How to Choose Your Wife in Hindi

 

“यदि विष से भी अमृत मिलता हो तो उसे ले लेना चाहिये, यदि गन्दी जगह से भी सोना मिलता हो तो उसे उठा लेना चाहिये, यदि नीच इन्सान के पास भी अच्छी विद्या है तो उसे सीख लेना चाहिये और यदि नीच कुल से भी शीलवान स्त्री मिलती हो तो उसे ग्रहण कर लेना चाहिये।”
– चाणक्य

 

एक अच्छी पत्नी में क्या-क्या गुण होने चाहियें, इसका विस्तार से वर्णन हमने 15 Qualities of A Good Wife in Hindi में किया है। पर आज हम आपको आचार्य चाणक्य की अनमोल कृति चाणक्यनीति में बताये गये सूत्रों के अनुसार बतायेंगे कि आखिर किसी पुरुष को किस तरह की स्त्री से विवाह करना चाहिये। क्योंकि Married Life में पति को सुख तभी मिल सकता है, जब उसकी पत्नी अच्छे गुणों से संपन्न हो।

How to Choose Good Wife अच्छी पत्नी कैसे चुनें

1. वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्।
रूपशीलां न नीचस्य विवाहः सदृशे कुले॥

अर्थ – बुद्धिमान इन्सान को कुलीन परिवार (अच्छे घर) की सामान्य रूप वाली कन्या से ही विवाह करना चाहिये, उसे नीच कुल की सुन्दर कन्या से कभी विवाह नहीं करना चाहिये।

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने स्पष्ट शब्दों में बताया है कि हमें किस तरह की लड़की से विवाह करना चाहिये। उन्होंने अच्छे कुल की और ऊँचे घराने की युवती से विवाह (Marriage) करने के लिये इसलिये कहा है, क्योंकि सहज चरित्रवान होने के कारण वह अपने गुणों से अपने पति को हमेशा सुख देगी। भले ही वह सुन्दर न हो, लेकिन चरित्रवान लड़कियों की नजर में उनका पति ही उनके जीवन में सबसे ज्यादा महत्व रखता है। वह सदा उसके प्रति समर्पित रहेगी।

दरअसल विवाह एक ऐसा सम्बन्ध है जो समान स्तर के परिवारों में ही होना चाहिये। चूँकि गुण पीढ़ी दर पीढ़ी चलते हैं, इसीलिये ऐसी स्त्री में लज्जा, चातुर्य और शालीनता जैसे सद्गुण वंश-परम्परा के अनुसार स्वाभाविक रूप से आयेंगे। रूप का गुणों से कोई सम्बन्ध नहीं होता। रूप नश्वर है, लेकिन गुण जन्म-जन्मान्तर तक चलते हैं।

लेकिन नीच कुल में चरित्र का, ऊँचे सद्गुणों का अभाव होता है। उनकी दृष्टि में लोक-लाज, आदर, सम्मान और मर्यादाओं का उतना महत्व नहीं होता। वह सिर्फ अपने स्वार्थ और आराम पर ही दृष्टि रखते हैं। यदि ऐसे कुल की युवती से विवाह (Marriage) किया जायेगा, तो थोड़े दिन तो पति उसके रूप-सौन्दर्य से आकर्षित होकर खुश रहेगा, लेकिन जल्दी ही उसके खराब व्यवहार से उसका जीवन मुश्किलों से घिर जायेगा।

क्योंकि उसकी नजरों में पति की मान-मर्यादा और कुल के गौरव से ज्यादा जरुरी अपनी स्वार्थ-लिप्सा है। कुछ शास्त्रकारों ने तो अत्यंत रूपवती स्त्री को, पति का दुश्मन ही बताया है, क्योंकि पत्नी के बहुत सुन्दर होने के कारण उससे कई स्त्रियाँ जलने लगती है।

यहाँ तक कि अनेकों पुरुष भी उस रूपमती स्त्री को पाने की ताक में रहते हैं। इसीलिये अगर कोई व्यक्ति सुखमय विवाहित जीवन जीना चाहता है, तो उसे सुन्दर होने पर भी कभी भी नीच कुल की स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिये।

क्या आप वास्तव में जानना चाहते हैं कि एक सुखी विवाहित जीवन का रहस्य क्या है, तो पढिये – 15 Happy Married Life Tips in Hindi for Couples

 

Hindi Chanakya Tips on Wife Selection

2. विषादप्यमृतं ग्राह्यम मेध्यादपि कांचनम्।
नीचादप्युत्त्मा विद्या स्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि॥

अर्थ – यदि विष से भी अमृत मिलता हो तो उसे ले लेना चाहिये, यदि गन्दी जगह से भी सोना मिलता हो तो उसे उठा लेना चाहिये, यदि नीच इन्सान के पास भी अच्छी विद्या है तो उसे सीख लेना चाहिये और यदि नीच कुल से भी शीलवान स्त्री मिलती हो तो उसे ग्रहण कर लेना चाहिये।

इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने यह बताने का प्रयास किया है कि बेशकीमती चीजें चाहें किसी गंदे स्थान पर ही क्यों न पड़ी हों, बुद्धिमान पुरुष को उन्हें अवश्य ग्रहण कर लेना चाहिये। इसीलिये उन्होंने अमृत, स्वर्ण, विद्या और स्त्री-रत्न को ग्रहण करने का निर्देश दिया है। इसके साथ-साथ आचार्य ने एक बार फिर से शील को रूप के उपर महत्व दिया है।

उन्होंने यह बताने की चेष्टा की है कि चरित्रवान स्त्री अगर किसी नीच कुल से भी संबंध रखती हो, तो भी उससे विवाह करने में कोई दोष नहीं है। पिछले श्लोक में उन्होंने नीच कुल की सुन्दर युवती से चरित्र (Character) उत्तम न होने की वजह से विवाह करने की मनाही की है। लेकिन अगर छोटे कुल की स्त्री चरित्रवान है, तो पुरुष को उससे विवाह करने में संकोच नहीं करना चाहिये, क्योंकि चरित्र ही सबसे बड़ी दौलत है।

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Do Not Live With Bad Wife बुरी पत्नी के साथ न रहें

3. कुराजराज्येन कुतः प्रजासुखं, कुमित्रमित्रेण कुतो निवृतिः।
कुदारदारैश्च कुतो गृहे रतिः, कुशिष्यमध्यापयतः कुतो यशः॥

अर्थ – किसी दुष्ट राजा के राज्य में रहने के बजाय, किसी राज्य में न रहना ज्यादा अच्छा है, दुष्ट मित्रों के बजाय बिना दोस्त के रहना ज्यादा अच्छा है, दुष्ट शिष्य के बजाय कोई शिष्य न होना ज्यादा अच्छा है, और बुरी पत्नी के बजाय बिना पत्नी के रहना ज्यादा अच्छा है।

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने यह बताने का प्रयास किया है कि दुष्ट लोगों और संबंधियों के साथ रहने के बजाय अकेले रहना ज्यादा अच्छा है। क्योंकि तब आदमी कम से कम शांति से तो जी सकता है, वरना ऐसे लोग जिंदगी को जीते-जी नरक बना देते हैं। यहाँ चाणक्य ने दुष्ट राजा, दुष्ट मित्र और दुष्ट शिष्य से दूर रहने को कहा है, क्योंकि इनके साथ रहने पर इन्सान के जीवन को हमेशा खतरा बना रहता है।

पर इस श्लोक के माध्यम से आचार्य ने हमें यह बताने का भी प्रयास किया है कि इन्सान को किस तरह की स्त्री से विवाह (Marriage) करना चाहिये। बुरी पत्नी के साथ रहने के बजाय उन्होंने बिना पत्नी के रहने को अर्थात अविवाहित रहने को ज्यादा अच्छा बताया है। इसका सीधा सा तात्पर्य है कि किसी भी पुरुष को भली-भांति परीक्षा करके ही किसी स्त्री से विवाह करना चाहिये।

उसे रूप या धन के लालच में आकर शादी करने की जल्दी नहीं करनी चाहिये, वरना सारी जिंदगी किसी नरक यातना की तरह ही बीतेगी। जहाँ अच्छी पत्नी, उसके जीवन में भोगों की प्राप्ति और सुख-शांति का कारण बनेगी। वहीँ बुरी स्त्री से विवाह करने पर उसे न तो सुख-सम्भोग का अवसर मिल पायेगा और न ही वह चैन की जिंदगी बिता सकेगा।

आगे पढिये कैसे आप अपने रिश्तों के बंधन को और मजबूत बना सकते हैं – 12 Relationship Tips in Hindi रिलेशनशिप कैसे मजबूत करें

“मूर्ख पंडितों से नफरत करते हैं, गरीब अमीरों से नफरत करते हैं, वेश्याएँ पतिव्रताओं से नफरत करती हैं और विधवाएँ सौभाग्यवतीयों से नफरत करती हैं।”
– चाणक्य

 

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