, आजादी की पूर्व संध्या पर उन्होंने असेंबली में वन्दे मातरम् गाया था।

9. Aruna Asaf Ali अरुणा आसफ अली

Indian Freedom Fighter : अरुणा आसफ अली (1909-1996) के बारे में भी कम ही लोगों ने सुना होगा, पर वह भी स्वाधीनता संग्राम की कुछ विख्यात वीरांगनाओं में से एक थीं। दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों की तरह उन्हें भी अंग्रेजों का विरोध करने पर कई बार जेल जाना पड़ा। पर उस घटना के कारण उन्हें विशेष रूप से याद किया जाता है जब सन 1942 में, भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान 33 वर्ष की आयु में, उन्होंनेबंबई के गोवालिया टैंक मैदान में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का झन्डा फहराया था।

10. Lakshmi Sahgal लक्ष्मी सहगल

Indian Freedom Fighter : लक्ष्मी सहगल (1914-2012) जिन्हें कैप्टन लक्ष्मी सहगल के नाम से ज्यादा जाना जाता है, भारतीय सेना की एक महिला अधिकारी थीं जिन्होंने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा संगठित आजाद हिन्द फौज की ओर से द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लिया था। वह गाँधी और बोस दोनों के विचारों से प्रभावित थीं, पर जब उन्हें पता चला कि नेताजी अपनी सेना में महिला सैनिकों की भी भर्ती कर रहे हैं तो वह भी उसमे शामिल हो गयीं।

फौज में रहते हुए उन्हें महिलाओं की रेजीमेंट जिसे ‘झाँसी की रानी रेजीमेंट’ के नाम से जाना जाता था, के संगठन का काम दिया गया था। सन 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, आजाद हिन्द फौज के आत्मसमर्पण के पश्चात वह बर्मा में एक कैदी के रूप में कुछ समय तक जेल में भी रहीं थीं। अपनी सेवाओं के लिये कैप्टन लक्ष्मी को पदम् विभूषण से भी सम्मानित किया गया था।

सन 2012 में 97 वर्ष की आयु में उत्तर प्रदेश के कानपुर में इस वीरांगना की मृत्यु हुई थी। इस लेख में हमने सिर्फ 10 Woman Freedom Fighters के बारे में बताया है। भारत की महान और अज्ञात महिला स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में विस्तार से जानने के लिये 10 Female Freedom Fighters of India in Hindi यह लेख पढ़ें।
जय हिन्द!

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